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Maharashtra मामले पर दोनों पक्षों को नोटिस जारी, कोर्ट में क्या दलीलें दी गईं?

Maharashtra Political Crisis:महाराष्ट्र मामले में 5 जजों के संविधान पीठ का गठन हो सकता है.SC ने इस ओर इशारा किया है.

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<div class="paragraphs"><p>Maharashtra मामले पर दोनों पक्षों को नोटिस जारी, बड़े बेंच का हो सकता है गठन</p></div>
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Maharashtra मामले पर दोनों पक्षों को नोटिस जारी, बड़े बेंच का हो सकता है गठन

फोटोः क्विंट

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महाराष्ट्र मामले (Maharashtra Political Issue) पर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस एनवी रमना (CJI NV Ramana), जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच के सामने दलीलें दी गईं. कोर्ट ने सुनवाई के बाद एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव गुट को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने को कहा है. मामले में अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी. तब तक अयोग्यता पर कार्रवाई नहीं होगी. इसके साथ ही SC ने विधानसभा सचिव को सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के लिए भी कहा है.

कोर्ट में उद्धव और शिंदे गुट की दलील

उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि शिवसेना से अलग होने वाले विधायक अयोग्य हैं. उन्होंने किसी पार्टी के साथ विलय भी नहीं किया. अगर शिंदे गुट की याचिका को सुना गया तो ऐसे में हर चुनी हुई सरकार को गिराया जा सकता है. इससे लोकतंत्र खतरे में आ जाएगा.

सिब्बल ने आगे कहा कि राज्यपाल ने शिंदे को शपथ दिलाई जबकि वो जानते थे कि उनकी अयोग्यता का मामला अभी स्पीकर के समक्ष लंबित है. पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया गया है. ये कानूनों का उल्लंघन है. उन्होंने स्वेच्छा से खुद को पार्टी से अलग कर लिया. व्हिप के खिलाफ मतदान किया. उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.

वहीं शिंदे गुट की ओर से हरीश साल्वे ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि क्या पार्टी में रहते हुए नेता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है? क्या यह नहीं बताया जा सकता है कि आपको बहुमत का समर्थन नहीं है? इसके साथ ही उन्होंने कहा एक राजनीतिक पार्टी को भी लोकतांत्रिक तरीके से चलना चाहिए.

साल्वे ने आगे कहा कि सदस्यता तभी जाती है जब कोई पार्टी छोड़ दे या व्हिप के खिलाफ वोट करे. लेकिन क्या जिसे 15-20विधायकों का भी समर्थन न हो, उसे कोर्ट के जरिए वापस लाया जा सकता है?

कोर्ट में साल्वे ने कहा कि क्या ऐसा इंसान जो 20 विधायकों का सपोर्ट हासिल नहीं कर पा रहा है, उसे मुख्यमंत्री रहना चाहिए, क्या हम सपनों की दुनिया में हैं? मुखिया के खिलाफ आवाज उठाना डिस्क्वालिफिकेशन नहीं है. पार्टी के भीतर रहते हुए आवाज उठाना और लक्ष्मण रेखा क्रॉस न करना.. ये दल-बदल नहीं है.

बड़ी बेंच बनाई जा सकती है

महाराष्ट्र मामले में पांच जजों के संविधान पीठ का गठन भी हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी ओर इशारा किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कई संवैधानिक मुद्दे हैं. जिन पर बड़ी बेंच के गठन की जरूरत है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाओं में कई सारे मसले हैं. हमें सारे केसों की पेपर बुक चाहिए. CJI ने कहा है कि इस मामले में बड़ी बेंच की जरूरत है. इसपर साल्वे, सिंघवी , सिब्बल ने कोर्ट से सहमति जताई कि कुछ पहलुओं को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को अगले बुधवार तक संवैधानिक सवाल दाखिल करने को कहा. वहीं एक अगस्त को अब अगली सुनवाई होगी. तब तक अयोग्यता पर कार्रवाई नहीं होगी.

इन याचिकाओं पर हो रही सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सियासी संकट से जुड़ी इन याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है.

  • डिप्टी स्पीकर की ओर से शुरू की गई अयोग्यता की कार्रवाई के खिलाफ एकनाथ शिंदे की याचिका.

  • डिप्टी स्पीकर की ओर से शुरू की गई अयोग्यता की कार्रवाई के खिलाफ भरत गोगावले और 14 बागी विधायकों की याचिका.

  • गवर्नर की ओर से उद्दव ठाकरे को सदन में बहुमत साबित करने का निर्देश किये जाने के खिलाफ सुनील प्रभु की याचिका.

  • नवनियुक्त स्पीकर राहुल नार्वेकर की ओर से शिंदे ग्रुप के व्हिप को मान्यता देने के खिलाफ सुनील प्रभु की याचिका.

  • एकनाथ शिंदे को गवर्नर की ओर से सरकार बनाये जाने के निमंत्रण के खिलाफ सुभाष देसाई की याचिका.

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