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लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के नतीजे आ गए. नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है. कैबिनेट में नए चेहरों को मौका मिला. इन सबके परे एक सवाल है कि आखिर लोकसभा चुनाव में किन युवा दलित नेताओं ने जीत का परचम लहराया है. इस आर्टिकल में हम उन युवा दलित सांसदों के बार बताएंगे जिनकी चर्चा जोरों पर है.
इस लिस्ट में पहला भीम आर्मी से चर्चा में आए चंद्रशेखर आजाद का है, जिन्होंने यूपी की नगीना सीट से बीजेपी उम्मीदवार ओम कुमार को डेढ़ लाख से भी ज्यादा वोटों से हराया है. चंद्रशेखर आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वो साल 2015 में 'भीम आर्मी' बनाकर चर्चा में आए थे. चंद्रशेखर पेशे से वकील रहे हैं. उन्होंने उत्तराखंड से कानून की पढ़ाई की.
18वीं लोकसभा के लिए राजस्थान के भरतपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनी गईं कांग्रेस संजना जाटव देश के युवा सांसदों में से एक हैं. दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वालीं संजना जाटव वो शख्स हैं, जिन्होंने जिला परिषद सदस्य से सांसद बनने तक का सफर तय किया है. राजस्थान के भरतपुर से सांसद बनीं संजना जाटव सिर्फ 26 साल की हैं. राजस्थान में सबसे कम उम्र की उम्मीदवार थीं. संजना ने बीजेपी उम्मीदवार रामस्वरूप कोली को 51,983 वोटों से हराया है
शांभवी चौधरी की उम्र महज 25 साल है. वह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी की नेता हैं. शांभवी चौधरी के पिता अशोक चौधरी जेडीयू नेता हैं. वह नीतीश कुमार की कैबिनेट में सबसे प्रभावशाली मंत्रियों में से एक हैं.
जानकारी के अनुसार, बिहार की समस्तीपुर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. शांभवी पासी जाति से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने बिहार सरकार के सूचना जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी को चुनाव में हराया है.
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