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“हम लोगों ने मीटिंग करके ये तय किया है कि अब जो भी बड़े मामले होंगे उस पर तेजस्वी ही बयान देंगे. नहीं तो गड़बड़ हो जाता है. हमें एक होकर रहना है और एकता के साथ चलना है.”
ये शब्द बिहार से दूर देश की राजधानी दिल्ली में बोले गए. बोलने वाला कोई और नहीं, बल्कि RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव थे. लालू प्रसाद यादव के इस बयान के बाद से कई सवाल उठने लगे हैं. क्या RJD में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है या पारिवारिक मामलों का असर पार्टी पर भी पड़ने लगा है? आखिर लालू प्रसाद यादव को ये बयान देने की नौबत क्यों आई? RJD को लेकर दूसरा सवाल ये उठा रहा है कि पार्टी जैसे ही दो कदम आगे बढ़ती है, तो उसे फिर 4 कदम पीछे हटना पड़ता है. लेकिन, क्यों? आइए इसके पीछे की वजह समझते हैं.
दिल्ली में RJD की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही थी. बैठक बीच में ही छोड़कर लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और बिहार सरकार में मंत्री तेजप्रताप यादव बाहर आ गए. गुस्से में तेजप्रताप यादव ने कहा कि “यहां गाली सुनने के लिए हम नहीं आए हैं.” जब पूछा गया कि आपको किसने गाली दी तो उन्होंने RJD के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक पर आरोप लगा दिया. तेजप्रताप ने कहा कि जब हमने किसी बात को लेकर पूछा तो श्याम रजक ने मुझे गाली दी.
तेजप्रताप यादव का श्याम रजक के साथ पहला मामला नहीं है. वो इससे पहले भी कई RJD नेताओं पर बुरा-भला का आरोप लगा चुके हैं. RJD के बिहार इकाई के प्रदेशाध्यक्ष जगदानंद सिंह से भी साथ तेजप्रातप यादव के मतभेद हैं. जगदनांद सिंह के विरोध में तो तेजप्रताप यादव ने मुहिम तक छेड़ दी थी. उन्हें हिटलर तक कह दिया था. RJD छात्र संगठन के एक कार्यक्रम में तेजप्रताप यादव ने जगदानंद सिंह पर निशाना साधते हुए कहा था कि RJD का कोई भी कार्यक्रम हो लोग सिस्टम बनाने लगते हैं. जगदानंद सिंह भी सिस्टम बनाने में लग जाते हैं और हिटलर की तरह बोलने लगते हैं.
तेजप्रताप यादव की लड़ाई तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव से भी हो चुकी है. तारापुर विधानसभा उपचुनाव में तेजप्रातप ने बगवाती तेवर अपनाते हुए अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया था. तेजप्रताप ने जिस प्रत्याशी को खड़ा किया था वो पटना आकर RJD में शामिल हो गया था और तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार कर लिया था. जिसके बाद तेजप्रताप भड़क गए थे और तेजस्वी को कुछ न कहते हुए उनके राजनीतिक सलाहकार संजय यादव पर हमला बोल दिया था. उन्होंने संजय यादव को सी-ग्रेड फिल्मों का स्क्रिप्ट राइटर करार दे दिया था. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था कि ना तो मैंने कुछ कहा और न ही लिखा फिर भी हरियाणवी स्क्रिप्ट राइटर ने पूरी कहानी बना डाली.
इसके बाद से तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव में भी मनमुटाव की खबरें आने लगी थीं. हालांकि, लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के हस्तक्षेप के बाद से किसी तरह मामला शांत हुआ था. लेकिन, श्याम रजक के साथ तेजप्रताप यादव की लड़ाई के बाद उजागर हुई RJD की आंतरिक कलह पर लालू सख्त नजर आ रहे हैं.
JDU के साथ RJD की सरकार बने अभी महीने भर भी नहीं हुए थे कि RJD कोटे के मंत्री कार्तिक कुमार को सरकार में मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा था. कार्तिक कुमार को कानून मंत्री बनाए जाने के बाद से ही विपक्ष ने मुद्दा बना दिया था कि जिस मंत्री पर अपहरण जैसे संगीन मामले चल रहे हों उसे कानून मंत्री बना दिया गया उससे और उस सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है. इसके बाद बैकफुट पर आई RJD ने कार्तिक कुमार का विभाग बदल दिया था, जिसके बाद कार्तिक कुमार ने अपना इस्तीफा नीतीश कुमार को सौंप दिया था.
भ्रष्टाचार के कई मामलों में खुद RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव आरोपी हैं, जिनके खिलाफ CBI और ED की जांच चल रही है. ये भी एक कारण है, जो RJD को पीछे धकेल रहा है. अभी हाल ही में CBI ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ नौकरी के बदले जमीन घोटाले में चार्जशीट दाखिल की है. CBI ने चार्जशीट में लालू यादव और तत्कालीन जीएम को आरोपी बनाया है. साथ ही लालू प्रसाद यादव के परिवार के अन्य सदस्यों को भी जांच के घेरे में रखा है. इसके अलावा CBI ने उनकी बेटी मीसा भारती और 13 अन्य लोगों को आरोपी बनाया है. यही हाल डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को लेकर भी है. उनके खिलाफ भी IRCT घोटाले मामले में CBI की जांच जारी है.
लब्बोलुआब यही है कि लालू प्रसाद यादव पार्टी के नेताओं के बड़बोलेपन पर लगाम लगा पार्टी के अंदरुनी और पारिवारिक कलह को सामने नहीं लाना चाहते हैं, जिसका नतीजा रहा कि उन्हें सार्वजनिक मंच के जरिए कहना पड़ा कि अब पार्टी से जुड़े किसी भी मुद्दे पर तेजस्वी यादव ही बयान देंगे.
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