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दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर वोटिंग जारी है. हाल ही में झारखंड और उससे पहले महाराष्ट्र की सत्ता गंवाने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए यह चुनाव काफी अहम माना जा रहा है.
ऐसे में 11 फरवरी को आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले इस चुनाव में BJP के पक्ष में 5 मजबूत वजहों और उसके खिलाफ दिख रही 5 कमजोरियों पर एक नजर दौड़ाते हैं:
1- साइलेंट वोटर बना गरीब
दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह से दो सौ यूनिट बिजली और महीने में 20 हजार लीटर पानी मुफ्त कर दिया, उससे आम जन और गरीब परिवारों की जेब पर बोझ कम हुआ है. फायदा पाने वाला गरीब तबका चुनाव में साइलेंट वोटर बना नजर आ रहा है. बिजली कंपनियों के आंकड़ों की बात करें तो एक अगस्त को योजना की घोषणा होने के बाद दिल्ली में कुल 52,27,857 घरेलू बिजली कनेक्शन में से 14,64,270 परिवारों का बिजली बिल शून्य आया. ऐसे में फायदा पाने वाले अगर AAP के लिए वोट करते हैं तो उसकी वापसी की राह काफी आसान होगी.
2- AAP की तरफ मुस्लिमों का झुकाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) आने के बाद से मुस्लिमों की बड़ी आबादी के मन में डर बैठ गया है. मुस्लिम उस पार्टी को वोट देना चाहते हैं जो BJP को हराने में सक्षम हो. कांग्रेस दिल्ली चुनाव में काफी कमजोर दिख रही है, ऐसे में मुस्लिमों के ज्यादातर वोट AAP को मिलना तय माना जा रहा है. दिल्ली में सीलमपुर और ओखला जैसी कई सीटों पर मुस्लिम निर्णायक स्थिति में हैं.
3- AAP का महिलाओं पर फोकस
केजरीवाल सरकार ने अपनी कई योजनाओं के जरिए महिलाओं पर फोकस किया है. सरकार ने 30 अक्टूबर को भैयादूज के दिन से बसों में महिलाओं के लिए सफर मुफ्त कर दिया. एक आंकड़े के मुताबिक, हर रोज करीब 13 से 14 लाख महिलाएं दिल्ली की बसों में सफर करतीं हैं. ऐसे में अगर महिलाओं ने बड़ी संख्या में AAP के लिए वोट किया तो BJP की राह काफी मुश्किल हो जाएगी.
4- स्कूलों की फीस
दिल्ली में स्कूलों की हालत सुधारने के केजरीवाल सरकार के जो भी दावे हों, मगर बताया जा रहा है कि प्राइवेट स्कूलों की फीस पर अंकुश लगने से मध्यमवर्गीय जनता को बड़ा फायदा पहुंचा है. AAP के ही एक सूत्र के मुताबिक, दिल्ली में अधिकांश स्कूल कांग्रेस और BJP नेताओं के चलते हैं. ऐसे में केजरीवाल ने फीस पर नकेल कस दी. इसका फायदा मध्यमवर्गीय परिवारों को हुआ है. यह वर्ग चुनाव में भी बड़ी भूमिका निभाता है.
5- BJP की सेना बनाम अकेले खड़े केजरीवाल
राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग का मानना है कि BJP का हद से ज्यादा आक्रामक चुनाव प्रचार अभियान फायदा देने की जगह नुकसान भी दे सकता है. केजरीवाल खुद BJP की भारी-भरकम बिग्रेड का बार-बार हवाला देते हुए खुद को अकेला बताते रहे हैं. ऐसे में जनता की अगर केजरीवाल के प्रति सहानुभूति उमड़ी तो फिर BJP के लिए दिक्कत हो सकती है.
1- ध्रुवीकरण
BJP ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की आक्रामक पिच तैयार की. शाहीन बाग का प्रदर्शन मानो मुंह मागी मुराद जैसा हाथ लग गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित छोटे से लेकर बड़े नेता हर रैली और सभाओं में शाहीन बाग का मुद्दा उछालते रहे. सभाओं में जनता के बीच सवाल उठाते रहे- आप शाहीन बाग के साथ हैं या खिलाफ? शरजील इमाम के असम वाले बयान और जामिया हिंसा को भी BJP ने मुद्दा बनाकर बहुसंख्यक वोटर्स को साधने की कोशिश की.
2- धुआंधार कैंपेनिंग
छोटे से केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के लिए BJP ने काफी ताकत झोंकी है. पार्टी ने गली-गली केंद्रीय मंत्री, सांसद-विधायकों की फौज दौड़ा दी. शायद ही कोई मोहल्ला बचा हो, जहां BJP नेताओं ने नुक्कड़ सभाएं ना की हों. ऐसे में BJP ने धुआंधार कैंपेनिंग से अपने पक्ष में जबरदस्त माहौल बनाने की कोशिश की.
3- व्यापारियों का झुकाव
दिल्ली के व्यापारियों को सीलिंग का डर हमेशा सताता रहा है. बहुत से व्यापारियों को लगता है कि केंद्र में BJP की सरकार होने के कारण वो सीलिंग से राहत दिला सकती है. शायद यही वजह रही कि वोटिंग से एक दिन पहले दिल्ली के व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कैट ने BJP को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. इस संगठन से दिल्ली में 15 लाख व्यापारी जुड़े हैं, जिनका दावा है कि वे 30 लाख लोगों को रोजगार देते हैं. ऐसे में BJP के साथ सचमुच व्यापारी समुदाय आया तो फिर पार्टी बेहतर कर सकती है.
4- एंटी इन्कमबेंसी
दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी को अगर छोड़ दें तो इन्फ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर अपेक्षित काम नहीं हुआ है, न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, ऐसा दिल्ली के लोगों का मानना है. 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रचंड लहर में चुनाव जीतने वाले कई पार्टी विधायकों पर जनता से दूर रहने के आरोप लगते रहे हैं. शायद यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल को अपने कई विधायकों के टिकट काटने पड़े. 5 साल सत्ता में रहने पर केजरीवाल को एंटी इन्कमबेंसी लहर झेलनी पड़ सकती है.
5- BJP की ‘सौगातें’
BJP ने चुनावी घोषणापत्र के जरिए दिल्ली के लोगों के मन से यह डर निकालने की कोशिश की है कि उसकी सरकार बनने पर बिजली, पानी मुफ्त की योजनाएं बंद हो जाएंगी. BJP अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का मुद्दा भी भुनाने में लगी रही. दो रुपये किलो की दर से आटा, गरीब बच्चियों को इलेक्ट्रिक स्कूटी, 376 झुग्गियों में रहने वाले दो लाख से ज्यादा परिवारों को दो-दो कमरे के मकान का वादा कर भी उसने वोटरों को रिझाने की कोशिश की. इन वादों पर अगर जनता ने भरोसा किया तो BJP चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है.
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Published: 08 Feb 2020,10:32 AM IST