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धनंजय सिंह को 7 साल की जेल, पूर्व MP की राजनीति पर 'ग्रहण', कैसे बदलेगी जौनपुर की राजनीति?

Jaunpur Politics: धनंजय सिंह को एक सरकारी अधिकारी के अपहरण के मामले में कोर्ट ने 7 साल कैद की सजा सुनाई है. क्या है पूरा मामला?

पीयूष राय
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>पूर्व सांसद धनंजय सिंह की राजनीतिक पारी पर लगा ग्रहण: जानिए अब कैसा होगा जौनपुर का सियासी पिच</p></div>
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पूर्व सांसद धनंजय सिंह की राजनीतिक पारी पर लगा ग्रहण: जानिए अब कैसा होगा जौनपुर का सियासी पिच

फोटो- क्विंट हिंदी

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जौनपुर (Jaunpur) में नमामि गंगे के तत्कालीन प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का करीब तीन साल दस महीने पहले अपहरण कराने, रंगदारी मांगने और गाली- गलौज कर धमकाने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) और उसके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को सजा का ऐलान हो गया है. मामले में दोषी सिद्ध करने के एक दिन बाद, 6 मार्च को इस मामले में सजा पर फैसला सुनाते हुए धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को 7 साल कैद की सजा सुनाई गयी.

इसके साथ ही 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे धनंजय सिंह की राजनीतिक पारी पर एक बड़ा ग्रहण लग सकता है.

चुनावी मैदान में पत्नी को उतारेंगे?

जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 (People Representation Act 1951) की धारा 8(3) में प्रावधान है कि अपराध के लिये दोषी ठहराए जाने वाले किसी भी विधायिका (सांसद या विधायक) सदस्य को यदि दो वर्ष से अधिक के कारावास की सजा सुनाई जाती है तो उसे दोषी ठहराए जाने की तिथि से आयोग्य माना जाएगा. ऐसे व्यक्ति को सजा पूरी किये जाने की तिथि से 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिये अयोग्य माना जाएगा.

ऐसे में सजा के बाद धनंजय सिंह का चुनाव लड़ना मुश्किल नजर आ रहा है. यहां से अगर ऊपर की अदालत में अपील कर धनंजय सिंह की सजा रद्द कर दी जाती है तब वह चुनाव लड़ने के लिए योग्य हो सकते हैं.

हालांकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो चर्चा है कि धनंजय सिंह अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी को मैदान में उतार सकते हैं, जो इस समय वर्तमान में जौनपुर जिला पंचायत अध्यक्ष हैं.

तेलंगाना के एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वालीं श्रीकला रेड्डी की शादी धनंजय सिंह से 2017 में हुई थी. 2019 में कार्यक्रम में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपीनड्डा ने श्रीकला रेड्डी को बीजेपी ज्वाइन कराया था.

धनंजय सिंह के चुनाव लड़ने से बीजेपी को था खतरा?

धनंजय सिंह को जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का करीबी माना जाता है. ललन सिंह के जेडीयू में राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए धनंजय सिंह को जेडीयू का राष्ट्रीय सचिव भी बनाया गया था. कयास लगाए जा रहे थे की जेडीयू के टिकट पर धनंजय सिंह को जौनपुर से चुनाव लड़ाया जा सकता है. अब जेडीयू के बीजेपी में शामिल होने के बाद सियासी समीकरण बदल गए हैं. यही कारण की जौनपुर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी के नाम की घोषणा के बाद धनंजय सिंह ने X (ट्विटर) पर ऐलान किया कि वह चुनाव लड़ेंगे.

इसको लेकर राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया. 2009 में जौनपुर सीट से सांसद रहे धनंजय सिंह बीजेपी और एसपी से टिकट न मिलने की स्थिति में जौनपुर में मामला त्रिकोणीय बनाने का दम रखते हैं.

क्षत्रिय, यादव, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति बाहुल्य सीट पर पारंपरिक रूप से क्षत्रियों और यादवों का दबदबा रहा है. इस लोकसभा सीट पर तकरीबन 2 लाख क्षत्रिय मतदाता हैं. वहीं यादव मतदाताओं की संख्या 2 लाख से ज्यादा है.

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान एसपी के श्याम सिंह यादव ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. गठबंधन प्रत्याशी श्याम सिंह यादव का वोट शेयर 50% से ज्यादा था. हालांकि उस समय समीकरण अलग थे और SP और BSP गठबंधन में चुनाव लड़ रही थी.

गठबंधन में चुनाव लड़ने की वजह से यादव, मुस्लिम और अनुसूचित जाति के वोट संगठित होकर श्याम सिंह यादव के पक्ष में पड़े. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की नजर क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटों पर रहती है. ऐसे में अगर धनंजय सिंह या उनका कोई भी प्रत्याशी चुनावी मैदान में खड़ा होता है तो क्षत्रिय वोटों में सेंधमारी का खतरा बीजेपी को रहेगा.

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किस मामले में हुई सजा?

इस मुकदमे में वादी और नमामि गंगे योजना के तत्कालीन प्रोजेक्ट अभिनव सिंघल ने आरोप लगाया था कि 10 मई 2020 को विक्रम सिंह ने पचहटिया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की साइट पर आकर जबरदस्ती अपने लोगों के साथ अभिनव को पकड़ लिया और काले रंग की फॉर्च्यूनर गाड़ी में बंधक बनाकर धनंजय सिंह के जौनपुर आवास पर लेकर गए.

अपने शिकायती पत्र में आरोप लगाते हुए अभिनव सिंघल ने लिखा था कि जब वह धनंजय सिंह के घर पहुंचे तब धनंजय काले रंग की पिस्टल लेकर आए और गाली देते हुए अपशब्दों का इस्तेमाल किया. आरोप था कि धनंजय सिंह पचहटिया STP पर जबरदस्ती गिट्टी और बालू की आपूर्ति अपने लोगों से करना चाहते थे.

इस मामले में पुलिस ने अभिनव सिंगल की तहरीर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 364 (अपहरण या हत्या के उद्देश्य से अपहरण), 386 (रंगदारी), 504, 506, 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के अंतर्गत विक्रम सिंह और धनंजय सिंह पर मुकदमा दर्ज किया था. विवेचना के दौरान धनंजय सिंह को गिरफ्तार भी किया गया था. हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी.

पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट लगाई और कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ. ट्रायल के दौरान वादी मुकदमा समेत इस केस के कई गवाहों ने अपना बयान बदल दिया. हालांकि सूत्रों की माने तो इस मामले में मुकदमा और आरोपियों के बीच हुई फोन पर बातचीत से संबंधित कॉल डिटेल, सीसीटीवी फुटेज और अपहरण में इस्तेमाल हुई गाड़ी का धनंजय सिंह के आवास से बरामद होने जैसे साक्ष्यों की मौजूदगी में कोर्ट ने इस मामले में सजा सुनाई है.

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