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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बागेश्वर धाम के 26 वर्षीय स्वयंभू मुख्य पुजारी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ( Dhirendra Krishna Shastri) की हालिया नेपाल यात्रा विवाद से अछूता नहीं रही. 'बागेश्वर बाबा' के नाम से प्रसिद्ध, भगवान हनुमान के भक्त धीरेंद्र शास्त्री को 19-21 अगस्त तक पड़ोसी देश में 'राम कथा' सुनाने के लिए आमंत्रित किया गया था.
स्थानीय समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार, निमंत्रण नेपाल के एकमात्र अरबपति बिनोद चौधरी के सीजी कॉर्प ग्लोबल समूह से आया था, जो एक बहुराष्ट्रीय नेपाली समूह है, जो प्रसिद्ध वाई वाई नूडल्स ब्रांड सहित विश्व स्तर पर 136 व्यवसायों का मालिक है. चौधरी परिवार नेपाल का सबसे धनी परिवार है.
तीन दिनों के दौरान कथित तौर पर हजारों भक्त 'बाबा' को सुनने के लिए कतार में खड़े नजर आए.
शास्त्री की अन्य राजनीतिक और सार्वजनिक हस्तियों के साथ-साथ नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' से भी मिलने की योजना थी.
हालांकि, नेपाल में कदम रखने से पहले ही X (पूर्व में ट्विटर) पर शुरू हुई प्रतिक्रिया के कारण प्रधानमंत्री कथित तौर पर उनके कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
जिस बात ने शायद उनकी यात्रा को और अधिक विवादास्पद बना दिया, वह यह है कि उन्हें निमंत्रण देने वाले बिनोद चौधरी खुद राजनीतिक पद पर हैं. वह वर्तमान में नवलपरासी पश्चिम-1 निर्वाचन क्षेत्र से नेपाल के संसद सदस्य हैं.
शास्त्री की यात्रा का विरोध क्यों हुआ? उन पर क्या आरोप लग रहे हैं?
शास्त्री जैसे विवादास्पद व्यक्ति को आमंत्रित करने को लेकर देश के बुद्धिजीवियों में नाराजगी देखने को मिली- उनके अंधविश्वासी मान्यताओं और हिंदुत्व संबंधी बयानबाजी पर हमला होने लगा.
8 अगस्त के एक लेख के अनुसार, जो हिंदी समाचार चैनल आज तक पर छपा था, शास्त्री को यह कहते हुए कोट किया गया था कि "नेपाल एक हिंदू राष्ट्र था, है और रहेगा."
हालांकि, आचार्य ने कहा कि नेपाल में धार्मिक और राजनीतिक सहिष्णुता भारत की तुलना में अधिक है. उन्होंने कहा, "समय-समय पर हिंदू राष्ट्र की चर्चा होती रहती है, लेकिन इसके लिए व्यापक रूप से नफरत, द्वेष और हिंसा का इस्तेमाल नहीं हुआ है."
जून 2023 में केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा प्रकाशित 2021 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में हिंदू प्रमुख धर्म है, जिसकी कुल आबादी 81.19 प्रतिशत है. बौद्ध धर्म देश में दूसरा सबसे अधिक पालन किया जाने वाला धर्म है, इसके बाद इस्लाम है.
प्रोफेसर बिपिन अधिकारी ने कहा, "हमारे देश में बौद्ध, ईसाई और मुस्लिम, सिख जैसे अल्पसंख्यक भी हैं और उनके अधिकारों की रक्षा करने में हमारा ट्रैक रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है."
काठमांडू स्थित एक अन्य नेपाली पत्रकार, प्रणय एसजेबी राणा ने ऑफ द रिकॉर्ड के लिए लिखते हुए, शास्त्री को "एक हिंदू राष्ट्र के रूप में नेपाल का कट्टर समर्थक" बताया.
उन्होंने लिखा, "शास्त्री की यात्रा नेपाली जीवन में एक छोटे लेकिन बढ़ते बदलाव, बढ़ती हिंदुत्व भावना का संकेत है, जिसे अंदर और बाहर के लोगों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है."
दक्षिणपंथी पार्टी के रूप में पहचान रखने वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, जो खुले तौर पर नेपाल को धर्मनिरपेक्ष के बजाय एक हिंदू राष्ट्र बनाने की वकालत करती है, ने दावा किया कि "शास्त्री की नेपाल यात्रा ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं".
पार्टी के प्रवक्ता मोहन कुमार श्रेष्ठ ने द क्विंट से कहा, "यहां तक कि सद्गुरु जैसे गुरु भी लोगों को उपदेश देने और ईश्वर का संदेश फैलाने के लिए भारत के बाहर दौरे पर जाते हैं, तो धीरेंद्र शास्त्री ऐसा क्यों नहीं कर सकते. मैंने लोगों को सद्गुरु की यात्राओं का विरोध करते नहीं देखा."
आचार्य ने आगे कहा कि छुआछूत पर शास्त्री के विचारों के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं - क्योंकि "नेपाल में स्थानीय आबादी अंधविश्वासी हो सकती है".
उन्होंने द क्विंट से कहा, "शास्त्री अपने वीडियो के माध्यम से खुले तौर पर छुआछूत की वकालत करते हैं. वह सार्वजनिक रूप से धर्म के नाम पर जातिगत भेदभाव को भी बढ़ावा देते हैं. हजारों की भीड़ के सामने दलितों को अपमानित किया गया. हम नहीं चाहते कि हमारे लोग यह सोचें कि इन विचारों को नेपाल में दोहराया जाना चाहिए."
वीडियो में शास्त्री अपना संबोधन सुनने के लिए जुटी भीड़ में से उस शख्स को बुलाते नजर आ रहे हैं. जब वह आदमी उनके पैर छूने की कोशिश करता है, तो शास्त्री पीछे झुकते हैं और कहते हैं, "मुझे मत छुओ, तुम अछूत हो".
आचार्य ने कहा, "शास्त्री ने खुले तौर पर लोगों को मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भी भड़काया, बीमारियों और समस्याओं को ठीक करने की शक्ति होने का दावा किया, महिलाओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां कीं और अफवाहें फैलाईं कि उनके आशीर्वाद से कैंसर के मरीज ठीक हो गए."
पिछले महीने स्वयंभू बाबा ने मॉडर्न कपड़े पहनने वाली महिलाओं की तुलना "भैंस" से की थी. उन्हें यह कहते हुए सुना गया, "अगर कम कपड़े पहनना आधुनिकीकरण की निशानी है, तो मेरी भैंस इन महिलाओं से ज्यादा आधुनिक है."
पिछले महीने एक अन्य वीडियो में, उन्हें महिलाओं की तुलना "जमीन के टुकड़े" से करते हुए सुना गया था.
एक वायरल वीडियो में शास्त्री को यह कहते हुए सुना गया था, ''जिन महिलाओं की शादी हो चुकी है, उनकी दो पहचान होती है- मांग में सिंदूर और मंगलसूत्र. मान लीजिए कि अगर उनके मांग में सिंदूर या मंगलसूत्र नहीं है, तो आप उनके बारे में क्या सोचेंगे? यह भूखंड (जमीन) उपलब्ध है.”
इसी तरह बीमारियों को ठीक करने के उनके 'चमत्कारिक' दावे भी दर्ज हैं.
'चमत्कारिक' इलाज के बारे में बात करते हुए अधिकारी ने कहा, "नेपाली समाज का एक बड़ा हिस्सा गरीब और अशिक्षित है. देश में लोगों का एक बड़ा समूह है जो 'चमत्कार' में विश्वास करता है. ऐसे लोग धर्म और चमत्कार के नाम पर उनके पैसे कमाने के जाल में फंस सकते हैं."
काठमांडू के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर के एक पुजारी ने आरोप लगाया कि भारत में "समस्याग्रस्त गुरुओं" की समस्या है.
हालांकि, हिंदू प्रवासी समुदायों की वकालत करने वाले गैर-लाभकारी संगठन, द वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ. रामचन्द्र अधिकारी ने इन आरोपों को खारिज किया है.
उन्होंने जवाब दिया, "शास्त्री ने हमारे किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय या हाशिए पर रहने वाले लोगों के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की. इसे सांप्रदायिक या धार्मिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए."
क्विंट ने शास्त्री को आमंत्रित करने वाले सीजी कॉर्प ग्लोबल ग्रुप से संपर्क किया है. जब भी उनका जवाब आएगा इस लेख को अपडेट कर दिया जाएगा.
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