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ऐसा बेहद कम ही होता है कि एक किसी राज्य में मुख्यमंत्री बदले जाने के पीछे दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री हो, लेकिन उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के पीछे ये एंगल काफी अहम है. कहां भारत के उत्तर में हिमालय की तलहटी में बसा प्रदेश उत्तराखंड और कहां भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी घेरने वाला प्रदेश पश्चिम बंगाल. लेकिन चुनावी और राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे बैठ रहे हैं कि उत्तराखंड की हलचल पर बंगाल का असर है.
आइए आपको समझाते हैं-
बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव हार गई हैं, ऐसे में उन्हें अगर मुख्यमंत्री बने रहना है तो 6 महीने के अंदर विधायक बनना जरूरी होगा.
वहीं अगर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार उत्तराखंड में उपचुनाव कराने के लिए तैयार हो जाते हैं और मंजूरी दे दी जाती है, तो उस पर बंगाल में भी उपचुनाव कराने का दबाव होगा और ऐसे में ममता बनर्जी के लिए मुख्यमंत्री बने रहना आसान हो जाएगा.
इसलिए भी बीजेपी और केंद्र सरकार चाहेगी कि उत्तराखंड में उपचुनाव करवाकर वो ममता बनर्जी को मौका ना दें.
बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी का अतिआत्मविश्वास ही था कि उन्होंने सिर्फ और सिर्फ नंदीग्राम से ही चुनाव लड़ने का फैसला किया. ममता बनर्जी अपने पुराने सहयोगी सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव करीबी मुकाबले में हार गईं. इन हालातों में बीरभूम से टीएमसी विधायक ने अपने नेता ममता के लिए सीट खाली भी कर दी है. लेकिन कोरोना के हालातों में उपचुनाव कब होंगे ये कहा नहीं जा सकता. यही सारी अनिश्चितता की जड़ है.
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Published: 02 Jul 2021,11:14 PM IST