advertisement
हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने रोहतक की परिवर्तन रैली में आर्टिकल 370 पर मोदी सरकार के फैसले का समर्थन कर दिया. ऐसा करके उन्होंने कांग्रेस आलाकमान को अपनी नाराजगी जाहिर कर दी. उन्होंने यह संकेत भी दे दिया कि अगर पार्टी ने उन्हें फिर तवज्जो नहीं दी तो वह नई पार्टी भी बना सकते हैं. लोकसभा चुनाव में भूपिंदर सिंह हुड्डा और बेटे दीपेंदर सिंह हुड्डा दोनों चुनाव हार गए थे. इसके बाद पार्टी आलाकमान उनसे नाराज था. लेकिन हुड़्डा ने रैली में प्रेशर पॉलिटिक्स का दांव खेल कर आलाकमान को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
हुड्डा ने रविवार को रोहतक की रैली में कहा, ‘’जब सरकार कोई अच्छा काम करती है तो मैं उसका समर्थन करता हूं. मेरे कई साथियों ने आर्टिकल 370 हटाने का विरोध किया. हमारी पार्टी रास्ते से भटक गई है. यह अब वो कांग्रेस नहीं है, जिसमें मैं रहा हूं. जब देशभक्ति और आत्मसम्मान की बात आती है तो मैं किसी चीज से समझौता नहीं करता हूं. मैं देशभक्ति की भावना में रमे परिवार में जन्मा हूं. जम्मू-कश्मीर पर फैसलों का विरोध करने वालों से कहता हूं कि उसूलों पर जहां आंच आए, वहां टकराना जरूरी है, जो जिंदा है तो जिंदा दिखना जरूरी है.
हुड्डा ने इस रैली में दोतरफा वार किया. एक तरह उन्होंने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का समर्थन कर अपनी पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश तो दूसरी ओर खट्टर सरकार से पांच साल के कामकाज का हिसाब पूछ कर वोटरों को अपने पाले में करने की कवायद शुरू कर दी. खट्टर सरकार को ललकारते हुए उन्होंने कहा
हुड्डा ने कहा कि उनकी सरकार बनी तो चार उपमुख्यमंत्री बनाएंगे. एक ओबीसी, एक अनुसूचित जाति, एक ब्राह्मण और एक अन्य किसी वर्ग से. उन्होेंने कहा कि आज हरियाणा बर्बादी की ओर है.आज किसान तबाही की ओर है और बेरोजगारी बढ़ रही है.
हुड्डा ने कहा, अगर उनकी सरकार बनी तो आंध्र प्रदेश के तहत यहां भी स्थानीय नौकरियों में हरियाणा के लोगों के लिए 75 फीसदी आरक्षण होगा. उन्होंने बुजुर्गों का पेंशन पांच हजार रुपये करने का भी वादा किया. साथ ही कहा कि हरियाणा रोडवेज में महिलाओं की यात्रा फ्री करेंगे. गरीबों के लिए चार लाख घर बना कर दिए जाएंगे. दलित बच्चों को आठवीं तक 500, 12वीं तक 1000 और उससे ऊपर 1500 रुपये देंगे.
हुड्डा ने यह रैली अपने दम पर बुलाई थी. इसे कांग्रेस नेताओं की अनुमति नहीं मिली थी. हुड्डा की ओर से बुलाई आयोजित इस रैली को लेकर तरह-तरह की अटकलें लग रही हैं. कहा जा रहा है कि रैली कांग्रेस को अल्टीमेटम थी. वह अपनी नई पार्टी बना सकते हैं. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि इस रैली के बाद हुड्डा एक कमेटी की घोषणा कर सकते हैं. जो कुछ समय में यह रिपोर्ट देगी कि भविष्य के लिए क्या कदम उठाना उचित होगा. लेकिन कुछ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की अंतरिम चीफ सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात हो चुकी है. चूंकि अब हरियाणा में दो महीने के भीतर चुनाव होने हैं इसलिए शायद वह नई पार्टी न बनाएं.
हरियाणा में लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस आलाकमान उन्हें दरकिनार किए हुए था. कांग्रेस उन्हें नेतृत्व सौंपने में हिचकिचा रही है. वहीं दूसरी ओर भूपिंदर सिंह हुड्डा और बेटे दीपेंदर सिंह हुड्डा की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.उसी वक्त से यह चर्चा शुरू हो गई थी कि दोनों खुद को दरकिनार किए जाने की वजह से आलाकमान को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं.
लोकसभा चुनाव में भूपिंदर और दीपेंदर दोनों हार चुके हैं. पार्टी को यहां एक भी सीट नहीं मिली है. अब कांग्रेस आलाकमान वहां भूपिंदर को उतना तवज्जो नहीं देना चाहता. जबकि वे चाहते हैं कि आलाकमान उन्हें पंजाब में कैप्टन अमरिंदर की तरह ताकत दे. पार्टी को लगता है कि इस हार ने राज्य में उसका भविष्य और कमजोर बना दिया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 18 Aug 2019,07:00 PM IST