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बिहार की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. दो बड़े गठबंधन हैं दोनों में ही रार की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं. एनडीए में रहकर भी नीतीश बीजेपी पर आंखें तरेर रहे हैं तो आरजेडी-कांग्रेस वाले महागठबंधन में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के जीतनराम मांझी समेत कई छोटे-बड़े नेता नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. अब राबड़ी देवी ने कह दिया है कि उन्हें नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने से कोई दिक्कत नहीं है.
लब्बोलुआब ये कि एनडीए और महागठबंधन दोनों ही धड़ों में हलचल है. अंदरूनी नाराजगी है. लोकसभा में बीजेपी को मिली 303 सीटे के बाद नीतीश समझ चुके हैं कि एनडीए में अब सहयोगियों की हैसियत 'बिन बुलाए मेहमानों' सी है. लिहाजा विधानसभा चुनाव के बचे एक साल में वो ये नाप लेना चाहते हैं कि बीजेपी के साथ कितनी दूर तक चलना है. लोकसभा चुनावों में बिहार की टॉप 5 पार्टियों के वोट शेयर पर नजर डालिए-
बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी एनडीए का हिस्सा हैं. आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन का, जिसमें कई छोटे दल शामिल हैं. नतीजों ने दोस्ती-दुश्मनी के समीकरण बदल दिए हैं. जातीय संतुलन के दम पर बीजेपी को हराने वाली विपक्षी रणनीती फेल दिख रही है. तो बीजेपी के सहयोगी अपना कद नाप रहे हैं. ऐसे में एक-दूसरे को आंखे दिखाने या पुचकारने की इन खबरों से दोस्तों दुश्मनों की पहचान नहीं होगी. ये अगले साल होने वाले चुनावोंं से पहले की रस्साकशी है.
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Published: 04 Jun 2019,09:13 PM IST