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यूरोपीय सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सवाल उठाने पर बीजेपी ने जवाब दिया है. बीजेपी का कहना है कि कश्मीर जाने पर अब किसी तरह की रोक नहीं है. देसी-विदेशी सभी पर्यटकों के लिए कश्मीर को खोल दिया गया है और ऐसे में विदेशी सांसदों के दौरे को लेकर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है.
बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा, "कश्मीर जाना है तो कांग्रेस वाले सुबह की फ्लाइट पकड़कर चले जाएं. गुलमर्ग जाएं, अनंतनाग जाएं, सैर करें, घूमें-टहलें. किसने उन्हें रोका है? अब तो आम पर्यटकों के लिए भी कश्मीर को खोल दिया गया है."
शाहनवाज हुसैन ने कहा कि जब कश्मीर से आर्टिकल-370 हटा था, तब शांति-व्यवस्था के लिए एहतियातन कुछ कदम जरूर उठाए गए थे, अब हालात सामान्य होते ही सब रोक हटा ली गई.
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, "जब कश्मीर में तनाव फैलने की आशंका थी, तब बाबा बर्फानी के दर्शन को भी तो रोक दिया गया था. यूरोपीय संघ के सांसद कश्मीर जाना चाहते थे. वो पीएम मोदी से मिले तो अनुमति दी गई. कश्मीर को जब आम पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है तो विदेशी सांसदों के जाने पर हायतौबा क्यों? विदेशी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर जाने से पाकिस्तान का ही दुष्प्रचार खत्म होगा."
आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार विदेशी प्रतिनिधिमंडल का जम्मू-कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए जाने पर विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है, ‘’कश्मीर में यूरोपियन सांसदों को सैर-सपाटा और हस्तक्षेप की इजाजत लेकिन भारतीय सांसदों और नेताओं को पहुंचते ही एयरपोर्ट से वापस भेजा गया! बड़ा अनोखा राष्ट्रवाद है यह.’’
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के गाइडेड टूर पर यूरोपीय सांसदों का स्वागत किया जा रहा है, जबकि भारतीय सांसदों पर प्रतिबंध है और उनकी एंट्री पर रोक है. इस सबमें कुछ बेदह गलत है.’’
27 सदस्यीय इस प्रतिनिधिमंडल में ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, फ्रांस, स्लोवाकिया, पोलैंड, स्पेन, बेल्जियम और चेक रिपब्लिक के सदस्य हैं, लेकिन सिर्फ ब्रिटेन और इटली के एक-एक सदस्यों को छोड़कर बाकी सभी 25 सदस्य या तो धुर दक्षिणपंथी हैं या फिर दक्षिण-पंथ की ओर झुकाव वाले (सेंटर-राइट) हैं.
28 अक्टूबर को पीएम मोदी ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से मुलाकात के दौरान पाकिस्तान की तरफ साफ इशारा करते हुए कहा कि उन देशों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है, जो आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.
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