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पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिल्ली के चांदनी चौक से मौजूदा सांसद डॉ. हर्षवर्धन (Dr Harsh Vardhan) ने राजनीति से रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया है. डॉ हर्षवर्धन का फैसला तब आया जब इससे एक दिन पहले बीजेपी ने चांदनी चौक से डॉ हर्षवर्धन का टिकट काट दिया है. उन्होंने एक्स पर अपने एक पोस्ट में कहा कि, "अब मैं अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहता हूं." बता दें कि चांदनी चौक सीट से इस बार बीजेपी ने प्रवीण खंडेलवाल को टिकट दिया है.
डॉ हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट में लिखा कि, तीस साल से अधिक के शानदार चुनावी करियर के दौरान मैंने सभी पांच विधानसभा और दो संसदीय चुनाव लड़े, जो मैंने जीते, और पार्टी संगठन और राज्य और केंद्र की सरकारों में कई प्रतिष्ठित पदों पर काम किए, इसके बाद अब मैं अपनी जड़ों की ओर वापस लौटना चाहता हूं.
उन्होंने आगे लिखा कि, "मैं हमेशा कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति की सेवा करने के प्रयास के दीन दयाल उपाध्याय जी के अंत्योदय फिलॉसफी का प्रशंसक रहा हूं. तत्कालीन आरएसएस नेतृत्व के आग्रह पर मैं चुनावी मैदान में आया. वे मुझे केवल इसलिए मना सके क्योंकि मेरे लिए राजनीति का मतलब हमारे तीन मुख्य शत्रुओं - गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ने का अवसर था.
उन्होंने लिखा कि, मैं तंबाकू और अल्कोहल के सेवन के खिलाफ, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ और सरल और टिकाऊ जीवन शैली सिखाने के लिए अपना काम जारी रखूंगा.
डॉ हर्षवर्धन दो बार मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं, कोरोना महामारी के दौर में डॉ हर्षवर्धन ही स्वास्थ्य मंत्री के पद पर थे.
डॉ. हर्षवर्धन पेशे से ईएनटी सर्जन हैं, उन्हें बड़ी राजनीतिक पहचान तब मिली जब 1993 में वे पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर निर्वाचन क्षेत्र से दिल्ली विधानसभा के लिए चुने गए थे. दिल्ली विधानसभा के लिए वे लगातार चार बार चुने गए - 1998, 2003, 2008 और 2013. इसके बाद 2014 और 2019 में वे दिल्ली के चांदनी चौक से लोकसभा के लिए चुने गए.
वे दिल्ली बीजेपी के चार बार प्रदेश अध्यक्ष भी रहे इससे पहले वह बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं. 2007 में इन्ही के नेतृत्व में बीजेपी दिल्ली नगर निगम पर दोबारा काबिज हो पाई थी. साल 2013 में बीजेपी मे डॉ वर्धन को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी बनाया था इस समय बीजेपी ने अधिकतम सीटें जीतीं थीं.
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