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न्यूजीलैंड (Newzealand) क्रिकेट टीम को 17 सितंबर से पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी में तीन मैचों की वनडे सीरीज का पहला मैच खेलना था, उसके बाद लाहौर में पांच मैचों की टी-20 सीरीज खेलनी थी. लेकिन, पहले मैच वाली सुबह ही टीम ने अपना पाकिस्तान दौरा रद्द कर दिया. न्यूजीलैंड सरकार को ये अलर्ट खूफिया एजेंसी FIVE EYE की तरफ से दिया गया था. जानते हैं आखिर ये FIVE EYE इतनी महत्वपूर्ण एजेंसी कैसे है कि न्यूजीलैंड टीम ने अपना क्रिकेट दौरा इसके एक अलर्ट के बाद रद्द कर पाकिस्तान छोड़ दिया.
FIVE EYE के बारे में जानने से पहले जानते हैं कि सीरीज के पहले मैच वाले दिन क्या हुआ था. ये सिलसिलेवार जानकारी पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के सीईओ वसीम खान ने 20 सितंबर को पत्रकारों से हुई वर्चुअल बातचीत में दी थी.
17 सितंबर की सुबह 3 बजे न्यूजीलैंड टीम के सुरक्षा सलाहकार रेज डिकन्सन (Reg Dickinson) ने वसीम खान को फोन पर जानकारी दी कि न्यूजीलैंड टीम की सुरक्षा खतरे में है. और ये खतरा खासतौर पर इसी दिन है. डिकन्सन को ये अलर्ट न्यूजीलैंड सरकार की तरफ से मिला था.
पूरा मामला समझने के लिए PCB के सीईओ वसीम खान डिकन्सन से मिलने पहुंचे. तब डिकन्सन ने कहा - ''खूफिया एजेंसी FIVE EYES ने न्यूजीलैंड के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर को बताया है कि न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम की सुरक्षा खतरे में है. इसलिए मामले को गंभीरती से लेना चाहिए.''
वसीम खान ने न्यूजीलैंड के सुरक्षा सलाहकार डिकन्सन को आश्वस्त कराने की कोशिश की कि उनकी टीम को कोई खतरा नहीं है. पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने न्यूजीलैंड की पीएम जैसिंडा अर्डर्न से बात कर सुरक्षा के लिए आश्वस्त कराया, लेकिन बात नहीं बन पाई. न्यूजीलैंड सरकार किसी भी कीमत पर FIVE EYES के अलर्ट को नजरअंदाज कर टीम की सुरक्षा खतरे में नहीं डालना चाहती थी.
सिक्योरिटी अलर्ट में न्यूजीलैंड टीम को किसी भी कीमत पर होटल से बाहर न निकलने की हिदायत दी गई थी. अंतत: 18 सितंबर को भारी सुरक्षा के बीच क्रिकेट टीम होटल से निकलकर सीधे एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई.
FIVE EYES को इंटेलिजेंस एजेंसी की बजाए इंटेलिजेंस अलायंस भी कहा जाता है. क्योंकि ये किसी एक देश की खूफिया एजेंसी नहीं है. इसमें पांच देश अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा शामिल हैं. यानी ये 5 देशों के लिए काम करने वाली खूफिया एजेंसी है.
इस एजेंसी की शुरुआत की बात करें तो अनौपचारिक तौर पर विश्व युद्ध 2 के वक्त 1941 से ही अमेरिका-यूके ने सुरक्षा को लेकर एक दूसरे की मदद लेना-देना शुरू किया. ये मदद के आदान-प्रदान का सिलसिला चलता रहा, विश्वयुद्ध खत्म हुआ. यूके सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 5 मार्च, 1946 को यूएस और यूके के बीच खूफिया जानकारियां एक दूसरे से साझा करने को लेकर एक समझौता हुआ. इस समझौता को नाम दिया गया UKUSA.
1949 में इस संयुक्त खूफिया एजेंसी में कनाडा को भी शामिल कर लिया गया. 1956 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इसमें शामिल हुए और पांच देशों की इस संयुक्त खूफिया एजेंसी को नाम दिया गया FIVE EYES.
यूके मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, FIVE EYES के पास जो खूफिया सूचनाएं आती हैं उनमें सबसे ज्यादा रोल अमेरिका और यूके का होता है. न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा का रोल काफी कम होता है.
2015 तक FIVE EYES केवल अलायंस में शामिल पांच देशों तक ही खूफिया जानकारी साझा करता था. 2015 में ये परंपरा टूटी. दरअसल उसी साल 13 नवंबर को पैरिस में बम धमाके हुए थे. इसके बाद FIVE EYES ने सीरिया में ISIS से जुड़े खूफिया इनपुट्स फ्रांस को दिए.
ऐसा नहीं है कि FIVE EYES प्रमुख तौर पर आतंकी गतिविधियों पर ही नजर रखती है. माना जाता है कि समय-समय पर इस ग्रुप में शामिल देश उन लोगों की जासूसी कराने में भी इसका इस्तेमाल करते हैं, जिनसे सत्ता को कोई खतरा महसूस होता है. इन मशहूर हस्तियों में नेलसन मंडेला और चार्ली चेप्लिन का नाम भी शामिल है.
जाहिर है जब पांच देश अपनी सुरक्षा से जुड़ी खूफिया जानकारी किसी एक अलायंस के जरिए साझा करते हैं, तो इन सबके बीच आपस में अटूट विश्वास होना जरूरी है. लेकिन 4 साल पहले साल 2017 में FIVE EYES के दो सबसे महत्वपूर्ण देश अमेरिका और यूके के रिश्तों में खटास भी देखने को मिली थी. जब ऐसा आरोप लगा कि अमेरिका की तरफ से यूके के मैनचेस्टर में हुए हमले से जुड़ी खूफिया जानकारी लीक हुई है.
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