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ओडिसा (Odisha) में नियमगिरि पहाड़ी को बचाने और बॉक्साइट (bauxite) के अवैध खनन के खिलाफ आंदोलन कर रहे 9 आदिवासी (Adivaasi) एक्टिविस्टों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 400 किलोमीटर दूर कालाहांड़ी और रायगढ़ा जिले में खनिज पदार्थ की खदान के खिलाफ वहां के आदिवासी संगठन काफी लंबे समय से विरोध करते आ रहे हैं.
बीते 6 अगस्त को रायगढ़ा जिले के कल्याण सिंह थाने में प्रभारी सुमन्ति मोहन्ती की तहरीर पर एक एफआईआर दर्ज की गई. दर्ज एफआईआर में आदिवासी एक्टिविस्टों लिडा सिकोका, द्रन्जु कृष्णा, सम्बा हुईका, मनु सिकोका, उपेद्र भोई, लेनिन कुमार, लिंगाराज आजाद, बिट्रिश नाइक और गोबिन्द बाग के नाम हैं.
पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 294, 188, 353, 352, 307, 149, 148 समेत यूएपीए की तीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि...
उड़ीसा के दलित एक्टिविस्ट लिंगाराज आजाद ने द क्विंट से बताया कि,
आजाद के मुताबिक बारी सिकाका बाद में घर लौट आए और कृष्णा अभी भी पुलिस की गिरफ्त में हैं, उन्हें 2018 के रेप के एक मामले में गिरफ्तार दिखाया गया है. आजाद ने द क्विंट से बताया कि...
आजाद ने बताया कि, "यहां काफी लंबे समय से नियमगिरि पहाड़ी को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. कॉरपोरेट के लोग इसको छीनना चाहते हैं. यहां लोगों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा रहा है ताकि डर जाएं. यह सब डराने की साजिश है.
मूलनिवासी समाजसेवक संघ के मधुसूदन सेठी ने इसको सरकार की साजिश बताया है. उन्होंने कहा कि, "यह सरकार की साजिश है दलित आदिवासियों की जमीन को हड़पने की. लोकसभा चुनाव होने हैं उसके लिए पैसा चाहिए, इसलिए सरकार जमीन और खनिज कॉरपोरेट को देना चाहती है."
नियमगिरि पहाड़ी में मौजूद खनिज पदार्थ के खनन का विरोध वहां के स्थानीय लोग कर रहे हैं. 2003 में सरकार और वेदांता समूह के बीच हुए नियमगिरि पहाड़ी में मौजूद एल्युमिनियम के खनन के समझौते के बाद से लगातार सरकार और कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है.
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