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हिंदी दिवस के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी के जरिए पूरे देश को जोड़ने की अपील की है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर पहचान के लिए ‘एक देश-एक भाषा’ की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और ये पूरे देश को एकजुट करने की ताकत रखती है.
शाह के हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाए जाने के संकेत पर विपक्ष कि ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है. सभी नेताओं ने अपने क्षेत्र की भाषा का पक्ष लेते हुए हिंदी को न ‘थोपने’ की बात कही है. तमिलनाडु से डीएमके नेता ने कहा कि अमित शाह की कही बात से देश की एकता टूट सकती है.
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘‘हर भारतीय की मातृभाषा हिंदी नहीं है. क्या आप इस देश की विविधता और इस देश की कई सारी भाषाओं की खूबसूरती का प्रोत्साहन नहीं कर सकते? आर्टिकल 29 भारत के हर नागरिक को उसकी भाषा, संस्कृति और लिपि का अधिकार देता है. भारत, हिंदी, हिंदू और हिंदुत्व से बहुत बड़ा है..’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘हमें सभी भाषाओं और संस्कृतियों का समान रूप से सम्मान करना चाहिए. हम कई भाषाएं सीख सकते हैं लेकिन हमें अपनी मातृ-भाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए.’’
दक्षिण के दो बड़े नेता एमके स्टालिन और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमार स्वामी ने भी अमित शाह के बयान पर विरोध जताया है.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘देशभर में हिंदी दिवस मनाया जा रहा है. पीएम मोदी कन्नड़ दिवस कब मनाएंगे? जो कि भारतीय संविधान की एक अधिकारिक भाषा है’’
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाएंगे और सभी को अपनी मातृ भाषाओं का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए कहा जाएगा. इसके साथ ही ये भी कहा,
अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भी जिक्र किया, जिन्होंने यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली में हिंदी में भाषण दिया.
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Published: 14 Sep 2019,05:00 PM IST