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बात साल 1994 की है. केंद्र में नरसिम्हा राव की गठबंधन सरकार थी. वरिष्ठ बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी लोकसभा में विपक्ष की सशक्त अवाज थे. 17 अगस्त के दिन उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान से नवाजा गया. उस मौके पर वाजपेयी ने सदन में एक भावुक भाषण दिया.
आजकल मौजूदा प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को जब-जब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर जुबानी हमला करते देखता हूं तो अटल जी का वो भाषण याद आता है.
साल 1957 में वाजपेयी पहली बार लोकसभा सांसद के तौर पर चुने गये. उस वक्त पंडित नेहरू प्रधानमंत्री भी थे और सदन के नेता भी. उन्हीं दिनों के एक किस्से का जिक्र करते हुए वाजपेयी कहते हैं:
उस वक्त कहे गए पंडित नेहरू के शब्दों को बताते हुए वाजपेयी कहते हैं:
सदन चलाना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन वो विपक्ष पर ही ठीकरा फोड़ती रही. तो बीजेपी की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार को अपने सबसे वरिष्ठ नेता वाजपेयी जी के उसी भाषण का ये हिस्सा भी सुनना चाहिए:
मौजूदा वक्त में जब सरकार विपक्ष से तालमेल के बजाए दो-दो हाथ करने पर आमादा रहती हो और सोशल मीडिया के सैनिक असहयोग को बगावत का सर्टिफिकेट देते हों तब वाजपेयी जी का ये भाषण बार-बार सुनने और पढ़े जाने की जरूरत है.
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Published: 12 Jun 2018,05:14 PM IST