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बिहार: छठे चरण में करीब 55% वोटिंग- 2019 से 3% कम, किसको फायदा-किसको नुकसान?

Bihar Lok Sabha Election 2024: छठे चरण में वाल्मीकि नगर, वैशाली, सीवान सहित प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ.

मोहन कुमार
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>लोकसभा चुनाव छठा चरण: बिहार की 8 सीटों पर हुआ मतदान</p></div>
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लोकसभा चुनाव छठा चरण: बिहार की 8 सीटों पर हुआ मतदान

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के छठे चरण में बिहार (Bihar) की 8 लोकसभा सीटों- वाल्मीकि नगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज पर वोटिंग हुई. चुनाव आयोग के अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, शाम 6 बजे तक 55 फीसदी वोट पड़े. पश्चिम चंपारण सीट पर सबसे ज्यादा 60 फीसदी और गोपालगंज सीट पर सबसे कम 51 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.

चलिए आपको बताते हैं कि इस वोटिंग पर्सेंटेज के क्या मायने हैं? 2014 से लेकर अभी तक के चुनावों में क्या ट्रेंड दिख रहा है?

मतदान प्रतिशत पर एक नजर

  • वाल्मीकि नगर- 58%

  • पश्चिम चंपारण- 60%

  • पूर्वी चंपारण- 57%

  • शिवहर- 56%

  • वैशाली- 59%

  • गोपालगंज- 51%

  • सीवान- 53%

  • महाराजगंज- 51%

ये अनुमानित आंकड़े शाम 6 बजे तक के हैं. इसमें बदलाव हो सकता है. चुनाव आयोग के मुताबिक, वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र के 2 केंद्रों पर चुनाव का बहिष्कार हुआ है.

वोटिंग खत्म होने के साथ ही छठे चरण में कुल 86 उम्मीदवारों की किस्मत EVM में कैद हो गई. इनमें 8 महिलाएं भी शामिल हैं. मुख्य रूप से इन 8 सीटों पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) और भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन (इंडिया) के बीच टक्कर है. सीवान में दिवंगत बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

2014-24 तक कैसा रहा वोटिंग ट्रेंड?

पिछले बार के मुकाबले इस बार छठे चरण की वोटिंग में करीब 3 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है. चुनाव आयोग के मुताबिक, 2019 में जहां 58 फीसदी मतदान दर्ज हुआ था. इस बार 55 फीसदी वोटिंग हुई है. वहीं 2014 में 57 फीसदी वोटिंग हुई थी.

बता दें कि 2019 में इन आठों सीट पर एनडीए गठबंधन को जीत मिली थी. बीजेपी ने 4, जेडीयू ने 3 और 1 सीट पर एलजेपी ने कब्जा जमाया था.

वाल्मीकि नगर

ब्राह्मण बहुल लोकसभा क्षेत्र वाल्मीकि नगर को बिहार में न केवल NDA गढ़ कहा जाता है, बल्कि इसे बीजेपी और जेडीयू गठबंधन की सबसे सेफ सीट भी मानी जाती है. अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक इस बार यहां वोटिंग कम हुई है. 2019 में जहां 62 फीसदी मतदान हुआ था, वहीं इस बार 59 फीसदी वोट पड़े हैं.

बता दें कि पिछले तीन चुनाव से एनडीए यहां बड़ी जीत दर्ज करती रही है, लेकिन इस बार लालू के प्रयोग ने एनडीए की जीत की राह को मुश्किल कर दिया है.

आरजेडी ने यादव कैंडिडेट दीपक यादव पर दांव लगाया है. दूसरी जेडीयू ने यहां के दिग्गज नेता रहे बैद्यनाथ महतो के बेटे और मौजूदा सांसद सुनील कुमार पर ही भरोसा जताया है.
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पश्चिम चंपारण

इस सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. 2009 से बिहार बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल का इस पर कब्जा रहा है. यहां इस बार 60 फीसदी वोट पड़े हैं, जबकि 2019 में 62 और 2014 में 60 फीसदी मतदान हुआ था.

2008 के परिसीमन बाद गठित पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट पर कुल आठ उम्मीदवार हैं. यहां चुनावी टक्कर सीधी है. एनडीए के उम्मीदवार बिहार बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का मुकाबला इंडिया गठबंधन के मदन मोहन तिवारी (कांग्रेस) से है.

2009 में पहली बार जायसवाल में करीब 39% वोट शेयर के साथ जीते. 2014 में आंकड़ा बढ़कर 44% हो गया. 2019 में वोट शेयर 60 फीसदी तक पहुंच गया.

पूर्वी चंपारण और शिवहर पर बीजेपी का रहा है कब्जा

पूर्वी चंपारण और शिवहर सीट पर भी पहले के मुकाबले वोटिंग कम हुई है. पूर्वी चंपारण सीट पर जहां 57 फीसदी मतदान हुआ है, वहीं शिवहर में 56 फीसदी वोट पड़े हैं. 2019 में 60% वोट पड़े थे. जबकि 2014 में इस बार की ही तरह मतदान हुआ था.

2009 से इन दोनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा है. हालांकि, इस बार शिवहर सीट पर जेडीयू ने बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को उतारा है. उनका मुकाबला आरजेडी उम्मीदवार रितु जायसवाल से है. रितु मुखिया रह चुकी हैं. इस सीट पर 2009 से 2019 के बीच बीजेपी का वोट शेयर 20 फीसदी बढ़ा है.

वहीं पूर्वी चंपारण सीट बीजेपी का गढ़ रहा है. यहां पर राधा मोहन सिंह 2009 से लगातार सांसद हैं. पिछले चुनाव में उनका वोट शेयर बढ़कर 58 फीसदी तक पहुंचा गया था. इस बार उनका मुकाबला VIP के राजेश कुशवाहा है. आरजेडी ने अपने खाते से ये सीट VIP को दी है.

आरजेडी के गढ़ वैशाली में वोटिंग

वैशाली सीट आरजेडी का गढ़ रहा है. यहां से रघुवंश प्रसाद सिंह 5 बार सांसद रहे हैं. हालांकि, पिछले दो बार से लोक जनशक्ति पार्टी जीतती आई है. इस बार मुकाबला आरजेडी और एलजेपी (रामविलास) के बीच है.  महागठबंधन से आरजेडी की टिकट पर विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला चुनाव लड़ रहे हैं. एनडीए से एलजेपी (रामविलास) की प्रत्याशी वीणा देवी हैं. 

अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, इस बार यहां 59 फीसदी वोटिंग हुई है, जो कि 2019 के मुकाबले 3 फीसदी कम है. वहीं 2014 से 1 फीसदी ज्यादा है.

हालांकि, इस सीट पर पिछले तीन लोकसभा चुनावों में आरजेडी का वोट शेयर गिरा है. 2009 में जहां रघुवंश प्रताप सिंह ने 45.53% वोटों के साथ जीत दर्ज की थी. 2019 में उन्हें 31.04 वोट ही मिले थे.

सीवान में त्रिकोणीय मुकाबला

सीवान हॉट सीट में से एक है. जेडीयू ने विजयलक्ष्मी देवी को टिकट दिया है. आरजेडी से अवध बिहारी चौधरी मैदान में हैं. निर्दलीय प्रत्याशी हिना शहाब की वजह से मामला त्रिकोणीय हो गया है. इस बार यहां 53% वोटिंग हुई है. 2014 के मुकाबले 4 फीसदी मतदान में गिरावट हुई है. 2019 में 55% मतदान हुआ था.

1996 से 2004 तक इस सीट पर शहाबुद्दीन का कब्जा रहा है. पिछले तीन बार से इस सीट उनकी पत्नी हिना शहाब आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ती आई हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. हालांकि, हर चुनाव के साथ उनका वोट शेयर बढ़ा है. 2019 में उन्हें 34 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन इस बार आरजेडी ने उनका टिकट काट दिया.

छठे चरण में शामिल गोपालगंज सीट पर 51% वोटिंग हुई है. पिछले चुनावों के मुकाबले यहां भी वोटिंग पर्सेंट गिरा है. 2009 से यहां भी एनडीए का कब्जा रहा है. इस बार जेडीयू के मौजूदा सांसद आलोक सुमन और VIP के प्रेमनाथ चंचल के बीच मुकाबला है.

वहीं महाराजगंज में बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर है. इस सीट पर 51 फीसदी वोट पड़े हैं. 2019 में यहां 54% मतदान हुआ था. इस सीट पर बीजेपी से मौजूदा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल का मुकाबला बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश प्रसाद सिंह से है. सिग्रीवाल और अखिलेश प्रसाद सिंह दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है.

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