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मेरी आवाज ऊंची है-मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है,अमित शाह ने बताया-कब आता है गुस्सा?

अमित शाह ने सोमवार को दण्ड प्रक्रिया ( पहचान ) विधेयक 2022 पर लोकसभा को संबोधित किया.

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<div class="paragraphs"><p>संसद में अमित शाह</p></div>
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संसद में अमित शाह

(फोटो- संसद टीवी)

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लोकसभा में दण्ड प्रक्रिया ( पहचान ) विधेयक 2022 (Criminal Procedure Identification Bill 2022) पर चर्चा के दौरान अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि मैं कभी गुस्सा नहीं होता हूं. दरअसल, टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा कि उन्होंने इस तरह के किसी मैनुअल का मसौदा नहीं देखा है तो अमित शाह ने कहा कि नहीं देखेंगे, क्योंकि आप सरकार में नहीं हैं. अभी सरकार बना रही है. मैं बताऊंगा. सरकार में आप होते तो जरूर देखते दादा.

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अमित शाह ने आगे कहा, मैं कभी किसी को नहीं डांटता हूं. मेरी आवाज जरा ऊंची है. ये मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है. ना मैं गुस्सा होता हूं कभी. कश्मीर का सवाल आता है तो हो जाता हूं. बाकी गुस्सा नहीं होता हूं.

अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक के पीछे सरकार की मंशा कानून को और ज्यादा मजबूत करने की है. जो दोषी हैं उन्हें समाज के अंदर से अलग करके सुधरने का मौका देने के अलावा कुछ नहीं है. आंतरिक सुरक्षा लॉ एंड ऑर्डर मजबूत हो. यही हमारी मंशा है.

दरअसल, अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल पर चर्चा के दौरान लोक सभा में गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी के बीच तीखी बहस हुई थी. इस दौरान अधीर रंजन चौधरी के एक कथन पर गुस्सा जाहिर करते हुए शाह ने आक्रामक अंदाज में कहा था कि कश्मीर के लिए जान भी दे देंगे. सोमवार को विरोधी दलों ने इसी दिन को याद करते हुए शाह के गुस्से का जिक्र किया, जिसका जवाब शाह ने इस अंदाज में दिया.

इससे पहले, दण्ड प्रक्रिया ( पहचान ) विधेयक 2022 पर बोलते हुए शाह ने कहा कि यह यह बिल 1920 के बंदी शिनाख्त अधिनियम की जगह लेगा. बिल की उपयोगिता के बारे में बताते हुए शाह ने कहा कि बदलते समय, विज्ञान, दोष सिद्ध करने के लिए अदालतों के लिए जरूरी प्रमाण और जांच एजेंसियों के अधिकार बढ़ाने को लेकर यह नया विधेयक बहुत जरूरी है. इससे दोष सिद्ध करने में और सजा की दर बढ़ाने में मदद मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि,

1980 में विधि आयोग ने भी इस तरह का कानून बनाने का सुझाव भारत सरकार को भेजा था. जिस पर लंबे समय तक चर्चा होती रही. सत्ता में आने के बाद एनडीए सरकार ने इस पर राज्य सरकारों से चर्चा की, अन्य संबंधित पक्षों से भी बात की और इसके बाद सभी पहलुओं और दुनिया के कई देशों में लागू कानूनों का अध्ययन करने के बाद यह कानून लाया गया है.

शाह ने आगे कहा कि जब लोकसभा में हमारे साथी मंत्री अजय मिश्रा टेनी इसे पेश कर रहे थे तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए इसका विरोध किया गया था. उन्होंने कहा कि कुछ सांसदों की चिंता वाजिब है लेकिन इस विधेयक में उनकी चिंताओं की चिंता भी कर ली गई है.

शाह ने आगे कहा कि सरकार जेल के कैदियों के लिए भी एक मॉडल एक्ट बना रही है जो राज्य सरकारों को भेजा जाएगा, जिससे कई तरह की चिंताएं दूर हो जाएगी. उन्होंने बिल का विरोध करने वाले सांसदों से कहा कि इस बिल को समग्रता में देखने की जरूरत है क्योंकि बदलाव समय की मांग है.

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