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सोशल मीडिया पर हर रोज कुछ न कुछ गलत और भ्रामक दावों के साथ शेयर होता रहता है. इनमें से ज्यादातर दावे हाल फिलहाल की घटनाओं या कुछ सालों पुरानी घटनाओं को लेकर किए जाते हैं. फेक न्यूज फैक्ट्री सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है. इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके बड़े ही प्रोफेशनल तरीके से ऐसी खबरें भी फैलाई जाती हैं जिनसे सच और झूठ के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है.
ऐसी ही एक फेक खबर हुमायूं और हुमायूं के बेटे अकबर को लेकर वायरल होती रही है. जिसमें अकबर के जन्म संबंधी गलत दावे किए जा रहे हैं. कुछ यूजर्स इस दावे को शेयर करके लिख रहे हैं कि अकबर हुमायूं का नहीं राणा वीरसाल का बेटा था.
हमने भारत के मध्यकालीन इतिहास के जानकार इतिहासकार सतीश चंद्रा की लिखी किताब 'History of Medieval India: (800-1700)' को भी पढ़ा. जिसमें कही भी ऐसा नहीं लिखा है जैसा दावे में लिखा जा रहा है.
इसके अलावा, क्विंट हिंदी से बातचीत में इतिहासकार हरबंस मुखिया और अकबर की बायोग्राफी लिखने वाले मणिमुग्ध शर्मा ने भी इस दावे को खारिज कर दिया.
सोशल मीडिया में वायरल हो रहे मैसेज में लिखा है, ''हुमायूं 1540 में शेरशाह सूरी से हारकर अपनी बेगम को राणा वीरपाल सिंह के महल में छोड़ कर सिंध भाग गया था वहां से 1545 में लौटा और अकबर का जन्म 1542 में हुआ था। खैर छोड़ो मुझे अकबर से क्या लेना देना''
कुछ अन्य यूजर्स ने भी सोशल मीडिया पर ऐसे ही दावों को शेयर किया है.
ये दावा टेलीग्राम में भी शेयर किया जा रहा है
हमने इस बारे में ज्यादा जानने के लिए इतिहासकार सतीश चंद्रा की किताब 'History of Medieval India: (800-1700)' को भी पढ़ा. इसमें साफ-साफ लिखा है कि जब हुमायूं बीकानेर से पीछे हट रहा था तब उसे अमरकोट के राणा ने सहायता दी थी और यहीं अकबर का जन्म हुआ. जब हुमायूं ईरान की तरफ बढ़ा तब अकबर के चाचा ने अकबर को कैद कर लिया.
हमने सबसे पहले अकबर की बायोग्राफी 'Allahu Akbar: Understanding the Great Mughal in Today's India' लिखने वाले मणिमुग्ध शर्मा से संपर्क किया. उन्होंने इस दावे को खारिज करते हुए बताया कि:
उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद, मारवाड़ का राजा मालदेव राठौड़ हुमायूं को न्योता देता है और शेरशाह सूरी से मिलकर मुकाबला का करने का वादा करता है. ये बात शेरशाह सूरी को पता चल जाती है और वो मालदेव राठौड़ को संदेशा भेजकर चेतावनी देता है कि ऐसा न करे वरना इसके गलत परिणाम भुगतने पड़ेंगे. इसके बाद मारवाड़ का राजा अपनी बात से मुकर जाता है.
वे कहते हैं कि हुमायूं तो अब भी हिंदुस्तान में ही हैं. और बाद में भी होते हैं. हालांकि, अपने भाइयों अस्करी और कामरान की वजह से हुमायूं और हमीदा बानो बेगम को देश छोड़कर ईरान भागना पड़ता है और अकबर को उसका चाचा अपने कब्जे में ले लेता है. और वो अकबर का ख्याल बाप की तरह ही रखता है.
इसके अलावा हमने डीयू के रिटायर्ड प्रोफेसर और इतिहासकार हरबंस मुखिया से भी संपर्क किया. उन्होंने भी इस दावे का खारिज करते हुए इसे इतिहास के साथ छेड़छाड़ बताया. उन्होंने इस पूरे दावे को महज एक बकवास बताया.
इसके अलावा, हमें 10 दिसंबर 2019 को प्रकाशित BBC का एक आर्टिकल भी मिला जिसमें अकबर के जन्म से संबंधी बातें लिखी गई थीं. इसमें लिखा गया था कि अकबर का जन्म अमरकोट (उमरकोट) में हुआ था. इसमें लिखा गया था कि इतिहासकारों के अनुसार हुमायूं बिहार के अफ़ग़ान गवर्नर शेर ख़ान से लड़ाई हारने के बाद उमरकोट में रहने लगे थे. और उस समय उस बेवतन बादशाह के साथ सिर्फ कुछ सवार और उनकी जीवन साथी हमीदा बानो थीं.
मतलब साफ है कि अकबर को लेकर फैलाए जा रहे ये दावे पूरी तरह से गलत हैं. क्योंकि न तो इतिहासकार इस दावे को मानते हैं और न ही किसी इतिहास की किताब में ऐसा लिखा है.
अगर आप इतिहास के जानकार हैं तब भी और अगर नहीं हैं तब भी इस तरह के दावों को पढ़ने के बाद उसकी एक बार पड़ताल जरूर कर लें. क्योंकि इतिहास तो जो है वो है उसे बदला नहीं जा सकता. लेकिन इस तरह के दावों से भ्रम और गलत जानकारी जरूर फैलती है.
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