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NCERT बुक से गुजरात दंगों पर हिस्सा हटाया: हाल के सालों में क्या हटा-क्या जुड़ा?

NCERT 12वीं की किताब से गुजरात दंगों से जुड़ा कटेंट हटाने से पहले सिलेबसों में हाल फिलहाल के 6 बड़े बदलाव

माशा
न्यूज
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<div class="paragraphs"><p>12वीं क्लास की किताब से NCERT ने हटाया गुजरात दंगों का पैरा</p></div>
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12वीं क्लास की किताब से NCERT ने हटाया गुजरात दंगों का पैरा

(फोटो: अलटर्ड बाइ क्विंट)

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NCERT ने क्लास 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब से गुजरात दंगों पर कुछ पाराग्राफ हटा दिए हैं. कोविड-19 (Covid-19) महामारी के चलते ‘टेक्स्टबुक्स को रैशनलाइज’ करने के लिए यह कदम उठाया गया है. कहा गया है कि जो इस समय प्रासंगिक नहीं, उन्हें हटाया जा रहा है. और ये पहली बार नहीं है, जब परिषद ने ऐसा संशोधन किया है. इससे पहले भी कई बार एनसीईआरटी ऐसा कर चुकी है.

वो जो हटाया गया

अप्रैल 2022- फैज़ अहमद फैज़ की दो नज्मों को हटाया

अभी इसी साल अप्रैल में एनसीईआरटी की क्लास 10 की पॉलिटिकल साइंस की किताब "डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स II" के "धर्म, सांप्रदायिकता और राजनीति - सांप्रदायिकता, धर्मनिरपेक्ष राज्य" खंड में फैज़ अहमद फैज़ की उर्दू में दो नज्मों को हटाया गया था.

हालांकि ये खंड सिलेबस में बरकरार रहेगा. सिर्फ पेज 46, 48, 49 को हटाया गया है. फ़ैज की नज्में और कुछ पोस्टर इन्हीं पेजों पर थी. ये नज्में हैं- ‘आज बाजार में पा बा जोला चलो’, और ‘ढाका से वापसी पर’. उसमें एक राजनीतिक कार्टून भी था जिसमें सभी धर्मों को लड़ाकर राज करने वाले राजनीतिक दलों पर व्यंग्य था. फ़ैज़ की कविता के साथ एक पोस्टर एनजीओ अनहद ने जारी किया था जिसके सह-संस्थापकों में सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी और हर्ष मंदर शामिल हैं.

फ़ैज साहब की नज्मों पर कैंची चलाने के अलावा क्लास 11 की हिस्ट्री की किताब से "सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स" पर एक चैप्टर हटाया गया है. यह एफ्रो-एशियाई क्षेत्रों में इस्लामी साम्राज्यों के उदय और अर्थव्यवस्था और समाज पर उसके प्रभाव से संबंधित था. इसे न पढ़ पाने वाले स्टूडेंट्स अब अपनी पाठ्यपुस्तक से यह नहीं जान पाएंगे कि इस्लाम धर्म की स्थापना कैसे और क्यों हुई. पैगंबर कौन थे, उन्होंने क्या किया था, सूफीवादी परंपरा क्या थी.

इसी तरह क्लास 12 के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से "शीत युद्ध युग और गुटनिरपेक्ष आंदोलन" वाला चैप्टर हटाया गया. इससे स्टूडेंट्स यह जान सकते थे कि शीत युद्ध के दौरान भारत रूस के साथ था और इंदिरा गांधी ने कैसे गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत की थी. यह पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के समय के इतिहास की झलक भी देता था.

अप्रैल 2019 -‘भारत और समकालीन विश्व- II’ से 3 चैप्टर हटाए

ये करके, इस बात की दुहाई दी गई थी कि बच्चों पर से पढ़ाई का बोझ कम किया जाना चाहिए. और ऐसी कामयाब कोशिश 2019 के अप्रैल महीने में भी की गई थी. तब एनसीईआरटी ने दसवीं कक्षा की इतिहास की किताब ‘भारत और समकालीन विश्व- II’ से तीन चैप्टर हटाए थे. इनमें में से पहला था, ‘भारत-चीन क्षेत्र में राष्ट्रवाद का उदय’. दूसरा, ‘उपन्यास, समाज और इतिहास’ और तीसरा, ‘कार्य, जीवन एवं अवकाश’.

‘भारत-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन’ नाम से पहला चैप्टर भारत-चीन क्षेत्र, विशेष रूप से वियतनाम, में राष्ट्रवाद के उदय पर था. इससे पता चलता था कि उपनिवेशवाद और वियतनाम में साम्राज्यावदी विरोधी आंदोलन में महिलाओं की क्या भूमिका थी.

दूसरा समाज के इतिहास को उपन्यासों के जरिए समझाता था. किस तरह से साहित्य ने पश्चिम और भारत में सोचने के तरीकों को प्रभावित किया. तीसरा चैप्टर लंदन और बॉम्बे (अब मुंबई) जैसे शहरों के विकास के इतिहास को दर्शाता था. इसके साथ ही इसमें शहरों के तीव्र विकास से हो रही पर्यावरणीय चुनौतियों से संबंधित जानकारी शामिल थी.

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मार्च 2019 -‘भारत और समकालीन विश्व भाग-1’ से 3 चैप्टर हटाए

इससे सिर्फ एक महीने पहले यानी मार्च 2019 में एनसीईआरटी ने क्लास 9 की हिस्ट्री की किताब ‘भारत और समकालीन विश्व भाग-1’ से तीन चैप्टर्स हटाए थे. इनमें से पहला ‘परिधान: एक सामाजिक इतिहास था. इसमें बताया गया था कि इंग्लैंड और भारत में सामाजिक आंदोलनों के कारण वस्त्रों में किस तरह बदलाव हुए. इसमें एक खंड जाति संघर्ष और वस्त्र परिवर्तन था.

इसे न पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए यह जानना मुश्किल है कि त्रावणकोर की तथाकथित निचली नादर जाति की महिलाओं ने कपड़े के एक टुकड़े के लिए कितना संघर्ष किया था.

नादर जाति की महिलाओं और पुरूषों को छतरियां लगाने, जूते और सोने के गहने पहनने और तथाकथित उच्च जाति के लोगों के सामने अपने शरीर के ऊपरी हिस्सों को ढंकने की मनाही थी. लेकिन कई दशकों के हिंसक संघर्ष की वजह से यह कुरीति खत्म हुई.

दूसरा चैप्टर ‘इतिहास एवं खेलः क्रिकेट की कहानी’ था, जो भारत में क्रिकेट के इतिहास और जाति, धर्म और समुदाय की राजनीति के साथ इसके संबंधों पर आधारित था. तीसरा चैप्टर खेतिहर और किसान था. यह पूंजीवाद के विकास पर केंद्रित था कि उपनिवेशवाद ने खेतिहरों और किसानों का जीवन किस तरह बदला.

मार्च 2018 में हटाए गए चैप्टर- ‘गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगों’ का टाइटल बदलकर ‘गुजरात दंगे’ किया

जिस गुजरात हिंसा के पूरे चैप्टर को अब किताब से हटाया जा रहा है, उसकी शुरुआत कई साल पहले शुरू हो गई थी.

NCERT ने पॉलिटिकल साइंस की किताब ‘स्वतंत्र भारत में राजनीति’ में 2002 की गुजरात हिंसा के अनुच्छेद ‘गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगों’ का टाइटल बदलकर ‘गुजरात दंगे’ कर दिया था.

दूसरी किताब ‘समकालीन विश्व में राजनीति’ में अक्साई चिन क्षेत्र को विवादित बताया गया था और चीन वाले रंग में रंगा गया था. तब एनसीईआरटी ने कहा था कि यह विवादित मैप भारत का मैप नहीं है, बल्कि टेक्सास यूनिवर्सिटी का छापा हुआ पूर्व और दक्षिणी पूर्व एशिया का मैप है. मीडिया के होहल्ला मचाने के बाद कुछ महीने बाद इस मैप को रिप्लेस किया गया.

वो चैप्टर जो जोड़े गए

जुलाई 2018-आपातकाल पर चैप्टर जोड़े गए

ऐसा नहीं है कि किताबों पर सिर्फ कैंची चलाई गई, कुछ नई चीज़ें चस्पां भी की गईं. जैसे 2018 में केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार, दोनों ने तय किया कि क्लास 10 और क्लास 11 की हिस्ट्री की किताबों में आपातकाल पर एक चैप्टर जोड़ा जाए. 2019 के सेशन से स्टूडेंट्स ‘आपातकाल का कड़वा सच’ जान रहे हैं.

अप्रैल 2018 में जोड़े गए चैप्टर-बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और स्वच्छ भारत

इस समय एनसीईआरटी ने अपनी 182 किताबों में 1,334 छोटे-मोटे बदलाव किए थे- यानी हर किताब में करीब करीब सात संशोधन. इसमें सबसे बड़ा संशोधन था, जीएसटी और नोटबंदी पर अनुच्छेदों को जोड़ना. इसके अलावा प्रधानमंत्री के स्लोगन्स बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और स्वच्छ भारत जैसे विषयों पर भी अनुच्छेद जोड़े गए थे.

वैसे इतिहास के प्रेतों को जगाया जा रहा है. किताबों में अकबर और महाराणा प्रताप की जंग छेड़ने की कोशिश की जा रही है. अक्षय कुमार पर्दे पर पृथ्वीराज बनकर किताबों में मुगलों के बारे में कम पढ़ाने की सिफारिश कर चुके हैं. ये बात और है कि इतिहास पर आज के आग्रह मढ़कर आज की जंग के लिए चरित्र गढ़े जा रहे हैं, और इसका सबसे मासूम जरिया हैं, आज के बच्चे.

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