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'पांच साल केजरीवाल' के नारे के साथ 2015 में दिल्ली की सत्ता पर काबिज होनेवाली आम आदमी पार्टी की सरकार को बुधवार को तीन साल पूरे हो गए हैं. नई-नवेली पार्टी के रूप में सत्ता पर काबिज हुई आप की राजनीति में जमे खिलाड़ियों की तरह बदलाव आ गए हैं.
पार्टी के संस्थापक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, जो कभी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले करते थे, अब उन्होंने राजनीतिक विरोधियों पर तीखे हमले करने का अंदाज बदल दिया है. अब वो फूंक फूंक कर कदम उठाते हैं और पूरे नापतौल के साथ बयान देते हैं.
केजरीवाल के ट्विटर पर 1.3 करोड़ फॉलोअर हैं. उन्होंने बीते 11 महीनों से एक भी बार मोदी शब्द ट्वीट नहीं किया है. उन्होंने मोदी का जिक्र करते हुए अपना पिछला ट्वीट 9 मार्च, 2017 को किया था. केजरीवाल ने 2016 में मोदी का जिक्र अपने ट्वीट में 124 बार और 2017 में 33 बार किया था. उन्होंने इन ट्वीट में प्रधानमंत्री पर जमकर हमला बोला था.
पार्टी के नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोदी को लेकर ट्वीट में यह बदलाव आप के चुनावों में नुकसान के बाद किया गया है. केजरीवाल ने पहले के अपने ट्वीट्स में मोदी पर निशाना साधा था. इन ट्वीट्स में 'मोदी ने दिल्ली में आपातकाल घोषित किया', 'तानाशाह मोदी सरकार' और 'क्या मोदी सरकार सेना विरोधी नहीं है' आदि शामिल हैं.
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सीएम केजरीवाल अब पीएम मोदी पर निजी तौर पर ताना मारने से परहेज कर रहे हैं. यहां तक कि आप के 20 विधायकों को जनवरी में इस साल अयोग्य करार दिए जाने के दौरान भी उन्होंने प्रधानमंत्री पर निजी तौर पर हमले से परहेज किया. हालांकि आप ने ये आरोप लगाए थे कि उनके विधायकों को केंद्र की बीजेपी सरकार के इशारे पर अयोग्य करार दिया गया.
पार्टी के नेताओं और कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि यह एक सोची समझी रणनीति के तहत है. एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा कि यह 'प्रबुद्ध फैसला' बीते साल दिल्ली नगर निगम चुनावों में हार के बाद बुलाई गई बैठक में लिया गया.
आप नेता ने कहा, “मोदी पर हमले से हमें कुछ हासिल नहीं हो रहा था और इसके बजाय हमने शासन पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया.”
राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चौधरी कहती हैं कि यह निश्चित तौर पर केजरीवाल की रणनीति में बदलाव है, जिससे उन्होंने मोदी पर निजी तौर पर हमला करना बंद कर दिया. उन्होंने कहा, “यह साफ है कि आप ने मिड्ल क्लास का विश्वास खो दिया और अगर वे दिल्ली में बने रहना चाहते हैं तो उन्हें विश्वास फिर से हासिल करने की जरूरत है.”
(इनपुटः IANS)
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Published: 14 Feb 2018,12:33 PM IST