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बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने रविवार, 10 दिसंबर को पार्टी बैठक में एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि उनके भतीजे आकाश आनंद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे. आकाश आनंद मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं. अब ऐसे में सवाल है कि तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने आकाश को अपना उत्तराधिकारी क्यों घोषित किया है और इसके क्या मायने होंगे? लेकिन, उससे पहले ये जान लेते हैं कि पार्टी बैठक में मौजूद BSP पदाधिकारियों ने क्या कहा?
28 साल के आनंद कुमार बीएसपी के पार्टी कॉर्डिनेटर हैं. वे 2019 में मायावती के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान एक प्रमुख चेहरा थे. अब बीएसपी सुप्रीमो ने लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. जैसा कि बीएसपी नेता उदयवीर ने बताया कि जिन राज्यों में बीएसपी कमजोर है, वहां आकाश को पार्टी की जिम्मेदारी दी गई है.
अब सवाल है कि तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने आकाश को अपना उत्तराधिकारी क्यों घोषित किया है और इसके क्या मायने होंगे? चलिए जानते हैं.
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, लोकसभा चुनाव को लेकर मायावती ने आकाश आनंद पर दांव लगाया है. पांच राज्यों के चुनाव में बीएसपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. ऐसे में लोकसभा चुनाव में बीएसपी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. इसलिए उन्होंने आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित कर उन्हें कमजोर राज्य में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंप दी है.
आकाश आनंद 28 साल के हैं. ऐसे में मायावती ने युवा कंधे पर पार्टी की जिम्मेदारी डाली है. जानकारों के अनुसार, लोकसभा चुनाव से पहले मायावती ने युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए ये नया दांव खेला है. धीरे-धीरे अपनी स्फूर्ति खो रही इस पार्टी में बीएसपी सुप्रीमो ने जान फूंकने की कोशिश की है.
इस फैसले के पीछे बड़ी वजह वोटरों का पार्टी से मोहभंग है. हाल के राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में पार्टी ने बहुत खराब प्रदर्शन किया. पार्टी चारों राज्यों में अपना पिछला परफॉर्मेंस भी कायम नहीं रख सकी.
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो 2023 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को छत्तीसगढ़ में 2.05%, मध्य प्रदेश में 3.40%, राजस्थान में 1.82% और तेलंगाना में 1.37% वोट हासिल हुआ.
ऐसे में पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार छत्तीसगढ़ में 1.82%, मध्यप्रदेश में 1.61%, राजस्थान में 2.21% और तेलंगाना में 0.69 प्रतिशत वोट शेयर का नुकसान हुआ है.
इन आकंड़ों से साफ पता चलता है कि बीएसपी का जनाधार धीरे-धीरे कम होता जा रहा है.
पिछले कुछ सालों में मायवती की राजनीति में सक्रियता कम देखी जा रही है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती चुनाव के समय तो रैली और जनसभाओं के जरिए दिखती हैं लेकिन जनता के बीच से वो गायब होती जा रही हैं. जनता से संवाद कम होते जा रहा है. जातीय समीकरण को साधकर यूपी में कभी बीएसपी मजबूत थी, लेकिन अब पार्टी की पकड़ वहां भी कमजोर होती जा रही है. पार्टी में ऐसे चेहरों की भी कमी है, जो सीट बढ़ा सकें. 2024 में मायावती के सामने पार्टी को बचाने की चुनौती है.
परिवारवाद का मुखरता से विरोध करने वाली मायावती ने अपने भतीजे को ही पार्टी का कर्ताधर्ता बनाया है. इसके पीछे एक वजह यह भी है कि मायावती पार्टी कार्यकर्ताओं और वोटर्स को संदेश देना चाहती हैं कि हमारे बाद कोई है, जो आपको और पार्टी को संभालेगा.
मायावती के राजनीतिक उत्तराधिकारी आकाश आनंद उनके भतीजे हैं. वह बीएसपी के राष्ट्रीय समन्वयक हैं और उन्होंने हाल ही में हुए राजस्थान विधानसभा चुनावों में बीएसपी प्रभारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उन्होंने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में BSP के लिए भी बड़े पैमाने पर काम किया. मायावती ने उन्हें दलितों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, ओबीसी और आदिवासियों के मुद्दों को कवर करने वाले पार्टी के चुनाव अभियान की तैयारी और शुरुआत करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में तैनात किया था.
आकाश आनंद ने 2017 में 22 साल की छोटी उम्र में राजनीति में प्रवेश किया. लंदन से एमबीए स्नातक, उनकी राजनीतिक शुरुआत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक रैली में मायावती के साथ हुई थी, जहां उन्होंने अखिलेश यादव और अजीत सिंह के साथ मंच साझा किया था.
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