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नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. ओवैसी के अलावा असम के विपक्षी नेता देबब्रत साकिया और बारपेटा के लोकसभा सांसद अब्दुल खालिक ने भी याचिका दाखिल की.
बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने 9 दिसंबर को लोकसभा में नागरिकता बिल का विरोध करते हुए विधेयक की कॉपी फाड़ दी थी. ओवैसी ने कहा कि ये विधेयक इसलिए लाया गया है ताकि देश का दोबारा से विभाजन हो सके. ओवैसी ने इस विधेयक को हिटलर के कानून से भी बदतर बताया था.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने आरोप लगाया है कि ये संविधान के अंतर्गत निहित मूलभूत अधिकारों पर हमला है. याचिका में कहा गया है कि यह अधिनियम अवैध अप्रवासियों के जांच के स्थान पर इसे बढ़ावा देता है और यह राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर से जुड़ा हुआ है.
इससे पहले नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सबसे पहले इंडियन मुस्लिम लीग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया. इस याचिका में भी इस कानून का विरोध किया गया है और इसे खत्म करने की मांग की गई है.
ये कानून सिटिजनशिप एक्ट, 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. सिटिजनशिप एक्ट, 1955 के तहत कोई भी ऐसा व्यक्ति भारतीय नागरिकता हासिल कर सकता है जो भारत में जन्मा हो या जिसके माता/पिता भारतीय हों या फिर वह एक तय समय के लिए भारत में रहा हो. एक्ट में नागरिकता देने के और भी प्रावधान हैं. हालांकि यह एक्ट अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से रोकता है.
नागरिकता संशोधन कानून 2019, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए 6 धर्म (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) के लोगों को इस प्रावधान में ढील देने की बात करता है. इस ढील के तहत 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई (इन धर्मों के अवैध प्रवासी तक) के लिए 11 साल वाली शर्त 5 साल कर दी गई है.
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Published: 14 Dec 2019,04:48 PM IST