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बिहार (Bihar) की नई सरकार में यादवों का दबदबा दिखेगा. नीतीश सरकार की नई कैबिनेट में 7 यादव विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है. इतना ही नहीं, विधानसभा अध्यक्ष के लिए भी यादव का ही चेहरा चुना गया है. तेजस्वी यादव ने लालू प्रसाद के मुस्लिम-यादव (माय) समीकरण को साधते हुए सभी वर्गों को प्राथमिकता दी है. नई सरकार में जेनरेशन का अंतर भी दिख रहा है.
नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए 31 विधानमंडल सदस्यों को मंत्री बनाया है. सभी दलों ने जातीय समीकरण का भी पूरा ध्यान रखा है. कोशिश की गई है कि हर जाति को मंत्रिमंडल में जगह मिले. विशेषकर आरजेडी और जेडीयू की ओर से इसका ध्यान रखा गया है कि उनके दलों से जितने भी मंत्री बन रहे हैं उसमें सभी जाति के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जाए. सबसे ज्यादा यादव बिरादरी से मंत्री बनने के कारण यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार को मंत्री बनाकर कुर्मी को ताज और यादवों की भरमार वाली स्थिति है.
नीतीश मंत्रिमंडल में जातीय संख्या को देखा जाए तो सबसे ज्यादा आठ यादव मंत्री बने है. आरजेडी ने सात जबकि जेडीयू ने एक यादव को मंत्री पद दिया है. वहीं नीतीश कुमार के अलावा कुर्मी जाति से 1 मंत्री बने हैं. दलित समुदाय को मंत्रिमंडल में छह संख्या के साथ बड़ी हिस्सेदारी मिली है.
इसमें आरजेडी के दो, जेडीयू के दो जबकि हम और कांग्रेस के एक –एक दलित मंत्री बने हैं. स्वर्ण समुदाय में सबसे ज्यादा राजपूत समाज के तीन मंत्री बने हैं, जिसमें RJD और JDU से एक-एक जबकि निर्दलीय से एक राजपूत को मंत्री बनाया गया है. भूमिहार से दो मंत्री बने हैं, जिसमें RJD और JDU के 1-1 मंत्री हैं, वहीं ब्राह्मण समुदाय से सिर्फ एक मंत्री JDU से बने हैं.
तेज प्रताप यादव
आलोक मेहता
अनिता देवी
सुरेंद्र यादव
चंद्रशेखर यादव
ललित यादव
रामानंद यादव
सुधाकर सिंह
कुमार सरबजीत
जितेंद्र राय
कार्तिकेय सिंह
समीर महासेठ
शहनवाज आलम
मोहम्मद शमीम
इसराइल मंसूरी
सुरेंद्र राम
(इनपुट-तनवीर आलम)
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Published: 16 Aug 2022,01:06 PM IST