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पंजाब में कभी कांग्रेस के 'कैप्टन' रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने अब बीजेपी के साथ अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया है. अमरिंदर सिंह सोमवार को बीजेपी की नैया पर सवार हो गए और अब पंजाब में बीजेपी के लिए काम करेंगे. लेकिन, सवाल ये है कि कभी बीजेपी के धुर-विरोधी रहे कैप्टन को बीजेपी से क्या हासिल होगा? सवाल ये भी है कि कैप्टन को अपने कुनबे में शामिल कर बीजेपी को क्या मिलने वाला है?
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साल 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव अपनी लोक कांग्रेस पार्टी बनाकर लड़ा था. पंजाब विधानसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह, बीजेपी के गठबंधन के साथी रहे थे. 117 विधानसभा वाले पंजाब में बीजेपी ने 65 और अमरिंदर सिंह ने 37 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन, ये चुनाव अमरिंदर सिंह के लिए ढाक का पात ही रहा. इस चुनाव में बीजेपी ने दो सीटों (पठानकोट और मुकेरियां) पर जीत हासिल की थी. वहीं, अमरिंदर सिंह की लोक कांग्रेस पार्टी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई. यहां, तक कि खुद अमरिंदर सिंह भी पटियाला सीट से चुनाव हार गए. यहां से आप के अजीत सिंह कोहली चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.
दरअसल, पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में मिली हार से अमरिंदर सिंह राजनीतिक तौर पर नेपथ्य में जा चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषक आदित्य मेनन बताते हैं कि बीजेपी में शामिल होने अमरिंदर सिंह को तीन फायदे होने वाले हैं.
पहला: बीजेपी में शामिल होने से अमरिंदर सिंह को एक बूस्टर डोज मिलेगा, जो उनके राजनीतिक कद को और आगे बढ़ाएगा.
दूसरा: अमरिंदर सिंह को एक ऐसी पार्टी का संसाधन मिलेगा, जो मौजूदा समय में राजनीतिक रूप से मजबूत है.
तीसरा: अमरिंदर सिंह, बीजेपी के सहारे कांग्रेस द्वारा दिए गए जख्म पर भी मरहम लगाने की कोशिश करेंगे. क्योंकि, अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस से अलग होने पर अपमानित होने की बात कही थी. ऐसे में वो कांग्रेस से बदला लेने की कोशिश जरूर करेंगे.
पंजाब में बीजेपी का कोई अपना जनाधार नहीं है. वो अभी तक SAD के सहारे ही पंजाब में बढ़ती या यूं कह लें कि घसीट-घसीट कर चलती रही है. राजनीतिक विश्लेषक आदित्य मेनन बताते हैं कि अमरिंदर सिंह को अपने कुनबे में शामिल कर बीजेपी एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश करने में लगी है.
पहला: BJP, अमरिंदर सिंह के सहारे पंजाब में पांव पसारने की तैयारी कर रही है. क्योंकि वह जानती है कि अमरिंदर सिंह ही थे, जिन्होंने साल 1984 के बाद पंजाब में नेपथ्य में जा चुकी कांग्रेस को खड़ा किया था.
दूसरा: BJP का मकसद है कि अमरिंदर सिंह के सहारे ही कांग्रेस को और चोट पहुंचाई जाए. बीजेपी को उम्मीद है कि अमरिंदर सिंह पंजाब में कांग्रेस को तोड़ सकने में कामयाब होंगे और कई नेताओं को बीजेपी में भी शामिल करा सकेंगे.
तीसरा: BJP, अमरिंदर सिंह के सहारे ही AAP को चुनौती देने की तैयारी कर रही है. क्योंकि, AAP ने गुजरात में BJP के खिलाफ ताल ठोक दी है, जिसको रोकने के लिए बीजेपी ने पंजाब में अमरिंदर सिंह का सहारा लिया है.
नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच दरार साल 2017 में सरकार बनने के साथ ही शुरू हो गई थी. समय के साथ-साथ ये और बढ़ती ही गई. ये दरार उस दिन से और तेजी से बढ़ने लगी जब नवजोत सिंह सिद्धू की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस आलाकमान ने ताजपोशी कर दी. हालांकि, इसे पाटने के लिए कांग्रेस आलाकमान दिल्ली से ही कोशिश करता रहा, लेकिन सफल नहीं हुए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हरीश रावत की कोशिश भी नाकाम रही, अंतत: दोनों के बीच की दररा इतनी चौड़ी हो गई की इसे भरना आलाकमान के बस में भी नहीं रहा. लिहाजा, बीच का रास्ता भी बंद हो गया. अमरिंदर सिंह ने ये कहते हुए कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया कि सोनिया गांधी ने उनसे इस्तीफा मांगा था.
कैप्टन ने सोनिया गांधी के भेजे अपने इस्तीफे में लिखा था कि...
नवंबर 2021 में कांग्रेस से अलग होने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुद की पार्टी बनाई और उसका नाम रखा पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी. हालांकि, कांग्रेस से अलग होने के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि अमरिंदर सिंह बीजेपी में शामिल होकर पंजाब में बीजेपी का खेवनहार बनेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बहरहाल, देर से ही सही आखिर वो बीजेपी के सियासी पिच पर कांग्रेस के खिलाफ बल्लेबाजी करने उतरेंगे. ये अलग बात है कि उनकी बल्लेबाजी कैसी होती वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन, उन्होंने मैदान में उतरने के लिए कमर कस ली है.
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Published: 16 Sep 2022,05:10 PM IST