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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने ऐलान किया है कि अब राज्य में खेला होबे दिवस मनाया जाएगा. लगातार तीसरी बार बंगाल की सीएम बनीं ममता बनर्जी ने कहा कि, ये नारा चुनाव में काफी मशहूर हुआ और लोगों ने इसे खूब पसंद किया. इसीलिए हम हर साल राज्य में खेला होबे दिवस मनाएंगे.
बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी और ममता की टीएमसी में जबरदस्त घमासान छिड़ा. बीजेपी ने अपने तमाम मंत्रियों का लाव लश्कर बंगाल भेज दिया. दावा किया गया कि इस बार ममता बनर्जी को हराकर सरकार बनाएंगे. इसी बीच ममता ने खेला होबे... यानी इस बार खेल होगा का नारा दिया था. इसे पहले तो काफी कम लोकप्रियता मिली, लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के बड़े नेताओं ने ममता के इस बयान का इस्तेमाल उनके खिलाफ किया तो ये काफी मशहूर हो गया. भले ही बीजेपी ने ममता पर हमला बोलने के लिए इस बयान को मंच से कहा हो, लेकिन इसका सीधा फायदा ममता बनर्जी को ही हुआ.
उधर दूसरी तरफ ममता बनर्जी के सामने कोरोना महामारी के चलते एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो चुकी है. जिसके चलते उन्हें इस्तीफा तक देना पड़ सकता है. क्योंकि ममता नंदीग्राम से सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ हार गई थीं, इसीलिए उन्हें मुख्यमंत्री बनने के 6 महीने के भीतर विधानसभा में चुनकर आना होगा. ऐसा नहीं होने की सूरत में उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है.
हालांकि ममता बनर्जी भले ही विधानसभा से ये प्रस्ताव पास करवा ले, लेकिन बिना मोदी सरकार की मंजूरी के ये पैंतरा काम नहीं आ सकता है. क्योंकि इस प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों से भी मंजूरी मिलना जरूरी है और ऐसा तभी हो सकता है, जब मोदी सरकार चाहे. उत्तराखंड में सीएम बदलने जाने का कनेक्शन बंगाल से जोड़ा गया था, कहा गया था कि बीजेपी ने जानबूझकर एक तीर से दो शिकार कर दिए हैं. एक तरफ तीरथ सिंह जैसे सीएम को हटाना और दूसरी तरफ ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ाना. क्योंकि अगर उत्तराखंड में उपचुनाव कराए जाते तो पश्चिम बंगाल में भी कराने पड़ते. अब फिलहाल चुनाव आयोग उपचुनाव कराने के मूड में नहीं है, यानी ममता के सामने इस्तीफे का संकट बरकरार है.
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