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दिल्ली महिला आयोग (DCW) की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) के साथ बुधवार, 18 जनवरी की रात हुई कथित छेड़छाड़ की घटना पर राजधानी में सियासी बवाल मचा हुआ है. जहां वक तरफ आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली पुलिस की काबिलियत पर सवाल उठा रही है वहीं बीजेपी (BJP) का दावा है कि सीएम केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की पार्टी दिल्ली पुलिस को बदनाम करने के लिए 'ड्रामा' कर रही है.
गुरुवार, 19 जनवरी को AAP सरकार द्वारा DCW अध्यक्ष पद पर नियुक्त मालीवाल ने ट्वीट किया कि वह पिछली रात दिल्ली में AIMMS के पास महिला सुरक्षा का निरीक्षण कर रही थीं, तभी एक शराबी ने कथित तौर पर उनके साथ छेड़छाड़ की और उन्हें अपनी कार से कुछ मीटर तक घसीटा.
दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर महिला सुरक्षा के नाम पर "गंदी राजनीति" करने का आरोप लगा रही हैं. अब गेंद AAP के पाले में है. क्या इस पूरे प्रकरण से AAP को कुछ राजनीतिक नुकसान हुए हैं? बीजेपी को इससे क्या मिला? और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या इन आरोप-प्रत्यारोप ने राजधानी में महिला सुरक्षा के मुद्दे को कमजोर किया है?
घटना के सामने आने के एक दिन बाद, दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने शुक्रवार, 20 जनवरी को आरोपी हरीश चंद्र की एक तस्वीर ट्वीट की, जिसमें दावा किया गया कि उसे AAP विधायक प्रकाश जारवाल के साथ प्रचार करते देखा गया था.
शाजिया इल्मी, मीनाक्षी लेखी और मनोज तिवारी सहित अन्य बीजेपी नेताओं ने भी दावा किया कि यह घटना दरअसल दिल्ली पुलिस पर कीचड़ उछालने की AAP की कोशिश थी.
बाद में, शनिवार को, दिल्ली बीजेपी ने यहां तक मांग की कि स्वाति मालीवाल को उनके छेड़छाड़ के आरोपों की "निष्पक्ष जांच" के लिए उनके पद से निलंबित कर दिया जाए.
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, DCW प्रमुख ने ट्वीट किया कि कोई भी उन्हें "गंदा झूठ बोलकर" डरा नहीं सकता है.
इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और विधायक आतिशी सिंह सहित AAP नेताओं ने राजधानी में कानून व्यवस्था बनाए रखने में "विफल" रहने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की आलोचना की.
आतिशी सिंह ने एक प्रेस मीटिंग में कहा, "उपराज्यपाल की कानून व्यवस्था की 100 प्रतिशत जिम्मेदारी है. अगर DCW अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को परेशान किया जा सकता है, तो शहर की कौन सी महिला सुरक्षित है? महिलाएं रात 8 बजे के बाद घर से बाहर नहीं निकल सकती हैं."
सीएम केजरीवाल ने ट्वीट किया कि "LG साहिब, आपका काम दिल्ली की कानून व्यवस्था, दिल्ली पुलिस और DDA संभालना है. हमारा काम दिल्ली के अन्य सभी विषयों पर काम करना है. आप अपना काम कीजिए, हमें अपना काम करने दीजिए. तभी तो व्यवस्था चलेगी. आप अपने काम छोड़कर रोज हमारे काम में दखल देंगे तो व्यवस्था कैसे चलेगी?"
हालांकि, AAP ने आरोपी के अपनी ही पार्टी के सदस्य होने के बीजेपी के दावों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है.
दिल्ली पुलिस पर नियंत्रण AAP के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच सालों से विवाद का विषय रहा है. 2018 में, दिल्ली सरकार ने "राजधानी में अराजकता" का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस को निर्वाचित सरकार के नियंत्रण में लाने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था.
हाल ही में, कंझावला कांड का हवाला देते हुए - जिसमें 20 वर्षीय अंजलि कई किलोमीटर तक एक कार द्वारा घसीटे जाने के बाद मर गई थी - AAP विधायकों ने फिर से मांग की कि दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में रखा जाए.
AAP के अनुसार, बीजेपी अवसरवादी रही है और उसने DCW प्रमुख से छेड़छाड़ के प्रयास को "षड्यंत्र" के रूप में खारिज कर दिया - क्योंकि यह दिल्ली पुलिस और खुद को इस घटना पर किसी भी जिम्मेदारी से मुक्त करना चाह रही है.
इसके अलावा, बीजेपी ऐसा करके AAP द्वारा राजधानी में कानून और व्यवस्था पर नियंत्रण की मांग को गलत भी साबित कर रही है.
दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा कि आरोपी, जो नशे की हालत में था, को घटना के 23 मिनट के भीतर तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने कहा कि पुलिस वैन ने सुबह करीब 3.05 बजे मालीवाल को AIIMS के सामने फुटपाथ पर देखा और उनकी आपबीती सुनने के बाद पुलिस ने कार का पता लगाया और आरोपी हरीश चंद्र को गिरफ्तार कर लिया.
कई बीजेपी नेताओं ने भी दिल्ली पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की, "क्योंकि यह महिला सुरक्षा का मामला था." हालांकि, DCW ने एक न्यूज चैनल के साथ एक इंटरव्यू में दावा किया कि जब आरोपी अपनी कार से उनके पास आ रहा था तो उन्होंने कई बार 112 हेल्पलाइन पर कॉल किये थे लेकिन वो फेल हो गए.
द क्विंट ने मालीवाल से संपर्क किया है और उनके जवाब आने पर इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.
ऐसे में असली सवाल यह है कि क्या इस पूरे घटनाक्रम पर मौजूदा सियासी बवाल राजधानी में महिला सुरक्षा के मुद्दे को कमजोर कर रहा है?
एक ओर, बीजेपी राष्ट्रीय राजधानी में कानून व्यवस्था की स्थिति पर लीपापोती करने की कोशिश कर रही है, और दूसरी ओर AAP अपने दावों पर संदेह के घेरे में है.
तो, यहां असल में कौन हारा- AAP, बीजेपी या फिर राजधानी में महिला सुरक्षा का मुद्दा?
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