मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019नीतीश सरकार का 'कार्तिकेय कांड' बताता है बहुत कठिन है गठबंधन धर्म निभाना

नीतीश सरकार का 'कार्तिकेय कांड' बताता है बहुत कठिन है गठबंधन धर्म निभाना

बाहुबली अनंत सिंह के 'मास्टर साहेब' कार्तिकेय सिंह ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा.

शादाब मोइज़ी
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>कार्तिकेय सिंह का 'तबादला' इसके बाद इस्तीफा</p></div>
i

कार्तिकेय सिंह का 'तबादला' इसके बाद इस्तीफा

Image-Quint

advertisement

बाहुबली अनंत सिंह के 'मास्टर साहेब', तेजस्वी यादव के विधायक, नीतीश कुमार के मंत्री और अपहरण केस के आरोपी, मास्टर कार्तिकेय सिंह से कानून मंत्रालय छिन गया है. रात सोए थे तो कानून का पाठ पढ़ा रहे थे, लेकिन सुबह मॉर्निंग वॉक पर गए तो जूस पीने वाले गन्ने से मुलाकात हुई और गन्ना मंत्री बना दिया गया. लेकिन, फिर शाम होते-होते उन्होंने अपने मंत्री पद से ही इस्तीफा दे दिया.

अपराध और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए इसकी अनुशंसा राज्यपाल के पास भेज दी है. कार्तिकेय कुमार की जगह मोतिहारी के नरकटिया विधानसभा के विधायक शमीम अहमद अब कानून विभाग की जिम्मेदारी संभालेंगे.

अब भले ही कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया हो लेकिन सवाल उठ रहा है कि अगर कार्तिकेय दागी हैं, तो फिर मंत्री बनाया क्यों, दागी नहीं हैं तो हटाया क्यों? हटाना डैमेज कंट्रोल की कोशिश है या साफ छवि का संदेश देना है? कार्तिकेय को हटाना विपक्ष की जीत है या नीतीश की? और कार्तिकेय का तबादला और उसके बाद इस्तीफा क्या कहता है?

कार्तिकेय सिंह की पहेली

ध्यान देने वाली बात यह है कि कार्तिकेय सिंह के खिलाफ पटना के बिहटा थाने में अपहरण का मामला दर्ज है. इसे लेकर उनके खिलाफ साल 2014 में केस दर्ज हुआ था. जिसमें अभियुक्तों में पूर्व विधायक अनंत सिंह का भी नाम था. इसी मामले में कार्तिकेय सिंह के खिलाफ वारंट जारी हुआ था, जिसपर दानापुर कोर्ट ने 1 सितम्बर तक रोक लगा रखी थी. ये आदेश कार्तिकेय सिंह के मंत्री बनने से चार दिन यानी 12 अगस्त 2022 को जारी हुआ था.

गिरफ्तारी से मिली छूट एक सिंतबर को खत्म हो रही है और ठीक एक दिन पहले 31 अगस्त को नीतीश सरकार ने कार्तिकेय सिंह का मंत्रालय बदल दिया.

पटना के रहने वाले सीनियर पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं, "कार्तिकेय सिंह आरजेडी के कोटे से मंत्री हैं, साथ ही उनका नाम बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि कार्तिकेय अनंत सिंह का कारोबार भी देखते हैं. अनंत सिंह को अभी हाल ही AK47 मैगजीन और हैंड ग्रेनेड रखने और हत्या के आरोप में 10 साल की सजा हुई है. अब अनंत सिंह से रिश्ता रखने वाला नीतीश कुमार की कैबिनेट में हो तो सवाल उठेगा ही."

रवि उपाध्याय आगे कहते हैं, "

लेकिन कार्तिकेय को हटाने का फैसला नीतीश ने अकेले नहीं लिया होगा, तेजस्वी के साथ बातचीत की गई होगी. नीतीश कुमार की सुशासन वाली छवि है, लेकिन तेजस्वी यादव भी युवा हैं और आरजेडी की नई छवि बना रहे हैं, इसलिए वो नहीं चाहते कि उनके ऊपर किसी तरह का दाग लगे. मतलब साफ है सरकार अपनी किरकिरी नहीं कराना चाहती है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हालांकि आरजेडी इस फैसले का बचाव करती नजर आ रही है. क्विंट से बात करते हुए आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम का अधिकार है कि वो किसे कौन सा मंत्रालय दें. ये फैसला किसी के प्रेशर में नहीं लिया गया है.

मृत्युंजय तिवारी कहते हैं,

सत्ता गंवाने वाली BJP, सत्ता जाने से बिना जल के मछली की तरह तड़प रही है. अगर बीजेपी के आरोप के आधार पर एक्शन होता तो कार्तिकेय सिंह को मंत्रीमंडल से हटा दिया जाता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, सिर्फ मंत्रालय बदला है. ऐसे कई मौके रहे हैं जब 24 घंटे में ही मंत्रालय छिन गया है. NDA की सरकार में JDU कोटे से बने शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को तुरंत हटाया गया था, जीतन राम मांझी को हटाया गया था. हमारी सरकार में सब ऑल इज वेल है. कैप्टन (नीतीश कुमार और वाइस कैप्टन (तेजस्वी यादव) का फैसला होता है कि किस बल्लेबाज को कब बैटिंग पर भेजा जाए.

बीजेपी क्या बोली?

बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कार्तिकेय सिंह को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला है. संजय जायसवाल ने कहा,

"नीतीश कुमार लोगों को फंसाते भी हैं और समर्थन में आ जाने के बाद बचाते भी हैं. कार्तिकेय सिंह को विधि विभाग से हटाकर नीतीश कुमार ने अपनी कथनी और करनी में फर्क साबित किया है. नीतीश अब रबर स्टाम्प बनकर लालू परिवार के आदेश पर सारे काम कर रहे हैं".

संजय जयसवाल के इस आरोप से कुछ अहम सवाल निकलते हैं. पहला- क्या नीतीश कुमार मजबूर हैं? दूसरा- क्या नीतीश कुमार के लिए गठबंधन सरकार चलाना मुश्किल है?

इस बारे में सीनियर पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं, "साल 2005 और अब के नीतीश में आसमान जमीन का फर्क है. तेजस्वी के पास बड़ा समर्थन है. अब गठबंधन चाहे किसी का भी हो, मुश्किलें आती हैं, लेकिन इस गठबंधन में थोड़ा फर्क है. लालू यादव की सरकार में कानून व्यवस्था पर सवाल उठते रहे, लालू पतली लाइन खींचते थे, लेकिन तेजस्वी मोटी और लंबी लकीर खींचना चाहते हैं. तेजस्वी विपक्ष को मुद्दा नहीं देना चाहते हैं. साथ ही तेजस्वी अब सत्ता से बाहर रहने का जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे. इसलिए वो लालू के MY (Muslim-Yadav) छवि से अलग ए टू जेड की छवि बनाने में लगे हैं. युवा हैं तो दागी लोगों को सरकार और पार्टी में हावी होने देने से बचेंगे. नीतीश भी टकराव के स्थिती से बचेंगे क्योंकि वो भी अब नहीं चाहेंगे कि बार-बार 'पलटी' मारा जाए और छवि खराब हो."

कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि कार्तिकेय के विभाग बदलकर नीतीश-तेजस्वी ने डैमेज कंट्रोल और सुशासन की छवि को बरकार रखने की कोशिश की है. साथ ही तेवर दिखाकर गठबंधन में गांठ पड़े, ऐसा जोखिम कोई नहीं उठाना चाह रहा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT