advertisement
बिहार चुनाव के लिए बीजेपी के घोषणापत्र में 19 लाख नौकरियों का वादा था. बीजेपी के वादे में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर 3 लाख शिक्षक, आईटी क्षेत्र में 5 लाख नौकरियां और चिकित्सा क्षेत्र में 1 लाख नौकरियां शामिल थीं. अब नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार का पहला विधानसभा सत्र भी शुरू हो गया है और पहले ही दिन विपक्ष की तरफ से बता दिया गया है कि वो रोजगार के मुद्दे पर ही सरकार को घेरने की तैयारी में है.
तेजस्वी यादव का कहना है कि अगर एक महीने के अंदर नौकरियां का वादा पूरा नहीं हुआ तो आंदोलन के लिए उतरेंगे.
चुनाव में रोजगार रहा अहम मुद्दा, नीतीश के कंधे पर वादों का भार!
इस बार के विधानसभा चुनाव में रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा था. पक्ष-विपक्ष दोनों ने ही रोजगार पर बड़े-बड़े वादे किए थे. जहां एक ओर महागठबंधन के घोषणा पत्र में 10 लाख लोगों को रोजगार देने की बात थी तो बीजेपी ने आगे बढ़कर 19 लाख रोजगार देने का वादा कर दिया था. अब इस वादे को पूरा करने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार और उनकी सरकार के कंधे पर है.
सरकार बनते ही जिस कदर नीतीश कुमार पर पहले मेवालाल चौधरी के इस्तीफे का बोझ पड़ा, सहयोगी और करीबी सुशील कुमार मोदी की विदाई हुई. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए रोजगार के इस वादे को पूरा करने का वादा आसान नहीं होगा.
वहीं नतीजों के बाद IANS के एक इंटरव्यू में डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने रोजगार के वादे पर कहा था कि जो भी वादे किए गए हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा. बिहार को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर परिकल्पना को पूरा करने की कवायद प्रारंभ कर दी गई है.
अब ऐसे में ये 19 लाख रोजगार दिए जाते हैं या क्रिएट किए जाते हैं, बिहार के वोटरों का इसका इंतजार रहेगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined