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राजस्थान के उदयपुर में नव संकल्प शिविर के समापन पर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने घोषणा की कि पार्टी इस साल 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती पर कन्याकुमारी से कश्मीर तक 'भारत जोड़ो' यात्रा शुरू करेगी. सोनिया गांधी ने कहा, "सभी पार्टी नेताओं को इसमें भाग लेना है - युवा और बूढ़े भी।"
चिंतन शिविर (Congress Chintan Shivir) में शामिल एक नेता ने कहा, "जिस तरह से बीजेपी की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं, उसे जन आंदोलन से ही हराया जा सकता है. ठीक उसी तरह जिस तरह से कांग्रेस का दबदबा आपातकाल विरोधी आंदोलन, मंडल और मंदिर और इंडिया अगेंस्ट करप्शन विरोध से टूटा था."
पार्टी नेताओं का कहना है कि इस तरह का जन आंदोलन कोई नई बात नहीं है ,बल्कि कांग्रेस में "महात्मा गांधी की विरासत का अभिन्न अंग" है.
कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने अपनी समापन टिप्पणी में कहा,
दिलचस्प बात यह है कि प्रशांत किशोर ने पिछले महीने कांग्रेस नेतृत्व के सामने अपनी प्रस्तुति में भी इस पर जोर दिया था.
चिंतन शिविर में इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप, राहुल गांधी द्वारा एक राष्ट्रव्यापी पदयात्रा पर सक्रिय रूप से विचार किया गया है.
उदयपुर चिंतन शिविर में संगठन समिति से लेकर राजनीतिक मुद्दे से जुड़ी समिति, युवा समिति और आर्थिक मुद्दे पर बनी समिति एक ही निष्कर्ष पर पहुंची कि एक जन आंदोलन की आवश्यकता है.
उदाहरण के लिए, आर्थिक मुद्दों की समिति में राष्ट्रीय स्तर के विरोध या आंदोलन का विचार इस संदर्भ में सामने आया कि पार्टी "वर्तमान आर्थिक गड़बड़ी" के उलट अपनी "परिवर्तनकारी आर्थिक नीतियों" के जरिए राजनीतिक मजबूती हासिल कर सकती है.
युवा समिति में, युवाओं के साथ पार्टी के अलगाव को संबोधित करने और इस महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय को जुटाने की आवश्यकता के संदर्भ में एक राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन पर चर्चा की गई.
राजनीतिक मुद्दों की समिति में, बीजेपी को हराने के लिए एक जन आंदोलन की जरूरत पर खास फोकस रहा.
राजनीतिक मुद्दों की समिति की चर्चाओं में शामिल एक नेता ने बताया,
हालांकि, संगठन समिति की बैठक में, जन आंदोलन के तौर-तरीकों पर एक दिलचस्प बहस हुई, जैसे कि: इसका नेतृत्व किसे करना चाहिए? क्या यह राज्य स्तर या राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए?
दक्षिणी राज्य के एक नेता ने सुझाव दिया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को राष्ट्रीय स्तर की पदयात्रा करनी चाहिए. सुझाव यह था कि यह लोगों तक पहुंचने के कार्यक्रम के साथ-साथ सरकार के खिलाफ एक राष्ट्रीय आंदोलन के हिस्से के रूप में काम कर सकता है.
हालांकि, बताया जाता है कि संगठन समिति के अध्यक्ष मुकुल वासनिक ने जवाब दिया कि "हर नेता को अपने-अपने राज्यों में इस तरह की पदयात्रा करनी चाहिए."
आखिर में, ऐसा लगता है कि पार्टी ने एक नेता को आंदोलन का चेहरा बनाने के बजाय पार्टी नेताओं की सामूहिक जिम्मेदारी बनाने का फैसला किया है.
इस पहलू पर काफी चर्चा हुई कि आंदोलन किस मुद्दे पर हो. आर्थिक मुद्दों की समिति में, चर्चा इस बात पर केंद्रित थी कि बीजेपी वर्तमान में खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद भी राजनीतिक तौर पर कीमत नहीं चुका रही है, खासकर बढ़ती महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी के बाद भी.
आर्थिक मुद्दों की समिति की बैठकों में भाग लेने वाले एक नेता ने कहा, "इसके उलट, हमने यह भी महसूस किया कि कांग्रेस अपनी परिवर्तनकारी आर्थिक नीतियों का लाभ नहीं उठा रही है."
यह महसूस किया गया कि बेरोजगारी और महंगाई पर एक जन आंदोलन के जरिए जनता को संबोधित किया जा सकता है. हालांकि, राजनीतिक मुद्दों की समिति में, कुछ नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि विरोध केवल आर्थिक संकट पर आधारित नहीं हो सकता, कांग्रेस को अपनी "दृष्टि" और "सच्चे भारतीय राष्ट्रवाद" की "एकजुटता के नैरेटिव" को सामने रखना चाहिए.
राजनीतिक मुद्दों और बाद में कांग्रेस कार्यसमिति की चर्चाओं के परिणामस्वरूप ही यात्रा के लिए 'भारत जोड़ो' विषय दिया गया.
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