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बिहार (Bihar) की राजधानी पटना में शुक्रवार, 23 जून को विपक्षी पार्टियों का महाजुटान होने जा रहा है. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष की इस बैठक (Opposition Meeting) को बेहद अहम माना जा रहा है. बैठक में 20 से अधिक विपक्षी दलों के शामिल होने की संभावना है. बैठक का लक्ष्य अगले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी को कैसे हराना है, इस पर चर्चा करना है. लेकिन इससे पहले बयानबाजी जारी है. कुछ पार्टियों ने अपनी शर्त रख दी है.
BJP के 'PM मोदी के डर से विपक्ष एक हो रहा है' वाले बयान पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि "कोई डर नहीं है. किस बात का डर? अलग-अलग क्यों लड़ना जब हमारे मुद्दे एक हैं. हम सब समान विचारधारा वाली पार्टियां हैं. हम अपने वोट का बिखराव क्यों करें?"
विपक्ष की इस बैठक से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी शर्त रख दी है. उन्होंने विपक्षी पार्टियों को चिट्ठी लिखकर कहा कि- मीटिंग में सबसे पहले केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि, "दिल्ली का अध्यादेश एक प्रयोग, यह सफल हुआ तो केंद्र सरकार गैर-बीजेपी शासित राज्यों के लिए ऐसे ही अध्यादेश लाकर राज्य सरकार का अधिकार छीन लेगी."
इससे पहले केजरीवाल ने कांग्रेस से अध्यादेश के मुद्दे पर अपना स्टैंड साफ करने को कहा था. उन्होंने कहा था कि, "मीटिंग का पहला मुद्दा अध्यादेश होगा." बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात करने के लिए समय मांगा था. हालांकि अभी तक उन्हें समय नहीं दिया गया है.
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने 2024 में NDA को हराने के लिए एक नया फॉर्मूला दिया है. अखिलेश यादव ने PDA (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) का दांव खेला है. उन्होंने ट्वीट किया, "PDA मूल रूप से ‘पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक’ के शोषण, उत्पीड़न व उपेक्षा के खिलाफ उठती हुई चेतना व समान अनुभूति से जन्मी उस एकता का नाम है, जिसमें हर वर्ग के वे सब लोग भी शामिल हैं, जो मानवता के आधार पर इस तरह की नाइंसाफ़ी के खिलाफ हैं. दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सब इससे जुड़ें!"
वहीं अखिलेश यह भी कह चुके हैं कि जो विपक्षी पार्टियां 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए प्रतिबद्ध हैं, उन्हें 'बड़ा दिल' दिखाना चाहिए. उनके इस बयान को कांग्रेस से जोड़ का देखा जा रहा है. मतलब साफ है कि सीटों के मामले में अखिलेश अपर हैंड चाहते हैं.
विपक्ष की बैठक से पहले पीडीपी सुप्रीमो और जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती पटना पहुंच गई हैं. AAP संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान आज पटना पहुंचेंगे.
जानकारी के मुताबिक नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला, CPI के राष्ट्रीय महासचिव डी राजा और CPI-ML महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य भी आज ही पटना पहुंच जाएंगे. इनके अलावा उद्धव ठाकरे और शरद पवार के कल पटना पहुंचने की सूचना है.
वहीं RLD चीफ जयंत चौधरी इस बैठक में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने पारिवारिक कार्यक्रम का हवाला दिया है. जयंत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पत्र में कहा कि वो पूर्व निर्धारित पारिवारिक कार्यक्रम के कारण बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे.
विपक्षी दलों की बैठक पर बीजेपी सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि "लोकसभा में जिस पार्टी का एक भी सीट नहीं है, वह पार्टी 303 सीटों वाली पार्टी (BJP) को चुनौती दे रही है. लोकतंत्र को बचाने के लिए नहीं परिवार को बचाने के लिए ये सम्मेलन हो रहा है. बिहार 40 में से 40 लोकसभा सीट PM मोदी को ही देगा."
तो वहीं उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा,
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी विपक्ष की बैठक पर तंज कसा है. उन्होंने ट्वीट किया, "लोकसभा आम चुनाव के पूर्व विपक्षी पार्टियां जिन मुद्दों को मिलकर उठा रही हैं और ऐसे में नीतीश कुमार द्वारा कल 23 जून की विपक्षी नेताओं की पटना बैठक ’दिल मिले न मिले हांथ मिलाते रहिए’ की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करता है."
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, "महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद/हिंसा आदि से ग्रस्त देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि परमपूज्य बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कांग्रेस, बीजेपी जैसी पार्टियों के पास नहीं है."
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