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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के सिलेबस से लोकतांत्रिक अधिकार और धर्मनिरपेक्षता जैसे चैप्टर हटा दिए गए हैं. सीबीएसई की तरफ से बताया गया है कि क्लास 9 से लेकर 12वीं तक के सिलेबस को कम किया गया है. अब इसे लेकर सोशल मीडिया पर खूब बहस चल रही है. कई लोग बच्चों को ये चैप्टर नहीं पढ़ाए जाने के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, कांग्रेस नेता शशि थरूर समेत कई लोग उसी लिस्ट में शामिल हैं.
ममता बनर्जी ने इस मामले को लेकर कहा कि वो इस फैसले का विरोध करती हैं. उन्होंने कहा,
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस मामले पर लगातार तीन ट्वीट किए. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार को लगता है कि ये टॉपिक आज की जनरेशन के लिए सबसे बुरे हैं? थरूर ने ट्विटर पर लिखा,
"सीबीएसई छात्रों का बोझ कम करने के लिए उन्होंने क्या-क्या डिलीट किया वो मैंने देखा. तो जो बच्चे 10वीं क्लास में पढ़ रहे हैं वो अब लोकतंत्र और उसकी विविधता, धर्म, जाति, आंदोलनों आदि को नहीं पढ़ पाएंगे. केंद्र ने लोकतंत्र की चुनौतियों को भी हटा दिया है. 11वीं और 12वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र, जो आगे चलकर वोटर बनेंगे उन्हें अब विभाजन, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता और पड़ोसी देशों से संबंधों के बारे में नहीं पढ़ाया जाएगा. जो काफी महत्वपूर्ण विषय हैं. जिन लोगों ने इन विषयों को हटाने का फैसला किया है उनके इरादों पर शक होता है. क्या उन्होंने ये सोच लिया है कि लोकतंत्र, विविधता, धर्मनिर्पेक्षता जैसे मुद्दे कल की जनरेशन के लिए ठीक नहीं हैं? मैं सरकार से अपील करता हूं कि सिलेबस को तर्कसंगत बनाया जाए."
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे को लेकर ट्वीट किया. उन्होंने इसे लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा,
सीबीएसई के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर खूब मीम्स भी चल रहे हैं. लोग अपने-अपने तरीके से सिलेबस में हुई इस कटौती को बयां कर रहे हैं.
हालांकि विपक्षी नेताओं और सोशल मीडिया पर उठे सवालों को लेकर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है.
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