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बिहार की स्टेट पॉलिटिक्स से हटकर नेशनल पॉलिटिक्स में उड़ान भरने की तैयारी कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अरमानों को पंख लगाने में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव साथ दे रहे हैं. नीतीश कुमार ने 13 दिसंबर को हुए महागठबंधन की मीटिंग में ये ऐलान कर दिया कि साल 2025 के बिहार विधानसभा की कमान तेजस्वी यादव के हाथों में होगी. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर 2025 में महागठबंधन की जीत होती है तो बिहार में मुख्यमंत्री का सेहरा तेजस्वी यादव के सिर ही सजेगा. लेकिन, जरा रुकिए, इसमें एक पेंच हैं और पेंच ये है कि अगर 2024 में नीतीश कुमार के अरमानों पर पानी फिर गया तो फिर, क्या नीतीश कुमार फिर पलटी मार देंगे?
बिहार की राजधानी पटना में महागठबंधन की मीटिंग चल रही थी. इस दौरान बिहार के मुखिया नीतीश कुमार ने मंच से महागठबंधन के नेताओं से कहा कि आने वाला साल 2025 के बिहार विधानसभा की कमान तेजस्वी के हाथों में होगी. महागठबंधन तेजस्वी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगा.
नीतीश कुमार की इन बातों से संकेतों को और बल मिला है कि नीतीश कुमार बिहार की कमान तेजस्वी यादव को सौंप केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के अरमानों को पंख लगा रहे हैं. ये पहली बार नहीं है, जब नीतीश कुमार के अरमान दिल्ली पर काबिज होने के रास्ते पर हैं. इससे पहले भी नीतीश कुमार कई संकेत दे चुके हैं कि वो अब दिल्ली कूच करने को तैयार हैं. नीतीश कुमार के सियासी पैंतरों से समझते हैं कि उन्होंने कब-कब दिल्ली की राह देखी है?
BJP से गठबंधन तोड़ RJD के साथ आए
अगर विपक्ष सहमत होगा, तो नीतीश कुमार विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं-तेजस्वी यादव
BJP में PM पद की वैकेंसी नहीं, इसलिए RJD के सहारे दिल्ली पर काबिज होना चाहते हैं नीतीश-बीजेपी
सोनिया गांधी और राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात
सीताराम येचुरी, अरविंद केजरीवाल और डी राजा से भी मुलाकात
थ्रंड फ्रंड के नेताओं (ममता बनर्जी, केसीआर) से भी मुलाकात
इन सभी सियासी पैंतरों के अलावा नीतीश के राह में कई रोड़े हैं. सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार के पास इतना जनाधार है कि वो विपक्ष को एकजुट कर सकें और उसका नेतृत्व कर सकें? सवाल ये भी है कि केसीआर, ममता, केजरीवाल और राहुल गांधी के बीच में ये अपने आप को कैसे स्थापित करेंगे? क्योंकि, उधर KCR ने भी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बना दिया है और इधर AAP भी राष्ट्रीय पार्टी हो गई. सभी का अरमान दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना है. ऐसे में नीतीश कुमार अपने आप को कहां पाते हैं? अगर वो इसमें कामयाब नहीं हो पाते हैं तो फिर बिहार की 40 लोकसभा सीटों में वो कितनी सीटों पर पावर दिखा सकते हैं.
अगर नीतीश कुमार विपक्ष का नेतृत्व करने में विफल रहते हैं तो 2024 में वो बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से कितनी पर अपना पावर दिखा सकते हैं. फिलहाल, संसद में JDU की हिस्सेदारी की बात करें तो उसके पास सिर्फ 16 सांसद हैं. और पार्टी के लिहाज से संसद में सातवें पायदान पर है. इसके ऊपर YSRCP (22), तृणमूल कांग्रेस (23) और DMK (24) सीटों के साथ JDU से बड़ी पार्टियां हैं, तो फिर वो नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के लिए क्यों तैयार होंगी?
2024 में नीतीश कुमार बिहार की जनता में कुछ कमाल दिखा देंगे और 35-40 सीटों के बीच रहते हैं तो फिर दिल्ली की सत्ता के लिए 'की-रोल' का काम सकते हैं. लेकिन, इसके लिए अन्य पार्टियों को भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा और बीजेपी को पछाड़ना होगा. 2024 में मिली जुली सरकार बनती है तो नीतीश कुमार की पूछ बढ़ सकती है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या तेजस्वी यादव 2024 के चुनाव में फ्रंट पर नहीं होंगे? क्या नीतीश पर विश्वास करेंगे या उनके पास अभी और कोई विकल्प नहीं है?
इसका जवाब खुद तेजस्वी यादव ने दिया है. उन्होंने कहा है कि अभी हम नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में साथ काम कर रहे हैं. चुनौती 2024 का चुनाव है और हम उसके लिए लड़ेंगे. यानी फिलहाल, तेजस्वी यादव के पास कोई विकल्प नहीं दिखता सिवाय नीतीश कुमार पर विश्वास के अलावा. कुल मिलाकर 2024 के चुनाव में नीतीश कुमार ही महागठबंधन का चेहरा रहने वाले हैं.
नीतीश कुमार ने महागठबंधन की मीटिंग में ये ऐलान तो कर दिया है कि साल 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. लेकिन, इसमें एक पेंच फंस रहा है. और पेंच ये है कि नीतीश कुमार का पलट जाना. नीतीश कुमार कब यू-टर्न ले लें ये कोई नहीं जानता.
तेजस्वी यादव के हाथ में कमान सौंपने का समय 2025 है. ये अभी दूर है. लेकिन, नीतीश कुमार के अरमानों का समय 2024 रास्ते में ही पड़ता है. 2025 से पहले 2024 आएगा. और कहा जा रहा कि अगर नीतीश कुमार के अरमानों के पंख 2024 में नहीं लगे तो फिर क्या होगा? क्या नीतीश कुमार अपने 'पलट' वाले दांव को अजमाएंगे या वास्तव में बिहार की कमान तेजस्वी को सौंप देंगे. यहां कुछ भी अनुमान लगाना समय का अनादर है. इसलिए हम समय पर छोड़ दे रहे हैं. समय ही बताएगा कि कौन दिल्ली की सरकार में और कौन बिहार में?
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