कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे के बाद मीडिया से बात करते हुए उनकी कांग्रेस से नाराजगी साफ जाहिर हो रही थी. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी को मेरे सरकार चलाने पर संदेह है, तो मैं इस्तीफा देता हूं. उन्होंने ये भी बताया कि इस्तीफा देने से पहले उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से बात कर उन्हें अपने इस फैसले के बारे में बताया था.
पटियाला के पूर्व शाही परिवार के मुखिया अमरिंदर सिंह पंजाब के 26वें मुख्यमंत्री थे. उनके सफर पर एक नजर:
सेना में दी सेवाएं
वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) कांग्रेस के सदस्य हैं और पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले वो पार्टी के सबसे अधिक उम्र वाले मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थे.
कैप्टन अमरिंदर सिंह के पिता पटियाला रियासत के अंतिम महाराजा थे. कैप्टन अमरिंदर सिंह भारतीय सेना में एक अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
अमरिंदर सिंह ने 1965 में सेना से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान फिर से वो सेना में शामिल हो गए. उन्होंने GOC-in-C (पश्चिमी कमान) लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्श सिंह के ADC के रूप में कार्य किया.
राजीव गांधी राजनीति में लेकर आए
उन्हें कांग्रेस में राजीव गांधी लेकर आए थे और 1980 में पटियाला सीट से सांसद बने, लेकिन ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में 1984 में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वो शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए, लेकिन 1992 में इससे इस्तीफा दे दिया और शिरोमणि अकाली दल (पंथिक) नाम की एक अलग पार्टी बनाई, जिसका बाद में 1998 में कांग्रेस में विलय हो गया.
कैप्टन अमरिंदर सिंह 1999 से 2002, 2010 से 2013 और 2015 से 2017 तक तीन मौकों पर पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में काम किया है.
आम चुनावों में जेटली को हराया
2002 में अमरिंदर सिंह पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने. 2007 में कांग्रेस पार्टी चुनाव हार गई और प्रकाश सिंह बादल पंजाब के CM बन गए. उस चुनाव में विपक्ष ने उनपर आरोप लगाया कि कैप्टन पहुंच के बाहर रहते हैं और इसी बात को चुनाव का मुद्दा बनाया गया.
अमरिंदर सिंह 2014 लोकसभा चुनाव में पंजाब के अमृतसर से बीजेपी के अरुण जेटली के खिलाफ चुनाव लड़ा था. कैप्टन ने 2014 की मोदी लहर में भी जेटली को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.
2017 में, अमरिंदर सिंह ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया और विपक्षी पार्टियों को पछाड़ते हुए राज्य में फिर कांग्रेस की सरकार बनाई.
सिद्धू के साथ विवाद और पार्टी में घटती लोकप्रियता
कुछ महीनों पहले, मई में सिद्धू के अमरिंदर सिंह की निंदा करने के साथ ही दोनों के बीच विवाद तेज हो गया था. सिद्धू ने आरोप लगाया कि 'बेअदबी' मामले से निपटने और मामले पर सच बोलने पर उनके सहयोगियों को राज्य सरकार धमका रही है. दोनों के बीच विवाद सुलझाने को लेकर कई बैठके हुईं, लेकिन इसका अंत कैप्टन के इस्तीफे के साथ हुआ.
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