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मोटर व्हीकल अमेंडमेंट एक्ट 2019 के भारी जुर्माने को लेकर देशभर में चर्चा है. रोजाना भारी भरकम चालान की खबरें सामने आ रही हैं. कहीं गाड़ी की कीमत से दोगुना चालान तो कहीं चालान के सदमे से मौत की खबर. केंद्र सरकार कह रही है कि नए मोटर व्हीकल एक्ट को लागू करना जरूरी है लेकिन कई राज्यों ने इस दलील को मानने से मना कर दिया है. नौबत ये है कि कई बीजेपी शासित राज्य भी इसे लागू करने को तैयार नहीं. तो सवाल उठता है कि क्या अपनी ही राज्य सरकारों पर बीजेपी की पकड़ नहीं है?
ज्यादा चालान वाले कानून पर कहां आनाकानी
भारी भरकम चालान काटने का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इससे आम जनता की जेब पर असर पड़ेगा. दलील ये भी दी जा रही है कि आम लोग केंद्र सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं. इसी को देखते हुए बीजेपी शासित प्रदेशों ने भी केंद्र की सत्ता में काबिज अपनी ही सरकार के इस कानून में बदलाव करने शुरू कर दिए हैं.
मोटर व्हीकल एक्ट पर सबसे पहले कैंची चलाने वाला बीजेपी शासित राज्य गुजरात बना. यहां के सीएम विजय रूपाणी ने मोदी सरकार के इस कानून में बदलाव किए हैं. उन्होंने एक्ट के तहत लगाए जाने वाले जुर्मानों की रकम को सीधा आधा कर दिया.
बीजेपी की गुजरात सरकार ने जुर्माने में कटौती करने के बाद भी इसे काफी ज्यादा बताया. सरकार ने कहा कि ऐसा करने से वो ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों का साथ नहीं दे रहे हैं. अभी भी जो चालान घटाए गए हैं वो भी पुराने चालानों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा है.
गुजरात में चालान की दरें
गुजरात के बाद दूसरा बीजेपी शासित प्रदेश उत्तराखंड है, जिसे मोटर व्हीकल एक्ट के भारी जुर्मानों से डर लगा है. उत्तराखंड सरकार ने इस एक्ट पर कुछ हद तक संशोधन किया है. सरकार ने राज्य की जनता को कुछ नियमों में जुर्माने पर राहत दी है. यहां की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने भी इसके पीछे यही दलील दी है कि जनता की जेब पर पड़ने वाले भारी असर के चलते ये फैसला लिया गया है.
उत्तराखंड में चालान की दरें
मोटर व्हीकल एक्ट के कई बड़े मामले सामने आने के बाद केंद्रीय परिवहन मंत्री सरकार का बचाव करने में जुटे हैं. उनका कहना है कि लोगों को सड़क पर सुरक्षित रखने के लिए ये कड़े नियम जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि हर साल लाखों दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें कई लोग मरते हैं. नए नियमों से सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी. हालांकि उनकी इस दलील को उनकी ही पार्टी के कई मुख्यमंत्री मानने को तैयार नहीं हैं. मुख्यमंत्रियों का कहना है कि जनता पर बोझ नहीं डालना चाहिए और उन्हें राहत देने के लिए कानून में संशोधन जरूरी हैं.
गुजरात और उत्तराखंड में अभी विधानसभा चुनाव होने में काफी देर है. लेकिन महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में चुनाव होने हैं. ऐसे में इन राज्यों को मोटर व्हीकल एक्ट के भारी जुर्मानों से परेशान जनता की चिंता सता रही है. इसीलिए तीनों राज्य इस कानून में बदलाव की योजना बना रहे हैं.
महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री ने नितिन गडकरी से नये मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ट्रैफिक फाइन पर पुनर्विचार करने की अपील की है. वहीं झारखंड और हरियाणा भी कुछ ही दिनों में इस एक्ट में संशोधन को लेकर फैसला ले सकते हैं. खास बात ये है कि ये तीनों राज्य भी बीजेपी शासित हैं. अगर तीनों राज्यों ने मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन किया तो बगावत करने वाले बीजेपी राज्यों की लिस्ट काफी लंबी हो सकती है.
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