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कर्नाटक BJP अध्यक्ष पद पर येदियुरप्पा के दिन गिनती के

कर्नाटक में बीजेपी के अंदर अब यही चर्चा गरमाई हुई है.

अरुण पांडेय
पॉलिटिक्स
Published:
(फोटो: PTI)
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(फोटो: PTI)

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बीएस येदियुरप्पा और कितने दिन कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष रह पाएंगे? कर्नाटक में बीजेपी के अंदर अब यही चर्चा गरमाई हुई है.

रामनगर विधानसभा सीट उपचुनाव में वोटिंग से 48 घंटे पहले बीजेपी के कैंडिडेट एल चंद्रशेखर ने जिस तरह पार्टी को गच्चा दिया है, उससे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्ट्रॉन्गमैन इमेज को झटका लगा है.

बीजेपी के सर्किल में ऐसा कहने वाले बहुत हैं कि ये सब कुछ येदियुरप्पा का किया धरा है. समझा जाता है अमित शाह भी उनकी इन हरकतों से चिढ़ने लगे हैं, क्योंकि अपना रुतबा जताने के लिए वो सीधे नरेंद्र मोदी के नाम की धौंस दिखा देते हैं.

(फोटो: IANS)

रामनगर विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की पत्नी अनीता कुमारस्वामी को हराने के लिए येदियुरप्पा ने स्ट्रैटेजी बनाई और 22 सालों से कांग्रेस में जमे-जमाए एल चंद्रशेखर को तोड़कर उम्मीदवार भी बना दिया. लेकिन चंद्रशेखर ने वोटिंग के ऐन 48 घंटे पहले दोबारा कांग्रेस में शामिल होकर बेंगलुरु से दिल्ली तक पूरी बीजेपी लीडरशिप को हिला दिया.

लहर सिंह की चिट्ठी येदियुरप्पा पर निशाना

बीजेपी के सीनियर नेता और एमएलसी लहर सिंह सिरोया ने तो येदियुरप्पा की तरफ निशाना लगाते हुए गुस्से भरी चिट्ठी लिख डाली कि छोटे राजनीतिक फायदे के लिए प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को घसीटकर उनका कद कम न करें. हालांकि लहर सिंह ने येदियुरप्पा का नाम नहीं लिया, पर उनका निशाना कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष हैं, इस पर कोई कंफ्यूजन भी नहीं रखा.

लहर सिंह के मुताबिक, इधर-उधर की बातें करने के बजाए कर्नाटक बीजेपी नेता मोदी को दोबारा पीएम बनाने के लिए जुट जाएं.
एमएलसी लहर सिंह सिरोया को शॉल उड़ाते हुए कार्यकर्ता(फोटो: IANS)

सिर्फ लहर सिंह ही नहीं, राज्य में बीजेपी के दूसरे नेता और कार्यकर्ता अपनी राज्य इकाई के अध्यक्ष के कामकाज के तरीके से नाराज हैं. उन्हें लगता है कि लोकसभा चुनाव की तैयारी के बजाए येदियुरप्पा सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने के जुगाड़ में लगे हुए हैं.

येदियुरप्पा के फेल मिशन

मामला एक होता, तो शायद येदियुरप्पा के स्टाइल पर इतने सवाल न उठते. उनका जब कोई ऑपरेशन विफल हो जाता है, तो वो संकेत देने लगते हैं कि अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से इसे हरी झंडी मिली थी. यहां तक कि कांग्रेस नेता और वरिष्ठ मंत्री डी शिवकुमार ने कटाक्ष किया कि मुझे येदियुरप्पा से सहानुभूति है.

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लिंगायत नेता येदियुरप्पा की मनमर्जी से चलने के तरीके बीजेपी के लिए बोझ बनने लगे हैं.

  1. विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी का बहुमत नहीं होने पर भी सरकार बनाने का दावा पेश किया. बताया जाता है कि उन्होंने दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भरोसा दिला दिया कि वो बहुमत जुटा लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और इस फेल मिशन के लिए पीएम और शाह को भी शर्मिंदगी उठानी पड़ी.
  2. कुछ दिन शांत रहने के बाद येदियुरप्पा ने दोबारा कुमारस्वामी सरकार को गिराने की तरकीब लगाने लगे, लेकिन पोल खुल गई.
  3. मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने जब कहा कि कर्नाटक में हमारी सरकार है, तो येदियुरप्पा ने पीएम मोदी की धौंस दिखाते हुए जवाब दिया कि वो न भूलें कि केंद्र में पीएम मोदी की बीजेपी सरकार है.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी के कामकाज के तरीके को समझने वाले वाले कहते हैं कि येदियुरप्पा के तौर-तरीकों से सेंट्रल लीडरशिप ने दूरी बना रखी है. लहर सिंह और राज्य के दूसरे बीजेपी नेताओं के तेवरों से लगता है कि उन्हें भी इसके संकेत मिल गए हैं.

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