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पुराना कांग्रेसी तो कोई जातीय समीकरण में फिट, 4 राज्यों में BJP के नए चीफ कौन?

जिन राज्यों में बीजेपी ने नियुक्ति की है, उनमें से किसी भी राज्य में पार्टी की सरकार नहीं है.

पल्लव मिश्रा
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>पुराना कांग्रेसी तो कोई जातीय समीकरण में फिट, 4 राज्यों में BJP के नए चीफ कौन?</p></div>
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पुराना कांग्रेसी तो कोई जातीय समीकरण में फिट, 4 राज्यों में BJP के नए चीफ कौन?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चार राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है. जिन राज्यों में नियुक्ति हुई है, उसमें पंजाब, झारखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं. तेलंगाना में इस साल के आखिरी में और आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर इन राज्यों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति की है.

हालांकि, जिन राज्यों नें नए अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है, उनमें पुराने अध्यक्षों का कार्यकाल पूरा हो चुका था. अब सवाल हैं कि नए अध्यक्षों की नियुक्ति के पीछे की मुख्य वजह क्या है?

झारखंड में मरांडी को कमान

बीजेपी ने झारखंड में आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. वो राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश की जगह लेंगे. दीपक प्रकाश को 2020 में पार्टी की राज्य इकाई की कमान दी गई थी. माना जा रहा है कि कार्यकाल पूरा करने के अलावा दीपक प्रकाश राज्य की जातीय पॉलिटिक्स में फिट नहीं बैठ रहे थे.

राज्य बीजेपी के एक नेता ने नाम न छपने की शर्त पर क्विंट हिंदी को बताया कि दीपक प्रकाश पार्टी संगठन का विस्तार बहुत मजबूती से नहीं कर पा रहे थे, उपचुनाव में इसका असर भी दिखा. बीजेपी ने पहले बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता चुना था, लेकिन उनको अभी तक विधानसभा में नेता विपक्ष का पद नहीं मिल पाया है. विधानसभा अध्यक्ष के पास अभी भी मरांडी का मामला लटका है.

एक अन्य नेता ने कहा कि

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार का सामना करने के लिए बीजेपी को एक मजबूत आदिवासी चेहरे की दरकार थी, इसमें बाबूलाल मरांडी फिट बैठते हैं. उनकी जमीन और कार्यकर्ताओं दोनों में मजबूत पकड़ है. बीजेपी विधानसभा चुनाव के बाद, उनकी पार्टी का विलय कराकर इसलिए उन्हें लायी थी. अगले साल लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मरांडी को पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा UCC में आदिवासियों को लेकर बहस भी काफी अहम हैं.

सुनील जाखड़ को पंजाब बीजेपी की कमान

बीजेपी ने कांग्रेस से आए सुनील जाखड़ को पंजाब की कमान सौंपी है. सुनील जाखड़ को अश्विनी शर्मा की जगह लाया गया है.

बीजेपी सूत्रों की मानें तो बीजेपी राज्य में हिंदू-सिख भाईचारे वाली राजनीति पर फोकस कर रही है.

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, पंजाब में कुल आबादी करीब तीन करोड़ है. इस आबादी में 60 फीसदी सिख और 40 फीसदी हिंदू हैं. राज्य में जाट सिख 19 फीसदी हैं. जाखड़ जाट समुदाय से आते हैं. ऐसे में पार्टी जाखड़ को जाट हिंदू चेहरे को रूप में आगे करना चाहती है.

पंजाब बीजेपी से जुड़े एक नेता ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल (SAD) के साथ गठबंधन खत्म होने के बाद से पार्टी राज्य इकाई को फिर से खड़ा करने में जुटी है. पार्टी को जमीन पर मजबूत और पहचाने जाने वाले नेताओं की तलाश थी, जिसमें जाखड़ फिट बैठते हैं.

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रेड्डी को अध्यक्ष और राजेंदर को चुनाव प्रबंधन समिति की कमान

भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को तेलंगाना का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. उनको संजय बंदी की जगह लाया गया है. सूत्रों की मानें तो, बंदी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है.

राज्य बीजेपी के एक नेता ने कहा कि बंदी को लेकर पार्टी में लगातार विरोध हो रहा था. वो सबको साथ लेकर चलने में सक्षम नहीं थे. बंदी अपने बयानों को लेकर भी लगातार चर्चा में थे. टीडीपी को लेकर भी बंदी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे थे. लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है.

दरअसल, बीजेपी का राज्य में मुख्य वोट बैंक पिछड़ा वर्ग है. पार्टी रेड्डी और ईटेला राजेंदर (चुनाव प्रबंधन समिति प्रमुख) के जरिए जातीय समीकरण को बैलेंस करना चाहती है. रेड्डी को अमित शाह का करीबी माना जाता है और वो सबको साथ लेकर चलने में सक्षम हैं.

जानकारी के मुताबिक ईटेला राजेंदर पिछड़ी जाति से आते हैं और उनकी जातीय वोट बैंक का 53 फीसदी हिस्सा है जबकि रेड्डी की जातीय का लगभग 5 फीसदी वोट है. बाकी 10-11 फीसदी कप्पस हैं, जिनका प्रतिनिधित्व बंदी और अरविंद धर्मपुरी जैसे अन्य नेता करते हैं.

डी पुरंदेश्वरी को आंध्र प्रदेश की कमान

बीजेपी ने आंध्र प्रदेश में पूर्व केंद्रीय मंत्री डी पुरंदेश्वरी को कमान सौंपी है. वो आंध्र प्रदेश में सोमु वीर्राजू की जगह लेंगी. डी पुरंदेश्वरी यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थी. बीजेपी आंध्र प्रदेश में लगातार अपना विस्तार करने में जुटी है. पार्टी किसी भी कीमत में राज्य में अपने आपको मजबूत करना चाहती है.

जानकारी के मुताबिक राज्य इकाई ने केंद्रीय आलाकमान को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली जातियों से पार्टी के लिए समर्थन की कमी और नेतृत्व संकट से अवगत कराया था, जो पार्टी के विस्तार में बाधा साबित हो रहा था.

सूत्रों की मानें तो पुरंदेश्वरी की नियुक्ति दिलचस्प है क्योंकि 2024 के चुनावों से पहले बीजेपी और टीडीपी के फिर से गठबंधन करने की चर्चा है. उनकी (पुरंदेश्वरी) कम्मा वोटों पर पकड़ है जो टीडीपी का मतदाता माना जाता है. राज्य में लगभग 6% कम्मा वोट है.

पुरंदेश्वरी अभी तक राष्ट्रीय महासचिव थी. वो पूर्व मुख्यमंत्री एनटी रामा राव की बेटी हैं और टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू की भाभी हैं.

वरिष्ठ पत्रकार ललित राय कहते हैं कि बीजेपी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर अपने संगठन को मजबूत करना चाहती है. जिन राज्यों में बीजेपी ने नियुक्ति की है, उनमें से किसी में भी राज्य में पार्टी की सरकार नहीं है. झारखंड को छोड़कर तीनों ही राज्यों में पार्टी बहुत मजबूत नहीं है, ऐसे में मिशन 300 प्लस को धार देने के लिए ये नियुक्ति की गयी है.

बीजेपी से जुड़े एक नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि

आने वाले दिनों में कई राज्यों के प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष बदले जाएंगे. कई नेताओं को सरकार से हटाकर संगठन में लाया जाएगा और कई महासचिव भी हटाए जा सकते हैं. जल्द ही केंद्रीय कैबिनेट का विस्तार भी हो सकता है, जिसमें कई नेताओं को मंत्री बनाया जाएगा. इसके अलावा जल्दी ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में भी कैबिनेट विस्तार होगा.

कुल मिलाकर देखें तो जिन राज्यों में बीजेपी ने नए अध्यक्षों की नियुक्ति की है, उसमें पंजाब (13 सीट), तेलंगाना (17), आंध्र प्रदेश (25) और झारखंड में 14 लोकसभा की सीटें है. यानी इन राज्यों से 69 सांसद चुनकर लोकसभा में जाएंगे. जानकारों की मानें तो, संगठन को मजबूत करने और मिशन 300 प्लस को धार देने के लिए ये नियुक्तियां की गई हैं. हालांकि, कुछ जानकारों का कहना है कि पार्टी हिंदुत्व की पॉलिटिक्स के साथ अब विकास मॉडल को लेकर आगे जाना चाहती है. ऐसे में उसका पूरा जोर रिजल्ट ओरिएंटेड पॉलिटिक्स पर है. इसमें जो भी फिट बैठ रहा है, उसको आगे लाया जा रहा है. साथ ही पार्टी भविष्य की राजनीति को देखते हुए राज्य इकाई को मजबूत करने में जुटी है.

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