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अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मैनपुरी की करहल सीट (Karhal Seat) से चुनाव लड़ेंगे. ये एसपी की सबसे सेफ सीट मानी जाती है. इस सीट से एसपी पिछले 6 विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में सिर्फ एक बार हारी है. साल 2007 के बाद लगातार जीत ही हुई है. पहले चर्चा हो रही थी कि अखिलेश आजमगढ़ (Azamgarh) से चुनाव लडेंगे. इस सवाल पर उन्होंने कहा था कि मैं चुनाव लड़ूंगा तो आजमगढ़ की जनता से पूछकर ही लड़ूंगा. ऐसे में समझना जरूरी है कि आखिर करहल सीट ही क्यों, आजमगढ़ क्यों नहीं?
मैनपुरी की करहल सीट से एसपी को हर बार 45% से ज्यादा वोट मिले. साल 2017 में सोबरन सिंह यादव ने चुनाव लड़ा. उन्होंने सबसे ज्यादा 49% वोट मिले. 2012 में भी सोबरन सिंह यादव एसपी के उम्मीदवार थे, उन्हें तब 46% वोट मिले थे. साल 2007 में भी सोबरन ही उम्मीदवार थे. तब उन्हें 45% वोट मिले थे. साल 2002 में करहल सीट से बीजेपी की जीत हुई थी. साल 1996 में एसपी ने 44% और 1993 में 35% वोट के साथ जीत हासिल की थी.
पहले तो ये बता दें कि आजमगढ़ की सदर विधानसभा सीट से एसपी लगातार जीतती रही है. इसलिए ये सेफ सीट मानी जा सकती है. लेकिन अखिलेश के लिए मुश्किल दूसरी है. चुनाव की पूरी जिम्मेदारी अखिलेश के कंधों पर ही है. वह पार्टी के वन मैन आर्मी की भूमिका में हैं. चुनावी रैलियों में अखिलेश के अलावा दूसरा बड़ा चेहरा कम ही नजर आता है. ऐसे में उनकी जिम्मेदारी 403 सीटों पर चुनाव लड़ाने और जिताने की है. ऐसे में करहल ऐसी सीट है जहां पर उन्हें ज्यादा जाना नहीं पड़ेगा और वे बाकी 402 सीटों पर फोकस कर सकेंगे.
लखनऊ के पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि करहल सीट सैफई से लगी हुई है. महज 7 किलोमीटर की दूरी पर है. वह उनकी होम सीट की तरह है. वहीं आजमगढ़ दूर है, यहां उन्हें आना पड़ता. आजमगढ़ के लोगों की ये भी शिकायते रही कि वहां पर बहुत एक्टिव नहीं थे. ऐसे में सेफ सीट से ही लड़ेंगे. नहीं तो ममता बनर्जी की तरह बीजेपी घेर सकती है. त्रिपाठी आगे कहते हैं-
अखिलेश यादव को चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी लगातार चैलेंज कर रही है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश बहुत विकास करने की बात करते हैं. उन्होंने जहां विकास किया है उसे सीट से भी चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं हो रही है. ये मैसेज देकर बीजेपी अखिलेश को घेरना चाहती है. पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी के साथ ऐसा ही हुआ. अगर अखिलेश चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें अपने क्षेत्र में जाना होगा. वक्त देना होगा. बीजेपी अखिलेश पर बैकडोर एंट्री का भी आरोप लगाती है. चुनाव लड़कर अखिलेश इसका भी जवाब दे सकते हैं. इसके अलावा करहल सीट से चुनाव लड़कर पूरे प्रदेश में एक पॉजिटिव मैसेज तो देंगे, साथ ही मैनपुरी के पास के जिलों फिरोजाबाद, इटावा, कन्नौज, फर्रुखाबाद, इटावा की विधानसभा सीटों पर भी असर डालेंगे.
जाहिर है बीजेपी जिस बैकडोर का आरोप लगा रही है योगी भी उसी से एसेंबली में गए थे.
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