दिल्ली में कांग्रेस की पहचान रहीं शीला दीक्षित का निधन हो गया है. क्या ताज्जुब की बात है कि जो महिला देश में सबसे लंबे समय तक किसी प्रदेश की सीएम रहीं वो राजनीति में आना भी नहीं चाहती थीं.
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इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद मौका आया और राजीव गांधी चाहते थे कि मैं चुनाव लड़ूं, तब भी मैं बहुत संकोच कर रही थी. मैं बहुत डरी हुई थी. नहीं जानती थी कि ये सब क्या है. लेकिन मेरे ससुर और मेरे पति ने मुझे प्रोत्साहित किया. मेरे पति आईएएस में थे, इसलिए वो राजनीति में शामिल नहीं हुए. यहां तक कि अगर वो इसमें शामिल होते तो भी हमें उन्हें रोकना पड़ता क्योंकि परिवार में रोटी कमाने वाला कौन था?शीला दीक्षित, पूर्व सीएम, दिल्ली
राजनीतिक विरासत सौंपने के लिए बहूएं आमतौर पर पहली पसंद नहीं होतीं. लेकिन यहां शीला ही एकमात्र विकल्प थीं, इसलिए उन्हें ये विरासत सौंप दी गई. दीक्षित कहती हैं, “हमारे परिवार में सिर्फ मैं, मेरे पति और मेरे सास-ससुर थे. मेरे ससुर की जगह लेने वाला कोई और नहीं था."
इसी जद्दोजहद ने शीला दीक्षित को राजनीति में उतरने के लिए मजबूर किया. ये सफर उनके लिए कितना शानदार और कितना चुनौती भरा रहा, सुनिए उनकी ही जुबानी...
देखिए पूरा वीडियो इंटरव्यू.
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