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सत्ताधारी बीजेपी को हराने के लिए 'इंडिया गठबंधन' की छतरी तले इकट्ठा हुआ विपक्ष अब दूर-दूर नजर आ रहा है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव लगातार कांग्रेस पर हमलावर हैं. अब अखिलेश यादव ने जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस पर वार किया है. एमपी चुनाव में एसपी को नहीं मिली हिस्सेदारी के बाद से अखिलेश की तल्खी कांग्रेस के खिलाफ और तेज होती जा रही है. इससे पहले अखिलेश यादव ने 'इंडिया गठबंधन' को भी कठघरे में खड़ा किया था. लेकिन, सवाल ये है कि बीजेपी को हराने के लिए हर समझौते के लिए तैयार अखिलेश यादव आखिर कांग्रेस पर हमलावर क्यों हैं? अगर अखिलेश यादव की नाराजगी ऐसे ही बनी रहती है तो आने वाले दिनों में 'INDIA गठबंधन' की शक्ल क्या होगी?
अखिलेश यादव इस समय एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी के जनधार को बढ़ाने में लगे हुए हैं. इस बीच कांग्रेस के खिलाफ उनकी लगातार टिप्पणी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. लोग इसे गठबंधन के तहत विधानसभा चुनावों में एसपी को नहीं मिली हिस्सेदारी से जोड़कर देख रहे हैं. लेकिन राजनीति के जानकारों का कुछ और ही कहना है.
पॉलिटिकल पंडितों का मानना है कि कांग्रेस और एसपी के बीच मतभेद केवल यूपी को लेकर है, बाकी कहीं कोई मतभेद नहीं है. अगर उत्तर प्रदेश को लेकर कांग्रेस पब्लिकली ये कह देती है कि यूपी तो अखिलेश यादव के हाथ में है तो आज अखिलेश की ये नाराजगी नहीं दिखती. अखिलेश को कहीं न कहीं लग रहा है कि आने वाले समय में यूपी में लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों की मांग बढ़ सकती है. ऐसे में वह पहले से ही प्रेसर पॉलिटिक्स की रणनीति के तहत आगे बढ़ रहे हैं. यही वजह है कि इंडिया गंठबंधन का हिस्सा होते हुए भी एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के खिलाफ हमलावर दिख रहे हैं और कांग्रेस को बीजेपी का 'बी टीम' भी कहते नजर आ रहे हैं.
विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन में यूपी से चार बड़ी पार्टियां हैं. एसपी, कांग्रेस, RLD और अपना दल (कमेरावादी). इसमें वोट बैंक के लिहाज से समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के आंकड़ों के मुताबिक समाजवादी पार्टी को 32.06 फीसदी, कांग्रेस को 2.3 फीसदी और RLD को 2.85 फीसदी वोट हासिल हुए थे. इस हिसाब से समाजवादी पार्टी का कहना है कि कांग्रेस ये सार्वजनिक स्वीकारे की वो यूपी में समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में काम करेगी.
यूपी कांग्रेस के संगठन महासचिव अनिल यादव ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि...
जानकारों का मानना है कि समाजवादी पार्टी को कांग्रेस से असुरक्षा का भाव उत्पन्न हो गया है. उसे लग रहा है कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी में सेंधमारी करने की कोशिश कर रही है. एक सूत्र ने बताया कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी और बीएसपी के बड़े मुस्लिम नेताओं के संपर्क में है. इसी को लेकर एसपी और बीएसपी दोनों सतर्क हो गए हैं.
लेखक और वरिष्ठ पत्रकार नावेद सिकोह का कहना है कि "अभी कुछ दिन पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवियों की मीटिंग बुलाई थी. इस मीटिंग से यही निकला की मुस्लिम समाज एसपी से नाराज चल रहा है. इसके पीछे की वजह आजम खान और मुस्लिम समाज के नेताओं को तवज्जों न देना है."
लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा जोरों पर है कि अगर बीजेपी को हराना है तो एक मुस्त मुस्लिम वोट कांग्रेस को देना पड़ेगा. क्योंकि, मुस्लिम समाज विधानसभा चुनाव में एसपी को वोट देकर देख चुका है. अब समाज को लगने लगा है कि अखिलेश, बीजेपी को हराने में कामयाब नहीं होंगे.
एक सूत्र ने बताया कि इमरान मसूद को काग्रेस ने अपने पाले में कर ये संकेत दे दिया है कि वो यूपी के बड़े मुस्लिम चेहरों के संपर्क में है जो एसपी-बीएसपी का खेल बिगाड़ सकते हैं. कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अजय राय सीतापुर जेल में बंद आजम खान से मिलने पहुंचे थे, हालांकि मुलाकात नहीं हो पाई, लेकिन इसके बाद ये जोर पकड़ने लगा कि कांग्रेस कुछ खेल करने वाली है. इसका इनपुट जब अखिलेश यादव के पास पहुंचा तब से वो कांग्रेस पर हमलावर हैं.
हालांकि, यूपी कांग्रेस के संगठन महासचिव अनिल यादव इस बात को नकारते नजर आए. उन्होंने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि हम किसी पार्टी में सेंधमारी करने की राजनीति नहीं करते. अगर कोई पार्टी में शामिल होना चाहता है तो हम उसे भगा तो सकते नहीं हैं. उन्होंने सवाल किया कि जब 2022 में कांग्रेस के नेता एसपी में शामिल हो रहे थे तो एसपी उन्हें भगा दी थी. राजनीति में ऐसा नहीं होता है.
समाजवादी पार्टी के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस अपने आप को इंडिया गठबंधन समझ रही है. जबकि हकीकत ये है कि वो भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. एसपी नेता सुनील यादव ने कहा कि "किसी पार्टी को हल्के में आंकना कांग्रेस को भारी पड़ेगा. बीजेपी को हराने के लिए हम निश्चित तौर एक साथ आएं हैं लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि हम विचारों से समझौता कर लें. कांग्रेस का जब कोर वोट बैंक (सवर्ण) उससे खिसका है तो वो अब दूसरे के वोट बैंक पर डेरा जमाने की कोशिश कर रही है."
दरअसल, कुछ महीने पहले एक खबर उड़ी थी कि समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने एक बयान दिया कि BSP दोबारा एसपी के साथ आ सकती है. हालांकि, इस बात का खंडन खुद मायावती ने किया था. लेकिन, जानकारों का कहना है कि आने वाले चुनाव में इस संभावना से नकारा नहीं जा सकता है. क्योंकि, जिस तरह से एसपी-बीएसपी में कांग्रेस को लेकर असुरक्षा का भाव उत्पन्न हुआ है, उससे तो यही लगता है कि अपनी जमीन बचाने के लिए एक बार फिर एसपी-बीएसपी साथ आ सकते हैं. क्योंकि, दोनों पार्टियों को मुस्लिम वोट बैंक को लेकर बीजेपी से कोई खतरा नहीं है. जो खतरा है वो कांग्रेस से ही है.
वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल का कहना है कि हिमाचल, कर्नाटक की जीत और एमपी, छत्तीसगढ़ में मिल रहे समर्थन से कांग्रेस उत्साहित है. हो सकता है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस का कुछ दूसरा ही रंग दिखे.
जिस तरह से अखिलेश यादव, कांग्रेस पर हमलावर नजर आ रहे हैं अगर समय रहते इसे ठीक नहीं किया गया तो निश्चित तौर पर यूपी में इंडिया गठबंधन की शक्ल बदलती नजर आएगी. एसपी-बीएसपी को कांग्रेस से उत्पन्न हुआ असुरक्षा का भाव 'इंडिया' गंठबंधन में दिखने लगा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक बार फिर एसपी-बीएसपी के एक होने की संभावना से नकारा नहीं जा सकता.
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