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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार, 6 फरवरी को कहा कि हाल ही में 'धर्म संसद' कार्यक्रम में दिए गए कुछ बयान 'हिंदू शब्द' नहीं थे और हिंदुत्व का पालन करने वाले कभी भी उनसे सहमत नहीं होंगे.
वह लोकमत मीडिया समूह द्वारा अपने लोकमत नागपुर संस्करण की स्वर्ण जयंती के मौके पर आयोजित एक लेक्चर सीरीज में 'हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता' विषय पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा,
आरएसएस प्रमुख जाहिर तौर पर हाल ही में छत्तीसगढ़ में आयोजित धर्म संसद का जिक्र कर रहे थे, जहां हिंदू धर्मगुरु कालीचरण महाराज ने कथित तौर पर महात्मा गांधी के खिलाफ उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा करते हुए अपमानजनक बयान दिए थे.
एक और 'धर्म संसद' दिसंबर में उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित की गई थी, जिसमें कथित तौर पर वक्ताओं ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले भड़काऊ भाषण दिए गए थे. IPC की धारा 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी.
संघ प्रमुख ने कहा, "यहां तक कि वीर सावरकर ने भी कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है, तो वह भगवद् गीता के बारे में बोलेगा न कि किसी को खत्म करने या नुकसान पहुंचाने के बारे में."
इस बारे में बोलते हुए कि क्या राष्ट्र 'हिंदू राष्ट्र' बनने की राह पर है, भागवत ने कहा, "यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है. चाहे आप इसे स्वीकार करते हैं या नहीं, ये हिंदू राष्ट्र है."
संघ लोगों को बांटता नहीं है, मतभेदों को दूर करता है. उन्होंने कहा, "हम इस हिंदुत्व से चलते हैं."
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