मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019BJP की तिकड़म नीति पर कैसे भारी Nitish Kumar? पांच बिहारी पत्रकारों से समझिए

BJP की तिकड़म नीति पर कैसे भारी Nitish Kumar? पांच बिहारी पत्रकारों से समझिए

सरकार में रहते हुए किन-किन मुद्दों पर BJP और JDU में विवाद बना रहा?

उपेंद्र कुमार
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Bihar Politics: Nitish Kumar की तिकड़म नीति, 5 बिहारी पत्रकारों से जानिए</p></div>
i

Bihar Politics: Nitish Kumar की तिकड़म नीति, 5 बिहारी पत्रकारों से जानिए

फोटोः क्विंट

advertisement

बिहार की राजनीति में तेजी से बदलाव हो रहा है. बीजेपी के साथ गठबंधन में रहे नीतीश कुमार NDA से नाता तोड़ लालटेन से रोशन होने वाले हैं. नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान से मिलकर इस्तीफा भी दे दिया है. अब सवाल ये भी है कि आखिर नीतीश तीसरे नंबर की पार्टी होकर भी मुखिया बने हुए हैं. ये सब कैसे? इन्हीं सब मुद्दों पर बात करने के लिए बिहार से आने वाले 5 पत्रकारों (संतोष कुमार, विकास कुमार, शादाब, मोहन कुमार और उपेंद्र कुमार) की राय जानिए.

फिलहाल, सदन में नीतीश कुमार के पास 45 विधायक, RJD के पास 79 और बीजेपी के पास 77 विधायक हैं. सरकार बनाने के लिए नीतीश कुमार को 122 विधायकों की जरूरत होगी, जो RJD और कांग्रेस से मिलकर पूरे हो जाते हैं.

बिहार की राजनीति को कवर करने वाले शादाब मोइजी बताते हैं कि

ये पहली बार नहीं है कि नीतीश कुमार BJP का साथ छोड़कर RJD का दामन थाम रहे हैं. इससे पहले वो कई बार ऐसा कर चुके हैं. नीतीश कुमार ने तो अपने गुरु या मैंटोर समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस को भी किनारे लगा दिया था. जब जॉर्ज फर्नांडिस चुनाव लड़ना चाहते थे, तो नीतीश कुमार ने उन्हें टिकट नहीं दिया था और मुजफ्फपुर से वो निर्दलीय मैदान में उतरे थे. इसके अलावा उन्होंने शरद यादव को भी किनारे कर दिया था. मौजूदा समय में नीतीश कुमार के साथ 20 साल काम करने वाले RCP सिंह को साइड लाइन कर दिया. यही नहीं उन्होंने प्रशांत किशोर को भी किनारे लगा दिया था.
शादाब मोइजी

बिहार में सरकार बनाने का क्या समीकरण है? इस पर मोहन कुमार बताते हैं कि

बिहार में विधानसभा की कुल 243 विधानसभा की सीटें हैं. इसमें RJD सबसे बड़ी पार्टी है. RJD के पास 79 सीटें हैं. JDU के पास 45 सीटें हैं. BJP के पास 77 सीटें, जबकि कांग्रेस के पास 19 सीटें हैं. सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत है. अगर RJD, JDU और कांग्रेस को मिला दें, तो कुल 143 सीटें हो जाती हैं, जो सरकार बनाने से 21 सीटें ज्यादा हैं.

सवाल एक और है कि तीसरे नंबर की पार्टी होते हुए भी आखिरकार नीतीश ही सरकार के मुखिया हैं ये वो कैसे कर लेते हैं? इस पर विकास कुमार बताते हैं कि

ये पहली बार नहीं है, जब नीतीश एक पार्टी का साथ छोड़कर दूसरे पार्टी का दामन थामे हैं. नीतीश की पार्टी बदलने का सिलसिला साल 2014 के बाद से शुरू होता है. जब उन्होंने 17 साल बाद बीजेपी से गठबंधन तोड़ साल 2015 में RJD के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इसमें भी मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार ही रहे. इसके बाद वो 20 महीने पुरानी गंठबंधन सरकार से अलग हो गए और फिर BJP के साथ सरकार में आ गए. अब फिर साल 2022 में RJD के साथ आ गए हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इतना ही नहीं, NDA के साथ गठबंधन होते हुए भी वो कई मुद्दों पर बीजेपी से अलग दिखे. इस पर बात करते हुए एग्जीक्यूटिव एडिटर संतोष कुमार बताते हैं कि...

ये नीतीश कुमार का तिकड़म नहीं है ये उनका तिलिस्म है. देशभर में बात होती है बीजेपी के चाणक्य की, लेकिन बात आती है बिहार की तो चाणक्य की नहीं नीतीश की नीति चलती है. वो कई मुद्दों पर बीजेपी से अलग हटकर दिखे. NRC के मुद्दे पर उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि वो बिहार में NRC लागू नहीं करेंगे. अभी हाल ही में SSP मानवजीत ढिल्लों ने RSS की तुलना टेरर मॉड्यूल से कर दिया था, जिसका बीजेपी ने जमकर विरोध किया. बीजेपी ने मांग की कि इन्हें हटाइए. लेकिन, JDU टस से मस नहीं हुई और आज भी SSP अपने पद पर बने हुए हैं.

संतोष कुमार बताते हैं कि नीतीश कुमार सरकार तो चला रहे थे बीजेपी के साथ मिलकर, लेकिन जातीय जनगणना के मुद्दे पर वो तेजस्वी यादव के साथ थे. इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी से भी बात की.

जनसंख्या नीति पर जब कहा गया कि इसपे सख्ती होनी चाहिए और कानून बनना चाहिए तो उन्होंने साफ कह दिया कि इसमें कानून की जरूरत नहीं, बल्कि जागरूकता की जरूरत है. ऐसे में नीतीश कुमार अपना हर मुद्दे पर अलग स्टैंड रखकर वो दो काम कर रहे थे. एक तो वो अपना जनाधार बचा रहे थे और दूसरा ये कि वो लगातार बीजेपी पर प्रेशर बनाए हुए थे. उनकी प्रेशर पॉलिटिक्स की वजह से ही बीजेपी की वहां बड़ा भाई होने के बावजूद छोटे भाई की स्थिति थी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT