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जातीय जनगणना (caste census) की मांग को लेकर बिहार के राजनीतिक दल पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. दिल्ली दौरे पर आये सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने एक बार फिर अपनी जातीय जनगणना की मांग को जायज करार देते हुए कहा कि देश के विकास में इससे सहूलियत होगी और यह देशहित में है.
इससे पहले 23 सितंबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में साफ कह दिया है कि जनगणना में ओबीसी जातियों की गिनती एक लंबा और कठिन काम है इसलिए 2021 की जनगणना में इसे शामिल नहीं किया जाएगा. महाराष्ट्र सरकार की तरफ से दायर याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने ये फैसला सोच समझकर लिया है.
नीतीश कुमार दिल्ली में नक्सलवाद को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में शामिल होने आये थें. बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने जातीय जनगणना की मांग दुहराई.
उन्होंने कहा कि अगर जाति आधारित जनगणना होगी तो ठीक से होगी, हर घर से जानकारी लेंगे.
सीएम नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि बिहार के सारी पार्टियों के लोगों ने जातीय जनगणना की मांग किया है. इस मुद्दे को बिहार विधानमंडल से सर्वसम्मति से पास किया गया है.
गौरतलब है कि इससे पहले शनिवार, 26 सितंबर को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना की मांग को लेकर देश की विभिन्न पार्टियों के 33 वरिष्ठ नेताओं को लेटर लिखा था. देशभर के गैर-बीजेपी पार्टी के नेताओं की उनकी सूची में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, प्रकाश सिंह बादल, मायावती और चिराग पासवान भी हैं.
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को आज ज्ञापन सौंपा.
हाल ही में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने ओबीसी और ईबीसी की गणना नहीं करने के लिए एक "सचेत नीतिगत निर्णय" लिया था और उसने इसे "प्रशासनिक रूप से बोझिल" माना था.
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