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बाहुबली अनंत सिंह के 'मास्टर साहेब', तेजस्वी यादव के विधायक, नीतीश कुमार के मंत्री और अपहरण केस के आरोपी, मास्टर कार्तिकेय सिंह से कानून मंत्रालय छिन गया है. रात सोए थे तो कानून का पाठ पढ़ा रहे थे, लेकिन सुबह मॉर्निंग वॉक पर गए तो जूस पीने वाले गन्ने से मुलाकात हुई और गन्ना मंत्री बना दिया गया. लेकिन, फिर शाम होते-होते उन्होंने अपने मंत्री पद से ही इस्तीफा दे दिया.
अपराध और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए इसकी अनुशंसा राज्यपाल के पास भेज दी है. कार्तिकेय कुमार की जगह मोतिहारी के नरकटिया विधानसभा के विधायक शमीम अहमद अब कानून विभाग की जिम्मेदारी संभालेंगे.
अब भले ही कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया हो लेकिन सवाल उठ रहा है कि अगर कार्तिकेय दागी हैं, तो फिर मंत्री बनाया क्यों, दागी नहीं हैं तो हटाया क्यों? हटाना डैमेज कंट्रोल की कोशिश है या साफ छवि का संदेश देना है? कार्तिकेय को हटाना विपक्ष की जीत है या नीतीश की? और कार्तिकेय का तबादला और उसके बाद इस्तीफा क्या कहता है?
ध्यान देने वाली बात यह है कि कार्तिकेय सिंह के खिलाफ पटना के बिहटा थाने में अपहरण का मामला दर्ज है. इसे लेकर उनके खिलाफ साल 2014 में केस दर्ज हुआ था. जिसमें अभियुक्तों में पूर्व विधायक अनंत सिंह का भी नाम था. इसी मामले में कार्तिकेय सिंह के खिलाफ वारंट जारी हुआ था, जिसपर दानापुर कोर्ट ने 1 सितम्बर तक रोक लगा रखी थी. ये आदेश कार्तिकेय सिंह के मंत्री बनने से चार दिन यानी 12 अगस्त 2022 को जारी हुआ था.
पटना के रहने वाले सीनियर पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं, "कार्तिकेय सिंह आरजेडी के कोटे से मंत्री हैं, साथ ही उनका नाम बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि कार्तिकेय अनंत सिंह का कारोबार भी देखते हैं. अनंत सिंह को अभी हाल ही AK47 मैगजीन और हैंड ग्रेनेड रखने और हत्या के आरोप में 10 साल की सजा हुई है. अब अनंत सिंह से रिश्ता रखने वाला नीतीश कुमार की कैबिनेट में हो तो सवाल उठेगा ही."
रवि उपाध्याय आगे कहते हैं, "
हालांकि आरजेडी इस फैसले का बचाव करती नजर आ रही है. क्विंट से बात करते हुए आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम का अधिकार है कि वो किसे कौन सा मंत्रालय दें. ये फैसला किसी के प्रेशर में नहीं लिया गया है.
मृत्युंजय तिवारी कहते हैं,
बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कार्तिकेय सिंह को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला है. संजय जायसवाल ने कहा,
संजय जयसवाल के इस आरोप से कुछ अहम सवाल निकलते हैं. पहला- क्या नीतीश कुमार मजबूर हैं? दूसरा- क्या नीतीश कुमार के लिए गठबंधन सरकार चलाना मुश्किल है?
इस बारे में सीनियर पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं, "साल 2005 और अब के नीतीश में आसमान जमीन का फर्क है. तेजस्वी के पास बड़ा समर्थन है. अब गठबंधन चाहे किसी का भी हो, मुश्किलें आती हैं, लेकिन इस गठबंधन में थोड़ा फर्क है. लालू यादव की सरकार में कानून व्यवस्था पर सवाल उठते रहे, लालू पतली लाइन खींचते थे, लेकिन तेजस्वी मोटी और लंबी लकीर खींचना चाहते हैं. तेजस्वी विपक्ष को मुद्दा नहीं देना चाहते हैं. साथ ही तेजस्वी अब सत्ता से बाहर रहने का जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे. इसलिए वो लालू के MY (Muslim-Yadav) छवि से अलग ए टू जेड की छवि बनाने में लगे हैं. युवा हैं तो दागी लोगों को सरकार और पार्टी में हावी होने देने से बचेंगे. नीतीश भी टकराव के स्थिती से बचेंगे क्योंकि वो भी अब नहीं चाहेंगे कि बार-बार 'पलटी' मारा जाए और छवि खराब हो."
कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि कार्तिकेय के विभाग बदलकर नीतीश-तेजस्वी ने डैमेज कंट्रोल और सुशासन की छवि को बरकार रखने की कोशिश की है. साथ ही तेवर दिखाकर गठबंधन में गांठ पड़े, ऐसा जोखिम कोई नहीं उठाना चाह रहा है.
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