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बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) पर कार्रवाई को लेकर पंजाबी अभिनेता और गायक दिलजीत दोसांझ पर बार-बार कटाक्ष किया. लेकिन, किसान आंदोलन के दौरान खुलकर जवाब देने वाले दिलजीत दोसांझ ने कंगना को कोई भी जवाब नहीं दिया. हालांकि, इस मामले में दिलजीत दोसांझ अकेले सिख कलाकर नहीं हैं जो संयम बरत रहे हैं, ऐसे कई सिख कलाकार हैं, जो इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देने में सावधानी दिखा रहे हैं.
हालांकि, ऐसा नहीं ही कि पंजाब में मौजूदा स्थिति पर सिख कलाकारों ने कुछ नहीं बोला, हां ये जरूर है कि उन्होंने इस पर बोलने पर स्पष्ट रूप से सतर्क रहे. अधिकांश सिख कलाकारों ने सोशल मीडिया जैसे इंस्टाग्राम स्टोरी के जरिए अपने विचार पोस्ट किए, जो केवल 24 घंटों के लिए ही प्लेटफॉर्म पर लाइव रहता है. कुछ अपवादों को छोड़ दें तो अधिकांश कलाकारों ने अपने शब्दों के चयन में सावधानी बरती.
दिलजीत दोसांझ ने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी पोस्ट करते हुए लिखा, 'मेरा पंजाब जिये और समृद्ध हो'.
इसके अलावा इंस्टाग्राम स्टोरीज पर एपी ढिल्लों, तरसेम जस्सर, शैरी मान और हिम्मत संधू के पोस्ट इसी तर्ज पर थे.
कनाडा के रहने वाले गायक और रैपर शुभ ने भी 'पंजाब के लिए प्रार्थना' पोस्ट किया, लेकिन पुलिस की कथित ज्यादतियों की ओर इशारा करते हुए सृष्टि मान ने मोहाली के सोहना गुरुद्वारे में पुलिस द्वारा विरोध प्रदर्शन को बलपूर्वक हटाने की निंदा की.
करण औजला ने पूछा 'क्या दोष है पंजाब और पंजाब की माताओं का?'
जैज धामी और वजीर पातर दो कलाकार थे जिन्होंने कड़े शब्दों में अपनी बात रखी. धामी ने ट्विटर के जरिए सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया.
पातर ने पंजाब में वायरल हो रहे एक पोस्ट में अमृतपाल सिंह और बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम के प्रति सरकार के रवैये की तुलना की है.
किसान आंदोलन और अमृतपाल पर कार्रवाई, इन दोनों परिस्थितियों में अंतर है. किसान आंदोलन ने पूरे पंजाब राज्य को आंदोलित कर दिया था, लेकिन अमृतपाल पर चल रही कार्रवाई पर प्रतिक्रिय कुछ सीमित वर्गों से ही है.
लेकिन इससे भी बढ़कर, पंजाबी कलाकारों में डर का माहौल भी है. यह कई कारणों से है. सबसे पहले निश्चित रूप से सिद्धू मूसेवाला की हत्या हुई जिसके बाद कई कलाकार वास्तव में अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित हो गए.
उदाहरण के लिए, गायक श्री बराड़ ने दावा किया कि जब से उन्होंने बंदी सिंह, सिखों की रिहाई या वो सिख जो अपने जीवन काल से परे आतंकवाद के आरोपों के तहत जेल में हैं, उनके पक्ष में गाया है, तब से उन्हें धमकियां मिल रही हैं.
रंजीत बावा ने 1980 के दशक और 1990 के दशक की शुरुआत के दर्दनाक दौर के बारे में गाया है. 2020 में, उन्हें जातिवाद पर अपने गीत के लिए हिंदुत्व समर्थक सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं से ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा.
दिलजीत दोसांझ पर भी आयकर के छापे की खबरें आई थीं, लेकिन बाद में उन्होंने इन खबरों का खंडन किया था.
हालांकि, कई पंजाबी कलाकार जो अमृतपाल सिंह से सहमत नहीं हैं, लेकिन वो बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी, छापे और इंटरनेट सेंसरशिप को लेकर चिंता हैं. और कुछ लोग सार्वजनिक स्टैंड लेने से पहले जनता का मूड भांपने की भी कोशिश कर रहे हैं.
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