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आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) की वाई एस जगनमोहन रेड्डी की सरकार ने पिछले साल ‘विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक’ को विधानसभा द्वारा पारित किया था, जिसके तहत आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियां स्थापित होनी थीं.
एक्ट के मुताबिक विशाखापत्तनम एक्जेक्यूटिव कैपिटल के रूप में, अमरावती लेजिस्लेटिव कैपिटल के रूप में और कुरनूल जुडिसियल कैपिटल के रूप में बनाने की योजना सरकार द्वारा बनाई जा रही थी.
इसी के साथ विधानसभा द्वारा आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम-2014 को निरस्त करने के लिए एक कानून पारित किया गया, जो तत्कालीन तेलुगु देशम पार्टी के शासन के दौरान अमरावती में एक नई राजधानी बनाने के लिए लाया गया था.
वाई एस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने इस अधिनियम से संबंधित तर्क दिया था कि वह राज्य के अन्य हिस्सों की उपेक्षा करते हुए केवल राजधानी के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के खिलाफ थी.
कई समितियों द्वारा तीन राजधानियों इसकी सलाह देने वाली रिपोर्टों का हवाला देते हुए सरकार ने तर्क दिया था कि तीन राजधानियां होना एक विकेन्द्रीकृत विकास योजना का हिस्सा है.
सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम को राजनीतिक तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को अमरावती में एक राजधानी शहर विकसित करने के दावे को रोकने के रूप में देखा गया था.
विधानसभा द्वारा विधेयक पारित होने के तुरंत बाद, अमरावती क्षेत्र के किसानों ने कोर्ट जाने का फैसला किया, जो बड़े पैमाने पर विकास और राजधानी बनने के बाद अपनी जमीन पर भारी रिटर्न की उम्मीद कर रहे थे.
तीन राजधानियों के बीच समन्वय में व्यावहारिक रसद समस्याएं भी सरकार की योजना के काउंटर के रूप में सामने आईं.
कुछ याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार पर टैक्स-पेयर्स के पैसों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए तर्क दिया कि अमरावती में पहले से ही महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा चुका है. इसके बाद दो और राजधानियों के बनने से सरकारी खजाने को और अधिक नुकसान हो सकता है.
सोमवार, 22 नवंबर को विधानसभा में सरकार द्वारा लिए गए फैसले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने कहा कि हम मानते हैं कि आंध्र प्रदेश में राजधानी के विकेंद्रीकरण की बहुत आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि हम पेश किए गए विधेयक को वापस ले लेंगे और उन सभी मुद्दों पर विचार करेंगे जो हमारे संज्ञान में लाए गए हैं. साथ ही विधानसभा में एक पूर्ण, व्यापक और बेहतर विधेयक के साथ वापस आएंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार विधेयक को वापस ले रही है ताकि हम इसका एक अच्छा वर्जन ला सकें, जो कानूनी मुद्दों का ध्यान रखे और आंध्र प्रदेश के सभी क्षेत्रों के लोगों को कानून को उद्देश्य भी समझ आ सके.
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