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रविवार को राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खेमे से खबर आई कि करीब 30 विधायक उनके साथ हैं और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है. इसके अगले ही दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों के साथ विक्ट्री साइन दिखा दिया. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, गहलोत के मीडिया एडवाइजर का दावा है कि जयपुर में सोमवार को मुख्यमंत्री के आवास पर हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में 100 से ज्यादा विधायक शामिल हुए. बता दें कि 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 101 का है.
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि राजस्थान के रण में अशोक गहलोत के किले पर हमला हुआ था या शतरंज की गोटियां उन्होंने खुद सजाई थीं?
बीजेपी के नेता ये बात कह रहे हैं तो इसकी एक वजह ये हो सकती है कि दरअसल गहलोत राज्यसभा चुनाव के बाद से ही पूरी तरह सचेत थे. इससे पहले भीतर और बाहर के विरोधी हमला बोलते उन्होंने एक्शन ले लिया था. उसका असर अब देखिए, एक तो उनके साथ बहुमत लायक विधायक दिख रहे हैं, दूसरा केंद्रीय नेतृत्व ने पायलट को दो टूक कह दिया है कि घर न तोड़िए, नाराजगी है तो बात कीजिए.
राजस्थान में मौजूदा सियासी उठापठक के तार काफी हद तक जून में हुए राज्यसभा चुनाव से जुड़े हुए हैं. तीन सीटों पर हुए इस चुनाव से पहले कांग्रेस ने कुछ विधायकों को प्रलोभन दिए जाने का आरोप लगाया था. पार्टी की तरफ से इसकी शिकायत राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल (एसओजी) से की गई थी. उस वक्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्य में विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है और करोड़ों रुपये की नकदी जयपुर स्थानांतरित हो रही है.
इसके बाद हाल ही में राजस्थान में सियासी हलचल तब अचानक तेज हो गई, जब एसओजी ने राज्य में विधायकों की खरीद फरोख्त और निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के आरोपों में शुक्रवार को एक मामला दर्ज किया. बताया जा रहा है कि एसओजी ने दो मोबाइल नंबरों की निगरानी से सामने आई जानकारी के आधार पर यह मामला दर्ज किया था.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह मामला आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया.
एसओजी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और चीफ व्हिप को इस मामले में बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजकर उनका समय मांगा था.
यहीं से सरकार की स्थिरता को लेकर गहलोत की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गईं. ऐसे में गहलोत ने इस मामले पर रविवार को ट्वीट कर कहा, ''एसओजी को जो कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी नेताओं द्वारा खरीद-फरोख्त की शिकायत की थी उस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप, अन्य कुछ मंत्री और विधायकों को सामान्य बयान देने के लिए नोटिस आए हैं. कुछ मीडिया द्वारा उसको अलग ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है.''
हालांकि, गहलोत का भी बयान दर्ज करने के लिए उन्हें नोटिस जारी किए जाने के बारे में कई मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि मुख्यमंत्री को नोटिस सिर्फ एक ‘‘छलावा’’ है, ताकि उपमुख्यमंत्री को एसओजी द्वारा तलब और अपमानित किया जा सके.
शनिवार तक गहलोत तेज हुई सियासी हलचल के बीच काफी मजबूत दिख रहे थे. उन्होंने बीजेपी को किनारे करने की अपनी रणनीति भी बरकरार रखी.
गहलोत ने शनिवार को बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा था,‘‘कोरोना वायरस संक्रमण के वक्त में बीजेपी के नेताओं ने मानवता और इंसानियत को ताक पर रख दिया है... ये लोग सरकार गिराने में लगे हैं. ये लोग सरकार कैसे गिरे, किस प्रकार से तोड़-फोड़ करें ... खरीद फरोख्त कैसे करें ... इन तमाम काम में लगे हैं.’’
उधर, गहलोत सरकार को अस्थिर करने की कोशिशों के तहत विधायकों को प्रलोभन दिए जाने के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने शनिवार को ही तीन निर्दलीय विधायकों के खिलाफ प्राथमिक जांच (पीई) भी दर्ज की. इस तरह गहलोत सरकार बगावत को टालने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ ही रही थी, मगर पायलट की नाखुशी ने पूरे मामले की दिशा ही बदलकर रख दी. हालांकि, माना जा रहा है कि पायलट की नाखुशी से पैदा हुए सियासी संकट के बाद गहलोत का कद और मजबूत हुआ है.
राजस्थान की कांग्रेस सरकार को अस्थिर किए जाने की कोशिश के आरोपों पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने शनिवार को कहा था, ‘‘यह कांग्रेस की अंतरकलह है, आंतरिक झगड़ा है. हम तो कांग्रेस के इस खेल में दर्शकभर हैं.’’
वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष के विधायकों और बाकी जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करवा रही है.
गहलोत के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, ''राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी फिल्म के एक्टर, विलेन और स्क्रिप्ट राइटर हैं. वह अपनी पार्टी के (प्रदेश) अध्यक्ष को किनारे करने के लिए बीजेपी के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं. मैं मांग करता हूं कि वह इस बात को सार्वजनिक करें कि उनके हिसाब से, कितने कांग्रेस विधायक बिकने के लिए तैयार हैं.''
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Published: 13 Jul 2020,03:12 PM IST