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जवाहर लाल नेहरू के भाजपाई ‘आलोचक’ जरा वाजपेयी का ये भाषण पढ़ लें

मौजूदा सरकार के लिए बड़ा सबक है इस भाषण में

नीरज गुप्ता
पॉलिटिक्स
Updated:
साल 1996 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हुए अटल बिहारी वाजपेयी.
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साल 1996 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हुए अटल बिहारी वाजपेयी.
(फोटो: ट्वीटर)

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बात साल 1994 की है. केंद्र में नरसिम्हा राव की गठबंधन सरकार थी. वरिष्ठ बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी लोकसभा में विपक्ष की सशक्त अवाज थे. 17 अगस्त के दिन उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान से नवाजा गया. उस मौके पर वाजपेयी ने सदन में एक भावुक भाषण दिया.

आजकल मौजूदा प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को जब-जब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर जुबानी हमला करते देखता हूं तो अटल जी का वो भाषण याद आता है.

साल 1957 में वाजपेयी पहली बार लोकसभा सांसद के तौर पर चुने गये. उस वक्त पंडित नेहरू प्रधानमंत्री भी थे और सदन के नेता भी. उन्हीं दिनों के एक किस्से का जिक्र करते हुए वाजपेयी कहते हैं:

(ग्राफिक्स: स्तुति मिश्रा)
(ग्राफिक्स: स्तुति मिश्रा)

उस वक्त कहे गए पंडित नेहरू के शब्दों को बताते हुए वाजपेयी कहते हैं:

(ग्राफिक्स: स्तुति मिश्रा)
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साल 2018 का बजट सत्र याद कीजिए. काम के घंटों के लिहाज से ये बजट सत्र साल 2000 के बाद से अब तक यह सबसे खराब बजट सत्र रहा। दो हिस्सों में 45 दिन चले सत्र में लोकसभा में सिर्फ 34 घंटे और राज्यसभा में कुल 53 घंटे काम हुआ. पूरे सत्र में सिर्फ दो बिल पास हुए और दर्जनों पर चर्चा तक नहीं हो पाई.

सदन चलाना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन वो विपक्ष पर ही ठीकरा फोड़ती रही. तो बीजेपी की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार को अपने सबसे वरिष्ठ नेता वाजपेयी जी के उसी भाषण का ये हिस्सा भी सुनना चाहिए:

(ग्राफिक्स: स्तुति मिश्रा)

मौजूदा वक्त में जब सरकार विपक्ष से तालमेल के बजाए दो-दो हाथ करने पर आमादा रहती हो और सोशल मीडिया के सैनिक असहयोग को बगावत का सर्टिफिकेट देते हों तब वाजपेयी जी का ये भाषण बार-बार सुनने और पढ़े जाने की जरूरत है.

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Published: 12 Jun 2018,05:14 PM IST

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