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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ने और राहुल गांधी के एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के बयान ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है. राहुल के बयान ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर गहलोत अध्यक्ष बनते हैं तो उनको मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा, ऐसी स्थिति में राजस्थान में कांग्रेस सरकार का बना रहना पार्टी के लिए बड़ा टॉस्क रहेगा.
सचिन पायलट भी इस बात को जानते हैं कि विधायकों की संख्या अपने पक्ष में करे बिना मुख्यमंत्री पद तक पहुंचना आसान नहीं है. इसलिए पायलट ने विधायकों के बीच लॉबिग शुरू कर दी है.
राजस्थान में कांग्रेस सरकार केवल पार्टी के विधायकों के भरोसे नहीं है. निर्दलीय और बीएसपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए विधायक सरकार को बनाए रखने में अहम किरदार निभा रहे हैं. गहलोत के हटने की चर्चा के साथ ही कांग्रेस में उनक समर्थक विधायक तो सक्रिय हो ही गए हैं, साथ निर्दलीय विधायक भी मुखर होते नजर आ रहे हैं.
ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में मुख्यमंत्री पद को लेकर राजस्थान के विधायकों के बीच एक बार फिर से वहीं शक्ति प्रदर्शन देखने को मिलेगा जो सरकार के गठन के समय हुआ था. यह भी तय माना जा रहा है कि गहलोत खुद या उनका खेमा अपनी तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए नाम आगे करेगा.
कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर कहते हैं गहलोत का अध्यक्ष बनना लगभग तय है, उनके नेतृत्व में ही राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 लड़ा जाता है तो प्रदेश में फिर से कांग्रेस सरकार ही आएगी. बात करें एक पद एक पार्टी की तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए यह फॉर्मूला लागू नहीं होता है. यह भी जरूरी है कि राजस्थान सरकार स्थायी रूप से चलती रहे.
कांग्रेस विधायक दल के उपसचेतक महेंद्र सिंह चौधरी कहते हैं कि 'अगर गहलोत दोनों पदों पर रहते हैं तो यह कोई नई बात नहीं है. क्योंकि बात करें आम आदमी पार्टी की तो खुद अरविंद केजरीवाल पार्टी अध्यक्ष भी हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री भी हैं. कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने और राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के मुद्दे पर कहा कि विधायकों की राय से सीएम का फैसला होगा.
पुराना कांग्रेसी परिवार जो गहलोत की हर सरकार में उनके मुख्य सहयोग मंत्री हैं. तेजतर्रार होने की वजह से विपक्ष पर उनका दबदबा भी है. साफ छवि के हैं और बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले हाड़ौती में कद्दावर नेता हैं और वो जैन समाज से आते हैं.
पुष्करण ब्राह्रम्ण हैं और गहलोत की हर सरकार में प्रमुख विभागों को संभालते हैं. छह बार से विधायक हैं और गहलोत के यस मैन माने जाते हैं.
संगठन के साथ लंबे अर्से से राजनीति कर रहे हैं. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व तक उनकी अलग पहचान है, केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं. तेज तरोर्ट और स्वच्छ छवि के नेता माने जाते हैं. अभी हाल ही में गहलोत सरकार पर आए संकट को टालने में पर्दे के पीछे से अहम भूमिका निभाई थी.
(इनपुट- पंकज सोनी)
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