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राजस्थान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' (Bharat Jodo Yatra) 16 दिन बाद चलने के बाद बुधवार को हरियाणा में प्रवेश कर गई. यात्रा ने 4 दिसंबर को झालावाड़ जिले से राजस्थान में प्रवेश किया था. राजस्थान में राहुल ने यात्रा का 521 किलोमीटर का सफर तय किया है. वहीं राहुल ने अपनी यात्रा के हर पड़ाव में एकजुटता का संदेश देते नजर आए. राजस्थान में राहुल की यात्रा से कांग्रेसी उत्साहित है. लम्बे अर्से बाद पार्टी सक्रिय दिखाई दी. लेकिन कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष अपने पीछे अभी भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) की एकजुटता का सवाल तैरता छोड़ गए है.
राजस्थान में राहुल की यात्रा के दौरान इस विवाद को लेकर जब भी सवाल उठा तो राहुल यह कह कर टाल गए कि कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है, ये सब चलता रहता है. यानि ये प्रश्न अनुत्तरित ही रहा, कि राजस्थान कांग्रेस में भविष्य का नेता कौन है? क्या कांग्रेस सरकार के अंतिम साल में बदलाव होगा? ऐसा नहीं है कि, राहुल के पास राजस्थान के मर्ज की जानकारी नहीं थी. चार दिसंबर को राजस्थान में प्रवेश करते ही राहुल ने इस मर्ज के इलाज करने के संकेत दे दिए थे. राजस्थान मध्यप्रदेश बार्डर पर वैलकम सभा में गहलोत (Gehlot) और सचिन (Sachin) के साथ राहुल का डांस चर्चाओं में रहा. ऐसा दृश्य प्रदेश में पहले किसी भी कांग्रेस कार्यकर्ता ने नहीं देखा था, तब भी नहीं जब 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
अनजाने में ही दी गई हो लेकिन राहुल की ये थैरपी काम करती नजर आए. बयानों और आपसी खींचतान के माहौल से दूर गहलोत (Gehlot), पायलट (Pilot) और उनका गुट राहुल के साथ कदमताल करता नजर आया. जनता और कार्यकर्ताओं की भी ऐसी भीड़ उमड़ी कांग्रेस नेता गदगद दिखाई दिए. गहलोत, पायलट एक ही चार्टर प्लेन से हिमाचल प्रदेश के सीएम के शपथग्रहण समारोह में भी शामिल हुए. लेकिन इस बीच भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दौसा में पायलट को सीएम बनाने की नारेबाजी भी हुई. दौसा में यात्रा में उमड़ी भीड़ को पायलट के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया तो वहीं कोटा में गहलोत समर्थक और 25 सितंबर को अलग से विधायकों की मीटिंग बुलाने पर एआईसीसी का नोटिस झेल रहे मंत्री शांति धारीवाल ने भी जनाधार से शक्ति प्रदर्शन किया.
राजस्थान में 25 सितंबर के घटनाक्रम के बाद से ही प्रदेश को लेकर अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है. इस घटनाक्रम में गहलोत गुट के निशाने पर रहे अजय माकन की जगह राहुल के राजस्थान यात्रा की शुरुआत में प्रदेश प्रभारी के तौर पर पंजाब के कद्दावर नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा की नियुक्ति की गई है. सुखजिंदर की नियुक्ति गहलोत गुट के माकन पर लगाए गए आरोपों के बाद के एक्शन से जोड़ कर देखी जा रही है. राहुल के बाद रंधावा के लिए दोनों नेताओं को एक साथ लेकर चलना चुनौती माना जा रहा है.
राहुल (Rahul) ने 'भारत जोड़ो यात्रा' (Bharat Jodo Yatra) की राजस्थान में अंतिम बड़ी सभा अलवर के मालाखेड़ा में सत्ता वापसी का फार्मूला भी खुले मंच से बताते हुए गहलोत सरकार के कामकाज को लेकर सियासी संदेश दिया. राहुल ने कहा कि उनके साथ जब राजस्थान के नेता 25 किलोमीटर चल सकते है तो सरकार के मंत्री क्यों नहीं?
जनता के बीच पदयात्रा निकालते है. जनता से जुड़ाव भी रहेगा और सेहत भी ठीक रहेगी. अप्रत्यक्ष तरीके से राहुल ने गहलोत के मंत्रियों को जनता के बीच जाने का संदेश देते हुए ये भी जता दिया कि आमजन से सरकार का जुड़ाव कम है. वहीं राहुल ने अलवर जिले में राजस्थान के अपने अंतिम पड़ाव में गहलोत और पायलट के साथ बंद कमरे में चर्चा की. एक घंटे तक चली इस चर्चा को लेकर माना जा रहा है कि मामला दोनों नेताओं के बीच सियासी सुलह का रहा. लेकिन इस वार्ता का परिणाम आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा.
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