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देश के पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में इन विधानसभा चुनावों से पहले एक बार फिर नागरिकता कानून का मुद्दा जोर पकड़ रहा है. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के अपने चुनावी घोषणापत्र में ऐलान किया है कि पहली कैबिनेट में ही सीएए को लागू कर दिया जाएगा. लेकिन अब असम में एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है. असम के लिए बीजेपी का संकल्प पत्र जारी हुआ है, जिसमें कहा गया है कि एनआरसी लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जाएगा. साथ ही मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने माना है कि एनआरसी गलतियों से भरा पड़ा है.
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पार्टी का मेनिफेस्टो जारी होने के बाद एनआरसी और सीएए को लेकर बयान दिया. उन्होंने सीएए को लेकर कहा कि,
चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों के भत्ते को लेकर सोनोवाल ने कहा कि, चाय बागान मजदूरों के भत्ते में कोई समस्या नहीं है. बीजेपी ने अपने छोटे से कार्यकाल में 80 रुपये तक भत्ता बढ़ाने का काम किया. लेकिन कांग्रेस बताए कि सत्ता में रहने के दौरान उसने कितनी बार चाय के बागानों में काम कर रहे इन मजदूरों का भत्ता बढ़ाया?
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने असम चुनावों के लिए अपना संकल्प पत्र जारी किया. जिसमें तमाम वादे किए गए हैं. बीजेपी ने अपने इस घोषणा पत्र में 10 संकल्प रखे हैं. जिसमें गरीब परिवारों को आर्थिक मदद देने, 10 लाख नौकरियां पैदा करने, बाढ़ को रोकने के उपाय, अवैध निर्माण को हटाने जैसे कई वादे शामिल हैं. इसके अलावा नड्डा ने भी एनआरसी का जिक्र किया, उन्होंने कहा कि,
इसके अलावा नड्डा ने ये भी वादा किया है कि असम के राजनीतिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए परिसीमन की प्रक्रिया को शुरू करेंगे. असम परिसीमन से पीछे रह गया है, इसीलिए अब इसे आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा.
पश्चिम बंगाल के साथ असम में भी विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी एक बार फिर राज्य में सरकार बनाने का दावा कर रही है. लेकिन एनआरसी को लेकर राज्य में लगातार बीजेपी का विरोध हो रहा है, असम पहला ऐसा राज्य है जहां पर सरकार ने एनआरसी को लागू किया और इसकी लिस्ट भी जारी की गई. जिसमें लाखों लोगों को विदेशी करार दे दिया गया. इस लिस्ट में कई ऐसे लोगों के नाम भी शामिल कर दिए गए, जो भारत के ही नागरिक थे. तमाम गलतियों के बाद अब इन्हें सुधारने की बात कही जा रही है.
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