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कांग्रेस (Congress) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खड़गे को (Mallikarjun Kharge) रबड़ स्टांप बताने के बीजेपी (BJP) के बयान पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने तीखे तेवर दिखाते हुए पलटवार किया है. खड़गे को BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यवर्धन सिंह राठौर ने रबड़ स्टांप बताया था. इसपर पत्रकारों ने गहलोत से सवाल किया तो उन्होंने बिना नाम लिए ये बात कहने वाले को पहले इतिहास पढ़ने की सलाह दे डाली.
गहलोत ने किसी भी नेता का नाम लिए बैगर कहा कि इन लोगों को शर्म भी नहीं आती. ये नए-नए लड़के आ गए हैं. उन्होंने कहा कि "वे समझते नहीं है कि उन्हें पहले इतिहास पढ़ना चाहिए, बोलना सीखना चाहिए ताकि कम से कम उनकी छवि खराब न हो, वरना इतिहास पढ़ने वाले लोग उनकी हंसी उड़ाते हैं. इनको कोई ज्ञान तो है नहीं. क्या है रबड़ स्टांप? कल सोनिया गांधी खुद उनके (खड़गे के) घर गईं."
गहलोत ने मीडिया से कहा कि खड़गे साहब चाहते थे कि वे सोनिया गांधी के यहां जाएं. "उन्होंने कहा कि सोनिया बीते 24 साल से कांग्रेस की सेवा कर रही हैं. कांग्रेस को एकजुट रखा है. दो बार संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार बनाई है. उन्होंने अधिकांश राज्यों में सरकारें बनवाईं और आज देश में अगर सम्मान पाने वाला कोई नेता है तो वह सोनिया गांधी हैं."
गहलोत ने BJP पर पलटवार करते हुए कहा कि "उसके नेताओं ने जहां अंग्रेजों की मुखबिरी की, वहीं कांग्रेस का बलिदान का इतिहास आजादी से पहले का है. गहलोत ने कहा कि इन्होंने आजादी की जंग में मुखबिरी की है. RSS और BJP के पहले के कई लोग ऐसे थे जो उस जमाने में अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे. इन्होंने आजादी के आंदोलन में भाग नहीं लिया. कांग्रेस के त्याग, बलिदान की कहानी आजादी से पहले की है."
"नई पीढ़ी को मालूम नहीं ये बातें. ये लोग उन्हें गुमराह कर रहे हैं. सत्ता में आने के बाद बड़ा दिल रखना चाहिए, नयी पीढ़ी को समझाना चाहिए. अच्छी बात बतानी चाहिए, अच्छे संस्कार देने चाहिए व अच्छी परंपरा बनानी चाहिए. ये उल्टा चल रहे हैं. ये लोग धर्म के नाम पर जाति के नाम पर वर्तमान पीढ़ी को बिगाड़ रहे हैं, बर्बाद कर रहे हैं"
गहलोत ने कहा कि हमने बार-बार कहा है कि आज पूरे मुल्क में तनाव, हिंसा का माहौल है, असहमति बर्दाश्त नहीं हो रही, जबकि ऐसा होना चाहिए कि सत्ता पक्ष आलोचना को महत्व दे.
"आज हम सत्ता में हैं. हमारे विपक्षी लोग हैं वे आलोचना करते हैं, असहमति व्यक्त करते हैं तो मैं बुरा नहीं मानता क्योंकि लोकतंत्र में ये तो आभूषण की तरह है. लोकतंत्र में आलोचना और असहमति को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है तभी लोकतंत्र मजबूत बनेगा, प्रतिपक्ष नहीं होगा तो फिर लोकतंत्र कैसे होगा."
गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र के मायने यही हैं कि पक्ष है तो विपक्ष भी अपनी बात कहेगा.
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