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ठग ले गए करोड़ों के मोती, औरंगाबाद के किसानों के हाथ रह गया कर्ज, केस-मुकदमा

Aurangabad Pearl Scam: एक निजी कंपनी ने मोती उगाकर पैसे कमाने का झांसा देकर किसानों से करोड़ों रुपये की ठगी की है.

क्विंट हिंदी
न्यूज
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<div class="paragraphs"><p>Maharashtra में&nbsp;मोती की खेती के नाम पर किसानों से करोड़ों रुपये की ठगी की गई है.&nbsp;</p></div>
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Maharashtra में मोती की खेती के नाम पर किसानों से करोड़ों रुपये की ठगी की गई है. 

(फोटो-क्विंट हिंदी)

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महाराष्ट्र (Maharashtra) के औरंगाबाद में किसानों को लूटने का एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. आरोप है कि एक निजी कंपनी ने मोती उगाकर पैसे कमाने का झांसा देकर किसानों से करोड़ों रुपये की ठगी की है. किसानों ने मामले की शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन पुलिस अभी तक आरोपी अरुण अंभोरे को पकड़ नहीं पाई है. हालांकि इस मामले में अब पुलिस को एक अहम कामयाबी मिली है. पुलिस ने मुख्य आरोपी की पत्नी जिसके बैंक खाते में किसानों के पैसे ट्रांसफर हुए थे उसे हिरासत में ले लिया है.

बताया जा रहा है कि किसानों से जो पैसा आरोपी ने लिया था वह पैसा आरोपी की पत्नी के बैंक खाते में जमा हुआ था इसलिए आरोपी के पत्नी को भी पुलिस ने आरोपियों में में शामिल किया है. इस मामले में अब तक 9 किसानों ने अपनी शिकायत दर्ज की है.

मोती उगाने वाले शिकायतकर्ता किसान

(फोटो- क्विंट हिंदी)

मोती की खेती से लाखों की कमाई का प्रलोभन

मराठवाड़ा के किसान प्रकृति की मार से हमेशा पीड़ित देखे गए हैं. घाटा होने के कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है, इसलिए उनका कृषि व्यवसाय करने का रुझान बढ़ा है. लेकिन उसमें भी उनके साथ धोखा हो रहा है.

13 महीने का कॉन्ट्रैक्ट

इंडो पर्ल कंपनी के मालिक अरुण अंभोरे ने किसानों को करमाड तालुका में सीपों की खेती कर आर्थिक आय बढ़ाने का लालच दिया और कहा कि 13 महीने के कॉन्ट्रैक्ट के बाद खेत में आने वाले मोतियों को खरीदकर पैसा दिया जाएगा. उसी से किसानों ने कर्ज लिया और निवेश किया. लेकिन ठेका खत्म होने से पहले ही कंपनी के लोग मसल्स और सीपियों को उठा ले गए और खराब मसल्स को वहीं छोड़ दिया.

जब किसानों ने पूछा कि पैसा कब मिलेगा तो कहा गया कि तैयार मोती हैदराबाद भेज दिए जाएंगे, उसके बाद पैसा खाते में जमा किया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

जिस तलाब में मोती की खेती होती है

(फोटो- क्विंट हिंदी)

किसान ठगी का हुए शिकार

किसानों ने बतायाी कि उन्हें आश्वासन दिया गया था कि कॉन्ट्रैक्ट के दौरान अच्छे मोती 180 रुपए की दर से खरीदे जाएंगे, जबकि 81 रुपये प्रति क्षतिग्रस्त मोती का तय किया गया था. इतना ही नहीं, कंपनी का कहना था कि उन्होंने खराब हुए माल का बीमा करवाया है और अगर नुकसान भी होता है तो किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा इसलिए किसानों ने अंधाधुंध निवेश किया. कुछ ने फसल का पैसा जमा कर कंपनी में निवेश किया तो कुछ ने कर्ज लिया, लेकिन पैसा नहीं मिला. इसके अलावा, कंपनी की ओर से दिया गया चेक भी खाते में जमा नहीं किया गया.

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किसानों पर शिकायत वापस लेने का दबाव

किसान मामला दर्ज कराने थाने पहुंचे लेकिन यहां भी उनकी सुनवाई नहीं हुई. पुलिस ने कई राउंड बात किए जाने के बाद मामला दर्ज किया. करमाड के एक किसान भगवान पवार ने बताया कि सबसे पहले उसने शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन कंपनी के मालिक अरुण अंभोरे ने शिकायत वापस लेने की धमकी दे. हालांकि, उन्होंने शिकायत वापस नहीं ली. अंभोरे ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में जमानत अर्जी दायर की लेकिन वो खारिज कर दी गई.

कोर्ट से जमानत अर्जी खारिज

जिला एवं सत्र न्यायालय औरंगाबाद ने कहा कि जब तक शिकायतकर्ता को मुआवजा नहीं दिया जाता तब तक जमानत नहीं दी जाएगी. लेकिन आरोपी कोर्ट में पेश होने को तैयार नहीं है. इतना ही नहीं, जमानत खारिज होने के बावजूद आरोपी पुलिस के हाथ नहीं लगा है.

200 करोड़ से अधिक का घोटाला?

किसानों को अब पुलिस की भूमिका पर संदेह हो रहा है. अब तक कुल 89 किसानों ने औरंगाबाद पुलिस अधीक्षक मनीष कलवानिया के कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज करायी है. पुलिस का अनुमान है कि यह धोखाधड़ी चार करोड़ रुपये तक की है. जानकारी के अनुसार, शिकायत न करने वाले किसानों की संख्या ज्यादा है. किसानों का अनुमान है कि यह घोटाला जिले में 25 करोड़ और राज्य स्तर पर 200 करोड़ से अधिक का हो सकता है. बताया जा रहा है कि आरोपी अरुण अंभोरे के खिलाफ अन्य जिलों में भी शिकायत दर्ज कराई गई है.

कई जिलों में अरुण अंभोरे का नेटवर्क

औरंगाबाद जिले में कई जगहों पर विकास कार्यों के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है, जिसके लिए उन्हें अच्छा मुआवजा भी दिया गया. आरोपी अरुण अंभोरे ने हर जगह अपना जाल फैला रखा है. पिछले कुछ सालों में उसने मोती की खेती कर पैसे कमाने का विज्ञापन दिया था. शुरुआत में उसने किसानों के साथ अनुबंध किए और उन्हें अच्छा भुगतान किया, लेकिन निवेश बढ़ने के बाद उसने बिना कोई रिटर्न दिए किसानों को धोखा दिया. किसानों की मानें तो इसमें रिटार्यड अधिकारी और शिक्षक भी शामिल हैं.

(इनपुट-अविनाश कानडजे)

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